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1. | रब्ब ने मूसा से कहा, |
2. | “इस्राईलियों को हिदायत देना कि अगर कोई आदमी या औरत मन्नत मान कर अपने आप को एक मुक़र्ररा वक़्त के लिए रब्ब के लिए मख़्सूस करे |
3. | तो वह मै या कोई और नशाआवर चीज़ न पिए। न वह अंगूर या किसी और चीज़ का सिरका पिए, न अंगूर का रस। वह अंगूर या किशमिश न खाए। |
4. | जब तक वह मख़्सूस है वह अंगूर की कोई भी पैदावार न खाए, यहाँ तक कि अंगूर के बीज या छिलके भी न खाए। |
5. | जब तक वह अपनी मन्नत के मुताबिक़ मख़्सूस है वह अपने बाल न कटवाए। जितनी देर के लिए उस ने अपने आप को रब्ब के लिए मख़्सूस किया है उतनी देर तक वह मुक़द्दस है। इस लिए वह अपने बाल बढ़ने दे। |
6. | जब तक वह मख़्सूस है वह किसी लाश के क़रीब न जाए, |
7. | चाहे वह उस के बाप, माँ, भाई या बहन की लाश क्यूँ न हो। क्यूँकि इस से वह नापाक हो जाएगा जबकि अभी तक उस की मख़्सूसियत लम्बे बालों की सूरत में नज़र आती है। |
8. | वह अपनी मख़्सूसियत के दौरान रब्ब के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस है। |
9. | अगर कोई अचानक मर जाए जब मख़्सूस शख़्स उस के क़रीब हो तो उस के मख़्सूस बाल नापाक हो जाएँगे। ऐसी सूरत में लाज़िम है कि वह अपने आप को पाक-साफ़ करके सातवें दिन अपने सर को मुंडवाए। |
10. | आठवें दिन वह दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर ले कर मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर आए और इमाम को दे। |
11. | इमाम इन में से एक को गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर चढ़ाए और दूसरे को भस्म होने वाली क़ुर्बानी के तौर पर। यूँ वह उस के लिए कफ़्फ़ारा देगा जो लाश के क़रीब होने से नापाक हो गया है। उसी दिन वह अपने सर को दुबारा मख़्सूस करे |
12. | और अपने आप को मुक़र्ररा वक़्त के लिए दुबारा रब्ब के लिए मख़्सूस करे। वह क़ुसूर की क़ुर्बानी के तौर पर एक साल का भेड़ का बच्चा पेश करे। जितने दिन उस ने पहले मख़्सूसियत की हालत में गुज़ारे हैं वह शुमार नहीं किए जा सकते क्यूँकि वह मख़्सूसियत की हालत में नापाक हो गया था। वह दुबारा पहले दिन से शुरू करे। |
13. | शरीअत के मुताबिक़ जब मख़्सूस शख़्स का मुक़र्ररा वक़्त गुज़र गया हो तो पहले उसे मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर लाया जाए। |
14. | वहाँ वह रब्ब को भस्म होने वाली क़ुर्बानी के लिए भेड़ का एक बेऐब यकसाला नर बच्चा, गुनाह की क़ुर्बानी के लिए एक बेऐब यकसाला भेड़ और सलामती की क़ुर्बानी के लिए एक बेऐब मेंढा पेश करे। |
15. | इस के इलावा वह एक टोकरी में बेख़मीरी रोटियाँ जिन में बेहतरीन मैदा और तेल मिलाया गया हो और बेख़मीरी रोटियाँ जिन पर तेल लगाया गया हो मुताल्लिक़ा ग़ल्ला की नज़र और मै की नज़र के साथ |
16. | रब्ब को पेश करे। पहले इमाम गुनाह की क़ुर्बानी और भस्म होने वाली क़ुर्बानी रब्ब के हुज़ूर चढ़ाए। |
17. | फिर वह मेंढे को बेख़मीरी रोटियों के साथ सलामती की क़ुर्बानी के तौर पर पेश करे। इमाम ग़ल्ला की नज़र और मै की नज़र भी चढ़ाए। |
18. | इस दौरान मख़्सूस शख़्स मुलाक़ात के ख़ैमे पर अपने मख़्सूस किए गए सर को मुंडवा कर तमाम बाल सलामती की क़ुर्बानी की आग में फैंके। |
19. | फिर इमाम मेंढे का एक पका हुआ शाना और टोकरी में से दोनों क़िस्मों की एक एक रोटी ले कर मख़्सूस शख़्स के हाथों पर रखे। |
20. | इस के बाद वह यह चीज़ें वापस ले कर उन्हें हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब के सामने हिलाए। यह एक मुक़द्दस क़ुर्बानी है जो इमाम का हिस्सा है। सलामती की क़ुर्बानी का हिलाया हुआ सीना और उठाई हुई रान भी इमाम का हिस्सा हैं। क़ुर्बानी के इख़तिताम पर मख़्सूस किए हुए शख़्स को मै पीने की इजाज़त है। |
21. | जो अपने आप को रब्ब के लिए मख़्सूस करता है वह ऐसा ही करे। लाज़िम है कि वह इन हिदायात के मुताबिक़ तमाम क़ुर्बानियाँ पेश करे। अगर गुन्जाइश हो तो वह और भी पेश कर सकता है। ब-हर-हाल लाज़िम है कि वह अपनी मन्नत और यह हिदायात पूरी करे।” |
22. | रब्ब ने मूसा से कहा, |
23. | “हारून और उस के बेटों को बता देना कि वह इस्राईलियों को यूँ बर्कत दें, |
24. | ‘रब्ब तुझे बर्कत दे और तेरी हिफ़ाज़त करे। |
25. | रब्ब अपने चिहरे का मेहरबान नूर तुझ पर चमकाए और तुझ पर रहम करे। |
26. | रब्ब की नज़र-ए-करम तुझ पर हो, और वह तुझे सलामती बख़्शे।’ |
27. | यूँ वह मेरा नाम ले कर इस्राईलियों को बर्कत दें। फिर मैं उन्हें बर्कत दूँगा।” |
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