| Numbers (1/36) → |
| 1. | इस्राईलियों को मिस्र से निकले हुए एक साल से ज़ियादा अर्सा गुज़र गया था। अब तक वह दश्त-ए-सीना में थे। दूसरे साल के दूसरे महीने के पहले दिन रब्ब मुलाक़ात के ख़ैमे में मूसा से हमकलाम हुआ। उस ने कहा, |
| 2. | “तू और हारून तमाम इस्राईलियों की मर्दुमशुमारी कुंबों और आबाई घरानों के मुताबिक़ करना। उन तमाम मर्दों की फ़हरिस्त बनाना |
| 3. | जो कम अज़ कम बीस साल के और जंग लड़ने के क़ाबिल हों। |
| 4. | इस में हर क़बीले के एक ख़ान्दान का सरपरस्त तुम्हारी मदद करे। |
| 5. | यह उन के नाम हैं : रूबिन के क़बीले से इलीसूर बिन शदियूर, |
| 6. | शमाऊन के क़बीले से सलूमीएल बिन सूरीशद्दी, |
| 7. | यहूदाह के क़बीले से नह्सोन बिन अम्मीनदाब, |
| 8. | इश्कार के क़बीले से नतनीएल बिन ज़ुग़र, |
| 9. | ज़बूलून के क़बीले से इलियाब बिन हेलोन, |
| 10. | यूसुफ़ के बेटे इफ़्राईम के क़बीले से इलीसमा बिन अम्मीहूद, यूसुफ़ के बेटे मनस्सी के क़बीले से जमलीएल बिन फ़दाह्सूर, |
| 11. | बिन्यमीन के क़बीले से अबिदान बिन जिदाऊनी, |
| 12. | दान के क़बीले से अख़ीअज़र बिन अम्मीशद्दी, |
| 13. | आशर के क़बीले से फ़जईएल बिन अक्रान, |
| 14. | जद के क़बीले से इलियासफ़ बिन दऊएल, |
| 15. | नफ़्ताली के क़बीले से अख़ीरा बिन एनान।” |
| 16. | यही मर्द जमाअत से इस काम के लिए बुलाए गए। वह अपने क़बीलों के राहनुमा और कुंबों के सरपरस्त थे। |
| 17. | इन की मदद से मूसा और हारून ने |
| 18. | उसी दिन पूरी जमाअत को इकट्ठा किया। हर इस्राईली मर्द जो कम अज़ कम 20 साल का था रजिस्टर में दर्ज किया गया। रजिस्टर की तर्तीब उन के कुंबों और आबाई घरानों के मुताबिक़ थी। |
| 19. | सब कुछ वैसा ही किया गया जैसा रब्ब ने हुक्म दिया था। मूसा ने सीना के रेगिस्तान में लोगों की मर्दुमशुमारी की। नतीजा यह निकला : |
| 20. | रूबिन के क़बीले के 46,500 मर्द, |
| 21. | रूबिन के क़बीले के 46,500 मर्द, |
| 22. | शमाऊन के क़बीले के 59,300 मर्द, |
| 23. | शमाऊन के क़बीले के 59,300 मर्द, |
| 24. | जद के क़बीले के 45,650 मर्द, |
| 25. | जद के क़बीले के 45,650 मर्द, |
| 26. | यहूदाह के क़बीले के 74,600 मर्द, |
| 27. | यहूदाह के क़बीले के 74,600 मर्द, |
| 28. | इश्कार के क़बीले के 54,400 मर्द, |
| 29. | इश्कार के क़बीले के 54,400 मर्द, |
| 30. | ज़बूलून के क़बीले के 57,400 मर्द, |
| 31. | ज़बूलून के क़बीले के 57,400 मर्द, |
| 32. | यूसुफ़ के बेटे इफ़्राईम के क़बीले के 40,500 मर्द, |
| 33. | यूसुफ़ के बेटे इफ़्राईम के क़बीले के 40,500 मर्द, |
| 34. | यूसुफ़ के बेटे मनस्सी के क़बीले के 32,200 मर्द, |
| 35. | यूसुफ़ के बेटे मनस्सी के क़बीले के 32,200 मर्द, |
| 36. | बिन्यमीन के क़बीले के 35,400 मर्द, |
| 37. | बिन्यमीन के क़बीले के 35,400 मर्द, |
| 38. | दान के क़बीले के 62,700 मर्द, |
| 39. | दान के क़बीले के 62,700 मर्द, |
| 40. | आशर के क़बीले के 41,500 मर्द, |
| 41. | आशर के क़बीले के 41,500 मर्द, |
| 42. | नफ़्ताली के क़बीले के 53,400 मर्द। |
| 43. | नफ़्ताली के क़बीले के 53,400 मर्द। |
| 44. | मूसा, हारून और क़बीलों के बारह राहनुमाओं ने इन तमाम आदमियों को गिना। |
| 45. | उन की पूरी तादाद 6,03,550 थी। |
| 46. | उन की पूरी तादाद 6,03,550 थी। |
| 47. | लेकिन लावियों की मर्दुमशुमारी न हुई, |
| 48. | क्यूँकि रब्ब ने मूसा से कहा था, |
| 49. | “इस्राईलियों की मर्दुमशुमारी में लावियों को शामिल न करना। |
| 50. | इस के बजाय उन्हें शरीअत की सुकूनतगाह और उस का सारा सामान सँभालने की ज़िम्मादारी देना। वह सफ़र करते वक़्त यह ख़ैमा और उस का सारा सामान उठा कर ले जाएँ, उस की ख़िदमत के लिए हाज़िर रहें और रुकते वक़्त उसे अपने ख़ैमों से घेरे रखें। |
| 51. | रवाना होते वक़्त वही ख़ैमे को समेटें और रुकते वक़्त वही उसे लगाएँ। अगर कोई और उस के क़रीब आए तो उसे सज़ा-ए-मौत दी जाएगी। |
| 52. | बाक़ी इस्राईली ख़ैमागाह में अपने अपने दस्ते के मुताबिक़ और अपने अपने अलम के इर्दगिर्द अपने ख़ैमे लगाएँ। |
| 53. | लेकिन लावी अपने ख़ैमों से शरीअत की सुकूनतगाह को घेर लें ताकि मेरा ग़ज़ब किसी ग़लत शख़्स के नज़्दीक आने से इस्राईलियों की जमाअत पर नाज़िल न हो जाए। यूँ लावियों को शरीअत की सुकूनतगाह को सँभालना है।” |
| 54. | इस्राईलियों ने वैसा ही किया जैसा रब्ब ने मूसा को हुक्म दिया था। |
| Numbers (1/36) → |