Matthew (19/28)  

1. यह कहने के बाद ईसा गलील को छोड़ कर यहूदिया में दरया-ए- यर्दन के पार चला गया।
2. बड़ा हुजूम उस के पीछे हो लिया और उस ने उन्हें वहाँ शिफ़ा दी।
3. कुछ फ़रीसी आए और उसे फंसाने की ग़रज़ से सवाल किया, “क्या जाइज़ है कि मर्द अपनी बीवी को किसी भी वजह से तलाक़ दे?”
4. ईसा ने जवाब दिया, “क्या तुम ने कलाम-ए-मुक़द्दस में नहीं पढ़ा कि इबतिदा में ख़ालिक़ ने उन्हें मर्द और औरत बनाया?
5. और उस ने फ़रमाया, ‘इस लिए मर्द अपने माँ-बाप को छोड़ कर अपनी बीवी के साथ पैवस्त हो जाता है। वह दोनों एक हो जाते हैं।’
6. यूँ वह कलाम-ए-मुक़द्दस के मुताबिक़ दो नहीं रहते बल्कि एक हो जाते हैं। जिसे अल्लाह ने जोड़ा है उसे इन्सान जुदा न करे।”
7. उन्हों ने एतिराज़ किया, “तो फिर मूसा ने यह क्यूँ फ़रमाया कि आदमी तलाक़नामा लिख कर बीवी को रुख़्सत कर दे?”
8. ईसा ने जवाब दिया, “मूसा ने तुम्हारी सख़्तदिली की वजह से तुम को अपनी बीवी को तलाक़ देने की इजाज़त दी। लेकिन इबतिदा में ऐसा न था।
9. मैं तुम्हें बताता हूँ, जो अपनी बीवी को जिस ने ज़िना न किया हो तलाक़ दे और किसी और से शादी करे, वह ज़िना करता है।”
10. शागिर्दों ने उस से कहा, “अगर शौहर और बीवी का आपस का ताल्लुक़ ऐसा है तो शादी न करना बेहतर है।”
11. ईसा ने जवाब दिया, “हर कोई यह बात समझ नहीं सकता बल्कि सिर्फ़ वह जिसे इस क़ाबिल बना दिया गया हो।
12. क्यूँकि कुछ पैदाइश ही से शादी करने के क़ाबिल नहीं होते, बाज़ को दूसरों ने यूँ बनाया है और बाज़ ने आस्मान की बादशाही की ख़ातिर शादी करने से इन्कार किया है। लिहाज़ा जो यह समझ सके वह समझ ले।”
13. एक दिन छोटे बच्चों को ईसा के पास लाया गया ताकि वह उन पर अपने हाथ रख कर दुआ करे। लेकिन शागिर्दों ने लाने वालों को मलामत की।
14. यह देख कर ईसा ने कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो और उन्हें न रोको, क्यूँकि आस्मान की बादशाही इन जैसे लोगों को हासिल है।”
15. उस ने उन पर अपने हाथ रखे और फिर वहाँ से चला गया।
16. फिर एक आदमी ईसा के पास आया। उस ने कहा, “उस्ताद, में कौन सा नेक काम करूँ ताकि अबदी ज़िन्दगी मिल जाए?”
17. ईसा ने जवाब दिया, “तू मुझे नेकी के बारे में क्यूँ पूछ रहा है? सिर्फ़ एक ही नेक है। लेकिन अगर तू अबदी ज़िन्दगी में दाख़िल होना चाहता है तो अह्काम के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ार।”
18. आदमी ने पूछा, “कौन से अह्काम?” ईसा ने जवाब दिया, “क़त्ल न करना, ज़िना न करना, चोरी न करना, झूटी गवाही न देना,
19. अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना और अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आप से रखता है।”
20. जवान आदमी ने जवाब दिया, “मैं ने इन तमाम अह्काम की पैरवी की है, अब क्या रह गया है?”
21. ईसा ने उसे बताया, “अगर तू कामिल होना चाहता है तो जा और अपनी पूरी जायदाद फ़रोख़्त करके पैसे ग़रीबों में तक़्सीम कर दे। फिर तेरे लिए आस्मान पर ख़ज़ाना जमा हो जाएगा। इस के बाद आ कर मेरे पीछे हो ले।”
22. यह सुन कर नौजवान मायूस हो कर चला गया, क्यूँकि वह निहायत दौलतमन्द था।
23. इस पर ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “मैं तुम को सच्च बताता हूँ कि दौलतमन्द के लिए आस्मान की बादशाही में दाख़िल होना मुश्किल है।
24. मैं यह दुबारा कहता हूँ, अमीर के आस्मान की बादशाही में दाख़िल होने की निस्बत ज़ियादा आसान यह है कि ऊँट सूई के नाके में से गुज़र जाए।”
25. यह सुन कर शागिर्द निहायत हैरतज़दा हुए और पूछने लगे, “फिर किस को नजात हासिल हो सकती है?”
26. ईसा ने ग़ौर से उन की तरफ़ देख कर जवाब दिया, “यह इन्सान के लिए तो नामुम्किन है, लेकिन अल्लाह के लिए सब कुछ मुम्किन है।”
27. फिर पत्रस बोल उठा, “हम तो अपना सब कुछ छोड़ कर आप के पीछे हो लिए हैं। हमें क्या मिलेगा?”
28. ईसा ने उन से कहा, “मैं तुम को सच्च बताता हूँ, दुनिया की नई तख़्लीक़ पर जब इब्न-ए-आदम अपने जलाली तख़्त पर बैठेगा तो तुम भी जिन्हों ने मेरी पैरवी की है बारह तख़्तों पर बैठ कर इस्राईल के बारह क़बीलों की अदालत करोगे।
29. और जिस ने भी मेरी ख़ातिर अपने घरों, भाइयों, बहनों, बाप, माँ, बच्चों या खेतों को छोड़ दिया है उसे सौ गुना ज़ियादा मिल जाएगा और मीरास में अबदी ज़िन्दगी पाएगा।
30. लेकिन बहुत से लोग जो अब अव्वल हैं उस वक़्त आख़िर होंगे और जो अब आख़िर हैं वह अव्वल होंगे।

  Matthew (19/28)