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1. | नेक नाम बड़ी दौलत से क़ीमती, और मन्ज़ूर-ए-नज़र होना सोने-चाँदी से बेहतर है। |
2. | अमीर और ग़रीब एक दूसरे से मिलते जुलते हैं, रब्ब उन सब का ख़ालिक़ है। |
3. | ज़हीन आदमी ख़त्रा पहले से भाँप कर छुप जाता है, जबकि सादालौह आगे बढ़ कर उस की लपेट में आ जाता है। |
4. | फ़रोतनी और रब्ब का ख़ौफ़ मानने का फल दौलत, एहतिराम और ज़िन्दगी है। |
5. | बेदीन की राह में काँटे और फंदे होते हैं। जो अपनी जान मह्फ़ूज़ रखना चाहे वह उन से दूर रहता है। |
6. | छोटे बच्चे को सहीह राह पर चलने की तर्बियत दे तो वह बूढ़ा हो कर भी उस से नहीं हटेगा। |
7. | अमीर ग़रीब पर हुकूमत करता, और क़र्ज़दार क़र्ज़ख़्वाह का ग़ुलाम होता है। |
8. | जो नाइन्साफ़ी का बीज बोए वह आफ़त की फ़सल काटेगा, तब उस की ज़ियादती की लाठी टूट जाएगी। |
9. | फ़य्याज़दिल को बर्कत मिलेगी, क्यूँकि वह पस्तहाल को अपने खाने में शरीक करता है। |
10. | तानाज़न को भगा दे तो लड़ाई-झगड़ा घर से निकल जाएगा, तू तू मैं मैं और एक दूसरे की बेइज़्ज़ती करने का सिलसिला ख़त्म हो जाएगा। |
11. | जो दिल की पाकीज़गी को पियार करे और मेहरबान ज़बान का मालिक हो वह बादशाह का दोस्त बनेगा। |
12. | रब्ब की आँखें इल्म-ओ-इर्फ़ान की देख-भाल करती हैं, लेकिन वह बेवफ़ा की बातों को तबाह होने देता है। |
13. | काहिल कहता है, “गली में शेर है, अगर बाहर जाऊँ तो मुझे किसी चौक में फाड़ खाएगा।” |
14. | ज़िनाकार औरत का मुँह गहरा गढ़ा है। जिस से रब्ब नाराज़ हो वह उस में गिर जाता है। |
15. | बच्चे के दिल में हमाक़त टिकती है, लेकिन तर्बियत की छड़ी उसे भगा देती है। |
16. | एक पस्तहाल पर ज़ुल्म करता है ताकि दौलत पाए, दूसरा अमीर को तुह्फ़े देता है लेकिन ग़रीब हो जाता है। |
17. | कान लगा कर दानाओं की बातों पर ध्यान दे, दिल से मेरी तालीम अपना ले! |
18. | क्यूँकि अच्छा है कि तू उन्हें अपने दिल में मह्फ़ूज़ रखे, वह सब तेरे होंटों पर मुस्तइद रहें। |
19. | आज मैं तुझे, हाँ तुझे ही तालीम दे रहा हूँ ताकि तेरा भरोसा रब्ब पर रहे। |
20. | मैं ने तेरे लिए 30 कहावतें क़लमबन्द की हैं, ऐसी बातें जो मश्वरों और इल्म से भरी हुई हैं। |
21. | क्यूँकि मैं तुझे सच्चाई की क़ाबिल-ए-एतिमाद बातें सिखाना चाहता हूँ ताकि तू उन्हें क़ाबिल-ए-एतिमाद जवाब दे सके जिन्हों ने तुझे भेजा है। |
22. | पस्तहाल को इस लिए न लूट कि वह पस्तहाल है, मुसीबतज़दा को अदालत में मत कुचलना। |
23. | क्यूँकि रब्ब ख़ुद उन का दिफ़ा करके उन्हें लूट लेगा जो उन्हें लूट रहे हैं। |
24. | ग़ुसीले शख़्स का दोस्त न बन, न उस से ज़ियादा ताल्लुक़ रख जो जल्दी से आग-बगूला हो जाता है। |
25. | ऐसा न हो कि तू उस का चाल-चलन अपना कर अपनी जान के लिए फंदा लगाए। |
26. | कभी हाथ मिला कर वादा न कर कि मैं दूसरे के कर्ज़े का ज़ामिन हूँगा। |
27. | क़र्ज़दार के पैसे वापस न करने पर अगर तू भी पैसे अदा न कर सके तो तेरी चारपाई भी तेरे नीचे से छीन ली जाएगी। |
28. | ज़मीन की जो हुदूद तेरे बापदादा ने मुक़र्रर कीं उन्हें आगे पीछे मत करना। |
29. | क्या तुझे ऐसा आदमी नज़र आता है जो अपने काम में माहिर है? वह निचले तब्क़े के लोगों की ख़िदमत नहीं करेगा बल्कि बादशाहों की। |
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