Numbers (18/36)  

1. रब्ब ने हारून से कहा, “मक़्दिस तेरी, तेरे बेटों और लावी के क़बीले की ज़िम्मादारी है। अगर इस में कोई ग़लती हो जाए तो तुम क़ुसूरवार ठहरोगे। इसी तरह इमामों की ख़िदमत सिर्फ़ तेरी और तेरे बेटों की ज़िम्मादारी है। अगर इस में कोई ग़लती हो जाए तो तू और तेरे बेटे क़ुसूरवार ठहरेंगे।
2. अपने क़बीले लावी के बाक़ी आदमियों को भी मेरे क़रीब आने दे। वह तेरे साथ मिल कर यूँ हिस्सा लें कि वह तेरी और तेरे बेटों की ख़िदमत करें जब तुम ख़ैमे के सामने अपनी ज़िम्मादारियाँ निभाओगे।
3. तेरी ख़िदमत और ख़ैमे में ख़िदमत उन की ज़िम्मादारी है। लेकिन वह ख़ैमे के मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस सामान और क़ुर्बानगाह के क़रीब न जाएँ, वर्ना न सिर्फ़ वह बल्कि तू भी हलाक हो जाएगा।
4. यूँ वह तेरे साथ मिल कर मुलाक़ात के ख़ैमे के पूरे काम में हिस्सा लें। लेकिन किसी और को ऐसा करने की इजाज़त नहीं है।
5. सिर्फ़ तू और तेरे बेटे मक़्दिस और क़ुर्बानगाह की देख-भाल करें ताकि मेरा ग़ज़ब दुबारा इस्राईलियों पर न भड़के।
6. मैं ही ने इस्राईलियों में से तेरे भाइयों यानी लावियों को चुन कर तुझे तुह्फ़े के तौर पर दिया है। वह रब्ब के लिए मख़्सूस हैं ताकि ख़ैमे में ख़िदमत करें।
7. लेकिन सिर्फ़ तू और तेरे बेटे इमाम की ख़िदमत सरअन्जाम दें। मैं तुम्हें इमाम का उह्दा तुह्फ़े के तौर पर देता हूँ। कोई और क़ुर्बानगाह और मुक़द्दस चीज़ों के नज़्दीक न आए, वर्ना उसे सज़ा-ए-मौत दी जाए।”
8. रब्ब ने हारून से कहा, “मैं ने ख़ुद मुक़र्रर किया है कि तमाम उठाने वाली क़ुर्बानियाँ तेरा हिस्सा हों। यह हमेशा तक क़ुर्बानियों में से तेरा और तेरी औलाद का हिस्सा हैं।
9. तुम्हें मुक़द्दसतरीन क़ुर्बानियों का वह हिस्सा मिलना है जो जलाया नहीं जाता। हाँ, तुझे और तेरे बेटों को वही हिस्सा मिलना है, ख़्वाह वह मुझे ग़ल्ला की नज़रें, गुनाह की क़ुर्बानियाँ या क़ुसूर की क़ुर्बानियाँ पेश करें।
10. उसे मुक़द्दस जगह पर खाना। हर मर्द उसे खा सकता है। ख़याल रख कि वह मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस है।
11. मैं ने मुक़र्रर किया है कि तमाम हिलाने वाली क़ुर्बानियों का उठाया हुआ हिस्सा तेरा है। यह हमेशा के लिए तेरे और तेरे बेटे-बेटियों का हिस्सा है। तेरे घराने का हर फ़र्द उसे खा सकता है। शर्त यह है कि वह पाक हो।
12. जब लोग रब्ब को अपनी फ़सलों का पहला फल पेश करेंगे तो वह तेरा ही हिस्सा होगा। मैं तुझे ज़ैतून के तेल, नई मै और अनाज का बेहतरीन हिस्सा देता हूँ।
13. फ़सलों का जो भी पहला फल वह रब्ब को पेश करेंगे वह तेरा ही होगा। तेरे घराने का हर पाक फ़र्द उसे खा सकता है।
14. इस्राईल में जो भी चीज़ रब्ब के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस की गई है वह तेरी होगी।
15. हर इन्सान और हर हैवान का जो पहलौठा रब्ब को पेश किया जाता है वह तेरा ही है। लेकिन लाज़िम है कि तू हर इन्सान और हर नापाक जानवर के पहलौठे का फ़िद्या दे कर उसे छुड़ाए।
16. जब वह एक माह के हैं तो उन के इवज़ चाँदी के पाँच सिक्के देना। (हर सिक्के का वज़न मक़्दिस के बाटों के मुताबिक़ 11 ग्राम हो)।
17. लेकिन गाय-बैलों और भेड़-बक्रियों के पहले बच्चों का फ़िद्या यानी मुआवज़ा न देना। वह मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस हैं। उन का ख़ून क़ुर्बानगाह पर छिड़क देना और उन की चर्बी जला देना। ऐसी क़ुर्बानी रब्ब को पसन्द होगी।
18. उन का गोश्त वैसे ही तुम्हारे लिए हो, जैसे हिलाने वाली क़ुर्बानी का सीना और दहनी रान भी तुम्हारे लिए हैं।
19. मुक़द्दस क़ुर्बानियों में से तमाम उठाने वाली क़ुर्बानियाँ तेरा और तेरे बेटे-बेटियों का हिस्सा हैं। मैं ने उसे हमेशा के लिए तुझे दिया है। यह नमक का दाइमी अह्द है जो मैं ने तेरे और तेरी औलाद के साथ क़ाइम किया है।”
20. रब्ब ने हारून से कहा, “तू मीरास में ज़मीन नहीं पाएगा। इस्राईल में तुझे कोई हिस्सा नहीं दिया जाएगा, क्यूँकि इस्राईलियों के दर्मियान मैं ही तेरा हिस्सा और तेरी मीरास हूँ।
21. अपनी पैदावार का जो दसवाँ हिस्सा इस्राईली मुझे देते हैं वह मैं लावियों को देता हूँ। यह उन की विरासत है, जो उन्हें मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करने के बदले में मिलती है।
22. अब से इस्राईली मुलाक़ात के ख़ैमे के क़रीब न आएँ, वर्ना उन्हें अपनी ख़ता का नतीजा बर्दाश्त करना पड़ेगा और वह हलाक हो जाएँगे।
23. सिर्फ़ लावी मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करें। अगर इस में कोई ग़लती हो जाए तो वही क़ुसूरवार ठहरेंगे। यह एक दाइमी उसूल है। उन्हें इस्राईल में मीरास में ज़मीन नहीं मिलेगी।
24. क्यूँकि मैं ने उन्हें वही दसवाँ हिस्सा मीरास के तौर पर दिया है जो इस्राईली मुझे उठाने वाली क़ुर्बानी के तौर पर पेश करते हैं। इस वजह से मैं ने उन के बारे में कहा कि उन्हें बाक़ी इस्राईलियों के साथ मीरास में ज़मीन नहीं मिलेगी।”
25. रब्ब ने मूसा से कहा,
26. “लावियों को बताना कि तुम्हें इस्राईलियों की पैदावार का दसवाँ हिस्सा मिलेगा। यह रब्ब की तरफ़ से तुम्हारी विरासत होगी। लाज़िम है कि तुम इस का दसवाँ हिस्सा रब्ब को उठाने वाली क़ुर्बानी के तौर पर पेश करो।
27. तुम्हारी यह क़ुर्बानी नए अनाज या नए अंगूर के रस की क़ुर्बानी के बराबर क़रार दी जाएगी।
28. इस तरह तुम भी रब्ब को इस्राईलियों की पैदावार के दसवें हिस्से में से उठाने वाली क़ुर्बानी पेश करोगे। रब्ब के लिए यह क़ुर्बानी हारून इमाम को देना।
29. जो भी तुम्हें मिला है उस में से सब से अच्छा और मुक़द्दस हिस्सा रब्ब को देना।
30. जब तुम इस का सब से अच्छा हिस्सा पेश करोगे तो उसे नए अनाज या नए अंगूर के रस की क़ुर्बानी के बराबर क़रार दिया जाएगा।
31. तुम अपने घरानों समेत इस का बाक़ी हिस्सा कहीं भी खा सकते हो, क्यूँकि यह मुलाक़ात के ख़ैमे में तुम्हारी ख़िदमत का अज्र है।
32. अगर तुम ने पहले इस का बेहतरीन हिस्सा पेश किया हो तो फिर इसे खाने में तुम्हारा कोई क़ुसूर नहीं होगा। फिर इस्राईलियों की मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस क़ुर्बानियाँ तुम से नापाक नहीं हो जाएँगी और तुम नहीं मरोगे।”

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