Matthew (3/28)  

1. उन दिनों में यहया बपतिस्मा देने वाला आया और यहूदिया के रेगिस्तान में एलान करने लगा,
2. “तौबा करो, क्यूँकि आस्मान की बादशाही क़रीब आ गई है।”
3. यहया वही है जिस के बारे में यसायाह नबी ने फ़रमाया, ‘रेगिस्तान में एक आवाज़ पुकार रही है, रब्ब की राह तय्यार करो! उस के रास्ते सीधे बनाओ।’
4. यहया ऊँटों के बालों का लिबास पहने और कमर पर चमड़े का पटका बाँधे रहता था। ख़ुराक के तौर पर वह टिड्डियाँ और जंगली शहद खाता था।
5. लोग यरूशलम, पूरे यहूदिया और दरया-ए-यर्दन के पूरे इलाक़े से निकल कर उस के पास आए।
6. और अपने गुनाहों को तस्लीम करके उन्हों ने दरया-ए- यर्दन में यहया से बपतिस्मा लिया।
7. बहुत से फ़रीसी और सदूक़ी भी वहाँ आए जहाँ वह बपतिस्मा दे रहा था। उन्हें देख कर उस ने कहा, “ऐ ज़हरीले साँप के बच्चो! किस ने तुम्हें आने वाले ग़ज़ब से बचने की हिदायत की?
8. अपनी ज़िन्दगी से ज़ाहिर करो कि तुम ने वाक़ई तौबा की है।
9. यह ख़याल मत करो कि हम तो बच जाएँगे क्यूँकि इब्राहीम हमारा बाप है। मैं तुम को बताता हूँ कि अल्लाह इन पत्थरों से भी इब्राहीम के लिए औलाद पैदा कर सकता है।
10. अब तो अदालत की कुल्हाड़ी दरख़्तों की जड़ों पर रखी हुई है। हर दरख़्त जो अच्छा फल न लाए काटा और आग में झोंका जाएगा।
11. मैं तो तुम तौबा करने वालों को पानी से बपतिस्मा देता हूँ, लेकिन एक आने वाला है जो मुझ से बड़ा है। मैं उस के जूतों को उठाने के भी लाइक़ नहीं। वह तुम्हें रूह-उल-क़ुद्स और आग से बपतिस्मा देगा।
12. वह हाथ में छाज पकड़े हुए अनाज को भूसे से अलग करने के लिए तय्यार खड़ा है। वह गाहने की जगह बिलकुल साफ़ करके अनाज को अपने गोदाम में जमा करेगा। लेकिन भूसे को वह ऐसी आग में झोंकेगा जो बुझने की नहीं।”
13. फिर ईसा गलील से दरया-ए-यर्दन के किनारे आया ताकि यहया से बपतिस्मा ले।
14. लेकिन यहया ने उसे रोकने की कोशिश करके कहा, “मुझे तो आप से बपतिस्मा लेने की ज़रूरत है, तो फिर आप मेरे पास क्यूँ आए हैं?”
15. ईसा ने जवाब दिया, “अब होने ही दे, क्यूँकि मुनासिब है कि हम यह करते हुए अल्लाह की रास्त मर्ज़ी पूरी करें ।” इस पर यहया मान गया।
16. बपतिस्मा लेने पर ईसा फ़ौरन पानी से निकला। उसी लम्हे आस्मान खुल गया और उस ने अल्लाह के रूह को देखा जो कबूतर की तरह उतर कर उस पर ठहर गया।
17. साथ साथ आस्मान से एक आवाज़ सुनाई दी, “यह मेरा पियारा फ़र्ज़न्द है, इस से मैं ख़ुश हूँ।”

  Matthew (3/28)