Numbers (27/36)  

1. सिलाफ़िहाद की पाँच बेटियाँ महलाह, नूआह, हुज्लाह, मिल्काह और तिर्ज़ा थीं। सिलाफ़िहाद यूसुफ़ के बेटे मनस्सी के कुंबे का था। उस का पूरा नाम सिलाफ़िहाद बिन हिफ़र बिन जिलिआद बिन मकीर बिन मनस्सी बिन यूसुफ़ था।
2. सिलाफ़िहाद की बेटियाँ मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर आ कर मूसा, इलीअज़र इमाम और पूरी जमाअत के सामने खड़ी हुईं। उन्हों ने कहा,
3. “हमारा बाप रेगिस्तान में फ़ौत हुआ। लेकिन वह क़ोरह के उन साथियों में से नहीं था जो रब्ब के ख़िलाफ़ मुत्तहिद हुए थे। वह इस सबब से न मरा बल्कि अपने ज़ाती गुनाह के बाइस। जब वह मर गया तो उस का कोई बेटा नहीं था।
4. क्या यह ठीक है कि हमारे ख़ान्दान में बेटा न होने के बाइस हमें ज़मीन न मिले और हमारे बाप का नाम-ओ-निशान मिट जाए? हमें भी हमारे बाप के दीगर रिश्तेदारों के साथ ज़मीन दें।”
5. मूसा ने उन का मुआमला रब्ब के सामने पेश किया
6. तो रब्ब ने उस से कहा,
7. “जो बात सिलाफ़िहाद की बेटियाँ कर रही हैं वह दुरुस्त है। उन्हें ज़रूर उन के बाप के रिश्तेदारों के साथ ज़मीन मिलनी चाहिए। उन्हें बाप का विरसा मिल जाए।
8. इस्राईलियों को भी बताना कि जब भी कोई आदमी मर जाए जिस का बेटा न हो तो उस की बेटी को उस की मीरास मिल जाए।
9. अगर उस की बेटी भी न हो तो उस के भाइयों को उस की मीरास मिल जाए।
10. अगर उस के भाई भी न हों तो उस के बाप के भाइयों को उस की मीरास मिल जाए।
11. अगर यह भी न हों तो उस के सब से क़रीबी रिश्तेदार को उस की मीरास मिल जाए। वह उस की ज़ाती मिल्कियत होगी। यह उसूल इस्राईलियों के लिए क़ानूनी हैसियत रखता है। वह इसे वैसा मानें जैसा रब्ब ने मूसा को हुक्म दिया है।”
12. फिर रब्ब ने मूसा से कहा, “अबारीम के पहाड़ी सिलसिले के मज़्कूर पहाड़ पर चढ़ कर उस मुल्क पर निगाह डाल जो मैं इस्राईलियों को दूँगा।
13. उसे देखने के बाद तू भी अपने भाई हारून की तरह कूच करके अपने बापदादा से जा मिलेगा,
14. क्यूँकि तुम दोनों ने दश्त-ए-सीन में मेरे हुक्म की ख़िलाफ़वरज़ी की। उस वक़्त जब पूरी जमाअत ने मरीबा में मेरे ख़िलाफ़ गिला-शिकवा किया तो तू ने चटान से पानी निकालते वक़्त लोगों के सामने मेरी क़ुद्दूसियत क़ाइम न रखी।” (मरीबा दश्त-ए-सीन के क़ादिस में चश्मा है।)
15. मूसा ने रब्ब से कहा,
16. “ऐ रब्ब, तमाम जानों के ख़ुदा, जमाअत पर राहनुमा मुक़र्रर कर
17. जो उन के आगे आगे जंग के लिए निकले और उन के आगे आगे वापस आ जाए, जो उन्हें बाहर ले जाए और वापस ले आए। वर्ना रब्ब की जमाअत उन भेड़ों की मानिन्द होगी जिन का कोई चरवाहा न हो।”
18. जवाब में रब्ब ने मूसा से कहा, “यशूअ बिन नून को चुन ले जिस में मेरा रूह है, और अपना हाथ उस पर रख।
19. उसे इलीअज़र इमाम और पूरी जमाअत के सामने खड़ा करके उन के रू-ब-रू ही उसे राहनुमाई की ज़िम्मादारी दे।
20. अपने इख़तियार में से कुछ उसे दे ताकि इस्राईल की पूरी जमाअत उस की इताअत करे।
21. रब्ब की मर्ज़ी जानने के लिए वह इलीअज़र इमाम के सामने खड़ा होगा तो इलीअज़र रब्ब के सामने ऊरीम और तुम्मीम इस्तेमाल करके उस की मर्ज़ी दरयाफ़्त करेगा। उसी के हुक्म पर यशूअ और इस्राईल की पूरी जमाअत ख़ैमागाह से निकलेंगे और वापस आएँगे।”
22. मूसा ने ऐसा ही किया। उस ने यशूअ को चुन कर इलीअज़र और पूरी जमाअत के सामने खड़ा किया।
23. फिर उस ने उस पर अपने हाथ रख कर उसे राहनुमाई की ज़िम्मादारी सौंपी जिस तरह रब्ब ने उसे बताया था।

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