Proverbs (27/31)  

1. उस पर शेख़ी न मार जो तू कल करेगा, तुझे क्या मालूम कि कल का दिन क्या कुछ फ़राहम करेगा?
2. तेरा अपना मुँह और अपने होंट तेरी तारीफ़ न करें बल्कि वह जो तुझ से वाक़िफ़ भी न हो।
3. पत्थर भारी और रेत वज़नी है, लेकिन जो अहमक़ तुझे तंग करे वह ज़ियादा नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त है।
4. ग़ुस्सा ज़ालिम होता और तैश सैलाब की तरह इन्सान पर आ जाता है, लेकिन कौन हसद का मुक़ाबला कर सकता है?
5. खुली मलामत छुपी हुई मुहब्बत से बेहतर है।
6. पियार करने वाले की ज़र्बें वफ़ा का सबूत हैं, लेकिन नफ़रत करने वाले के मुतअद्दिद बोसों से ख़बरदार रह।
7. जो सेर है वह शहद को भी पाँओ तले रौंद देता है, लेकिन भूके को कड़वी चीज़ें भी मीठी लगती हैं।
8. जो आदमी अपने घर से निकल कर मारा मारा फिरे वह उस परिन्दे की मानिन्द है जो अपने घोंसले से भाग कर कभी इधर कभी इधर फड़फड़ाता रहता है।
9. तेल और बख़ूर दिल को ख़ुश करते हैं, लेकिन दोस्त अपने अच्छे मश्वरों से ख़ुशी दिलाता है।
10. अपने दोस्तों को कभी न छोड़, न अपने ज़ाती दोस्तों को न अपने बाप के दोस्तों को। तब तुझे मुसीबत के दिन अपने भाई से मदद नहीं माँगनी पड़ेगी। क्यूँकि क़रीब का पड़ोसी दूर के भाई से बेहतर है।
11. मेरे बेटे, दानिशमन्द बन कर मेरे दिल को ख़ुश कर ताकि मैं अपने हक़ीर जानने वाले को जवाब दे सकूँ।
12. ज़हीन आदमी ख़त्रा पहले से भाँप कर छुप जाता है, जबकि सादालौह आगे बढ़ कर उस की लपेट में आ जाता है।
13. ज़मानत का वह लिबास वापस न कर जो किसी ने परदेसी का ज़ामिन बन कर दिया है। अगर वह अजनबी औरत का ज़ामिन हो तो उस ज़मानत पर ज़रूर क़ब्ज़ा कर जो उस ने दी थी।
14. जो सुब्ह-सवेरे बुलन्द आवाज़ से अपने पड़ोसी को बर्कत दे उस की बर्कत लानत ठहराई जाएगी।
15. झगड़ालू बीवी मूसलाधार बारिश के बाइस मुसल्सल टपकने वाली छत की मानिन्द है।
16. उसे रोकना हवा को रोकने या तेल को पकड़ने के बराबर है।
17. लोहा लोहे को और इन्सान इन्सान के ज़हन को तेज़ करता है।
18. जो अन्जीर के दरख़्त की देख-भाल करे वह उस का फल खाएगा, जो अपने मालिक की वफ़ादारी से ख़िदमत करे उस का एहतिराम किया जाएगा।
19. जिस तरह पानी चिहरे को मुनअकिस करता है उसी तरह इन्सान का दिल इन्सान को मुनअकिस करता है।
20. न मौत और न पाताल कभी सेर होते हैं, न इन्सान की आँखें।
21. सोना और चाँदी कुठाली में पिघला कर पाक-साफ़ कर, लेकिन इन्सान का किरदार इस से मालूम कर कि लोग उस की कितनी क़दर करते हैं।
22. अगर अहमक़ को अनाज की तरह ऊखली और मूसल से कूटा भी जाए तो भी उस की हमाक़त दूर नहीं हो जाएगी।
23. एहतियात से अपनी भेड़-बक्रियों की हालत पर ध्यान दे, अपने रेवड़ों पर ख़ूब तवज्जुह दे।
24. क्यूँकि कोई भी दौलत हमेशा तक क़ाइम नहीं रहती, कोई भी ताज नसल-दर-नसल बरक़रार नहीं रहता।
25. खुले मैदान में घास काट कर जमा कर ताकि नई घास उग सके, चारा पहाड़ों से भी इकट्ठा कर।
26. तब तू भेड़ों की ऊन से कपड़े बना सकेगा, बक्रों की फ़रोख़्त से खेत ख़रीद सकेगा,
27. और बक्रियाँ इतना दूध देंगी कि तेरे, तेरे ख़ान्दान और तेरे नौकर-चाकरों के लिए काफ़ी होगा।

  Proverbs (27/31)