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1. | मख़्सूसियत के सात दिन के बाद मूसा ने आठवें दिन हारून, उस के बेटों और इस्राईल के बुज़ुर्गों को बुलाया। |
2. | उस ने हारून से कहा, “एक बेऐब बछड़ा और एक बेऐब मेंढा चुन कर रब्ब को पेश कर। बछड़ा गुनाह की क़ुर्बानी के लिए और मेंढा भस्म होने वाली क़ुर्बानी के लिए हो। |
3. | फिर इस्राईलियों को कह देना कि गुनाह की क़ुर्बानी के लिए एक बक्रा जबकि भस्म होने वाली क़ुर्बानी के लिए एक बेऐब यकसाला बछड़ा और एक बेऐब यकसाला भेड़ का बच्चा पेश करो। |
4. | साथ ही सलामती की क़ुर्बानी के लिए एक बैल और एक मेंढा चुनो। तेल के साथ मिलाई हुई ग़ल्ला की नज़र भी ले कर सब कुछ रब्ब को पेश करो। क्यूँकि आज ही रब्ब तुम पर ज़ाहिर होगा।” |
5. | इस्राईली मूसा की मतलूबा तमाम चीज़ें मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने ले आए। पूरी जमाअत क़रीब आ कर रब्ब के सामने खड़ी हो गई। |
6. | मूसा ने उन से कहा, “तुम्हें वही करना है जिस का हुक्म रब्ब ने तुम्हें दिया है। क्यूँकि आज ही रब्ब का जलाल तुम पर ज़ाहिर होगा।” |
7. | फिर उस ने हारून से कहा, “क़ुर्बानगाह के पास जा कर गुनाह की क़ुर्बानी और भस्म होने वाली क़ुर्बानी चढ़ा कर अपना और अपनी क़ौम का कफ़्फ़ारा देना। रब्ब के हुक्म के मुताबिक़ क़ौम के लिए भी क़ुर्बानी पेश करना ताकि उस का कफ़्फ़ारा दिया जाए।” |
8. | हारून क़ुर्बानगाह के पास आया। उस ने बछड़े को ज़बह किया। यह उस के लिए गुनाह की क़ुर्बानी था। |
9. | उस के बेटे बछड़े का ख़ून उस के पास ले आए। उस ने अपनी उंगली ख़ून में डुबो कर उसे क़ुर्बानगाह के सींगों पर लगाया। बाक़ी ख़ून को उस ने क़ुर्बानगाह के पाए पर उंडेल दिया। |
10. | फिर उस ने उस की चर्बी, गुर्दों और जोड़कलेजी को क़ुर्बानगाह पर जला दिया। जैसे रब्ब ने मूसा को हुक्म दिया था वैसे ही हारून ने किया। |
11. | बछड़े का गोश्त और खाल उस ने ख़ैमागाह के बाहर ले जा कर जला दी। |
12. | इस के बाद हारून ने भस्म होने वाली क़ुर्बानी को ज़बह किया। उस के बेटों ने उसे उस का ख़ून दिया, और उस ने उसे क़ुर्बानगाह के चार पहलूओं पर छिड़क दिया। |
13. | उन्हों ने उसे क़ुर्बानी के मुख़्तलिफ़ टुकड़े सर समेत दिए, और उस ने उन्हें क़ुर्बानगाह पर जला दिया। |
14. | फिर उस ने उस की अंतड़ियाँ और पिंडलियाँ धो कर भस्म होने वाली क़ुर्बानी की बाक़ी चीज़ों पर रख कर जला दीं। |
15. | अब हारून ने क़ौम के लिए क़ुर्बानी चढ़ाई। उस ने गुनाह की क़ुर्बानी के लिए बक्रा ज़बह करके उसे पहली क़ुर्बानी की तरह चढ़ाया। |
16. | उस ने भस्म होने वाली क़ुर्बानी भी क़वाइद के मुताबिक़ चढ़ाई। |
17. | उस ने ग़ल्ला की नज़र पेश की और उस में से मुट्ठी भर क़ुर्बानगाह पर जला दिया। यह ग़ल्ला की उस नज़र के इलावा थी जो सुब्ह को भस्म होने वाली क़ुर्बानी के साथ चढ़ाई गई थी। |
18. | फिर उस ने सलामती की क़ुर्बानी के लिए बैल और मेंढे को ज़बह किया। यह भी क़ौम के लिए थी। उस के बेटों ने उसे जानवरों का ख़ून दिया, और उस ने उसे क़ुर्बानगाह के चार पहलूओं पर छिड़क दिया। |
19. | लेकिन उन्हों ने बैल और मेंढे को चर्बी, दुम, अंतड़ियों पर की चर्बी और जोड़कलेजी निकाल कर |
20. | सीने के टुकड़ों पर रख दिया। हारून ने चर्बी का हिस्सा क़ुर्बानगाह पर जला दिया। |
21. | सीने के टुकड़े और दहनी रानें उस ने हिलाने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब के सामने हिलाईं। उस ने सब कुछ मूसा के हुक्म के मुताबिक़ ही किया। |
22. | तमाम क़ुर्बानियाँ पेश करने के बाद हारून ने अपने हाथ उठा कर क़ौम को बर्कत दी। फिर वह क़ुर्बानगाह से उतर कर |
23. | मूसा के साथ मुलाक़ात के ख़ैमे में दाख़िल हुआ। जब दोनों बाहर आए तो उन्हों ने क़ौम को बर्कत दी। तब रब्ब का जलाल पूरी क़ौम पर ज़ाहिर हुआ। |
24. | रब्ब के हुज़ूर से आग निकल कर क़ुर्बानगाह पर उतरी और भस्म होने वाली क़ुर्बानी और चर्बी के टुकड़े भस्म कर दिए। यह देख कर लोग ख़ुशी के नारे मारने लगे और मुँह के बल गिर गए। |
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