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1. सुब्ह-सवेरे ही राहनुमा इमाम बुज़ुर्गों, शरीअत के उलमा और पूरी यहूदी अदालत-ए-आलिया के साथ मिल कर फ़ैसले तक पहुँच गए। वह ईसा को बाँध कर वहाँ से ले गए और रोमी गवर्नर पीलातुस के हवाले कर दिया।
2. पीलातुस ने उस से पूछा, “क्या तुम यहूदियों के बादशाह हो?” ईसा ने जवाब दिया, “जी, आप ख़ुद कहते हैं।”
3. राहनुमा इमामों ने उस पर बहुत इल्ज़ाम लगाए।
4. चुनाँचे पीलातुस ने दुबारा उस से सवाल किया, “क्या तुम कोई जवाब नहीं दोगे? यह तो तुम पर बहुत से इल्ज़ामात लगा रहे हैं।”
5. लेकिन ईसा ने इस पर भी कोई जवाब न दिया, और पीलातुस बड़ा हैरान हुआ।
6. उन दिनों यह रिवाज था कि हर साल फ़सह की ईद पर एक क़ैदी को रिहा कर दिया जाता था। यह क़ैदी अवाम से मुन्तख़ब किया जाता था।
7. उस वक़्त कुछ आदमी जेल में थे जो हुकूमत के ख़िलाफ़ किसी इन्क़िलाबी तहरीक में शरीक हुए थे और जिन्हों ने बग़ावत के मौक़े पर क़त्ल-ओ-ग़ारत की थी। उन में से एक का नाम बर-अब्बा था।
8. अब हुजूम ने पीलातुस के पास आ कर उस से गुज़ारिश की कि वह मामूल के मुताबिक़ एक क़ैदी को आज़ाद कर दे।
9. पीलातुस ने पूछा, “क्या तुम चाहते हो कि मैं यहूदियों के बादशाह को आज़ाद कर दूँ?”
10. वह जानता था कि राहनुमा इमामों ने ईसा को सिर्फ़ हसद की बिना पर उस के हवाले किया है।
11. लेकिन राहनुमा इमामों ने हुजूम को उकसाया कि वह ईसा के बजाय बर-अब्बा को माँगें।
12. पीलातुस ने सवाल किया, “फिर मैं इस के साथ क्या करूँ जिस का नाम तुम ने यहूदियों का बादशाह रखा है?”
13. वह चीख़े, “उसे मस्लूब करें।”
14. पीलातुस ने पूछा, “क्यूँ? उस ने क्या जुर्म किया है?” लेकिन लोग मज़ीद शोर मचा कर चीख़ते रहे, “उसे मस्लूब करें!”
15. चुनाँचे पीलातुस ने हुजूम को मुत्मइन करने की ख़ातिर बर-अब्बा को आज़ाद कर दिया। उस ने ईसा को कोड़े लगाने को कहा, फिर उसे मस्लूब करने के लिए फ़ौजियों के हवाले कर दिया।
16. फ़ौजी ईसा को गवर्नर के महल बनाम प्रैटोरियुम के सहन में ले गए और पूरी पलटन को इकट्ठा किया।
17. उन्हों ने उसे अर्ग़वानी रंग का लिबास पहनाया और काँटेदार टहनियों का एक ताज बना कर उस के सर पर रख दिया।
18. फिर वह उसे सलाम करने लगे, “ऐ यहूदियों के बादशाह, आदाब!”
19. लाठी से उस के सर पर मार मार कर वह उस पर थूकते रहे। घुटने टेक कर उन्हों ने उसे सिज्दा किया।
20. फिर उस का मज़ाक़ उड़ाने से थक कर उन्हों ने अर्ग़वानी लिबास उतार कर उसे दुबारा उस के अपने कपड़े पहनाए। फिर वह उसे मस्लूब करने के लिए बाहर ले गए।
21. उस वक़्त लिबिया के शहर कुरेन का रहने वाला एक आदमी बनाम शमाऊन दीहात से शहर को आ रहा था। वह सिकन्दर और रूफ़ुस का बाप था। जब वह ईसा और फ़ौजियों के पास से गुज़रने लगा तो फ़ौजियों ने उसे सलीब उठाने पर मज्बूर किया।
22. यूँ चलते चलते वह ईसा को एक मक़ाम पर ले गए जिस का नाम गुल्गुता (यानी खोपड़ी का मक़ाम) था।
23. वहाँ उन्हों ने उसे मै पेश की जिस में मुर मिलाया गया था, लेकिन उस ने पीने से इन्कार किया।
24. फिर फ़ौजियों ने उसे मस्लूब किया और उस के कपड़े आपस में बाँट लिए। यह फ़ैसला करने के लिए कि किस को क्या क्या मिलेगा उन्हों ने क़ुरआ डाला।
25. नौ बजे सुब्ह का वक़्त था जब उन्हों ने उसे मस्लूब किया।
26. एक तख़्ती सलीब पर लगा दी गई जिस पर यह इल्ज़ाम लिखा था, “यहूदियों का बादशाह।”
27. दो डाकुओं को भी ईसा के साथ मस्लूब किया गया, एक को उस के दहने हाथ और दूसरे को उस के बाएँ हाथ।
28. [यूँ मुक़द्दस कलाम का वह हवाला पूरा हुआ जिस में लिखा है, ‘उसे मुज्रिमों में शुमार किया गया।’]
29. जो वहाँ से गुज़रे उन्हों ने कुफ़्र बक कर उस की तज़्लील की और सर हिला हिला कर अपनी हिक़ारत का इज़्हार किया। उन्हों ने कहा, “तू ने तो कहा था कि मैं बैत-उल-मुक़द्दस को ढा कर उसे तीन दिन के अन्दर अन्दर दुबारा तामीर कर दूँगा।
30. अब सलीब पर से उतर कर अपने आप को बचा!”
31. राहनुमा इमामों और शरीअत के उलमा ने भी ईसा का मज़ाक़ उड़ा कर कहा, “इस ने औरों को बचाया, लेकिन अपने आप को नहीं बचा सकता।
32. उसराईल का यह बादशाह मसीह अब सलीब पर से उतर आए ताकि हम यह देख कर ईमान लाएँ।” और जिन आदमियों को उस के साथ मस्लूब किया गया था उन्हों ने भी उसे लान-तान की।
33. दोपहर बारह बजे पूरा मुल्क अंधेरे में डूब गया। यह तारीकी तीन घंटों तक रही।
34. फिर तीन बजे ईसा ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “एली, एली, लमा शबक़तनी?” जिस का मतलब है, “ऐ मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे ख़ुदा, तू ने मुझे क्यूँ तर्क कर दिया है?”
35. यह सुन कर पास खड़े कुछ लोग कहने लगे, “वह इल्यास नबी को बुला रहा है।”
36. किसी ने दौड़ कर मै के सिरके में एक इस्फ़ंज डुबोया और उसे डंडे पर लगा कर ईसा को चुसाने की कोशिश की। वह बोला, “आओ हम देखें, शायद इल्यास आ कर उसे सलीब पर से उतार ले।”
37. लेकिन ईसा ने बड़े ज़ोर से चिल्ला कर दम छोड़ दिया।
38. उसी वक़्त बैत-उल-मुक़द्दस के मुक़द्दसतरीन कमरे के सामने लटका हुआ पर्दा ऊपर से ले कर नीचे तक दो हिस्सों में फट गया।
39. जब ईसा के मुक़ाबिल खड़े रोमी अफ़्सर ने देखा कि वह किस तरह मरा तो उस ने कहा, “यह आदमी वाक़ई अल्लाह का फ़र्ज़न्द था!”
40. कुछ ख़वातीन भी वहाँ थीं जो कुछ फ़ासिले पर उस का मुशाहदा कर रही थीं। उन में मरियम मग्दलीनी, छोटे याक़ूब और योसेस की माँ मरियम और सलोमी भी थीं।
41. गलील में यह औरतें ईसा के पीछे चल कर इस की ख़िदमत करती रही थीं। कई और ख़वातीन भी वहाँ थीं जो उस के साथ यरूशलम आ गई थीं।
42. यह सब कुछ जुमए को हुआ जो अगले दिन के सबत के लिए तय्यारी का दिन था। जब शाम होने को थी
43. तो अरिमतियाह का एक आदमी बनाम यूसुफ़ हिम्मत करके पीलातुस के पास गया और उस से ईसा की लाश माँगी। (यूसुफ़ यहूदी अदालत-ए-अलिया का नामवर मैम्बर था और अल्लाह की बादशाही के आने के इन्तिज़ार में था।)
44. पीलातुस यह सुन कर हैरान हुआ कि ईसा मर चुका है। उस ने रोमी अफ़्सर को बुला कर उस से पूछा कि क्या ईसा वाक़ई मर चुका है?
45. जब अफ़्सर ने इस की तस्दीक़ की तो पीलातुस ने यूसुफ़ को लाश दे दी।
46. यूसुफ़ ने कफ़न ख़रीद लिया, फिर ईसा की लाश उतार कर उसे कतान के कफ़न में लपेटा और एक क़ब्र में रख दिया जो चटान में तराशी गई थी। आख़िर में उस ने एक बड़ा पत्थर लुढ़का कर क़ब्र का मुँह बन्द कर दिया।
47. मरियम मग्दलीनी और योसेस की माँ मरियम ने देख लिया कि ईसा की लाश कहाँ रखी गई है।

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