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1. | अगर कोई रब्ब को सलामती की क़ुर्बानी पेश करने के लिए गाय या बैल चढ़ाना चाहे तो वह जानवर बेऐब हो। |
2. | वह अपना हाथ जानवर के सर पर रख कर उसे मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर ज़बह करे। हारून के बेटे जो इमाम हैं उस का ख़ून क़ुर्बानगाह के चार पहलूओं पर छिड़कें। |
3. | पेश करने वाला अंतड़ियों पर की सारी चर्बी, गुर्दे उस चर्बी समेत जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और जोड़कलेजी जलने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब को पेश करे। इन चीज़ों को गुर्दों के साथ ही अलग करना है। |
4. | पेश करने वाला अंतड़ियों पर की सारी चर्बी, गुर्दे उस चर्बी समेत जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और जोड़कलेजी जलने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब को पेश करे। इन चीज़ों को गुर्दों के साथ ही अलग करना है। |
5. | फिर हारून के बेटे यह सब कुछ भस्म होने वाली क़ुर्बानी के साथ क़ुर्बानगाह की लकड़ियों पर जला दें। यह जलने वाली क़ुर्बानी है, और इस की ख़ुश्बू रब्ब को पसन्द है। |
6. | अगर सलामती की क़ुर्बानी के लिए भेड़-बक्रियों में से जानवर चुना जाए तो वह बेऐब नर या मादा हो। |
7. | अगर वह भेड़ का बच्चा चढ़ाना चाहे तो वह उसे रब्ब के सामने ले आए। |
8. | वह अपना हाथ उस के सर पर रख कर उसे मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने ज़बह करे। हारून के बेटे उस का ख़ून क़ुर्बानगाह के चार पहलूओं पर छिड़कें। |
9. | पेश करने वाला चर्बी, पूरी दुम, अंतड़ियों पर की सारी चर्बी, गुर्दे उस चर्बी समेत जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और जोड़कलेजी जलने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब को पेश करे। इन चीज़ों को गुर्दों के साथ ही अलग करना है। |
10. | पेश करने वाला चर्बी, पूरी दुम, अंतड़ियों पर की सारी चर्बी, गुर्दे उस चर्बी समेत जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और जोड़कलेजी जलने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब को पेश करे। इन चीज़ों को गुर्दों के साथ ही अलग करना है। |
11. | इमाम यह सब कुछ रब्ब को पेश करके क़ुर्बानगाह पर जला दे। यह ख़ुराक जलने वाली क़ुर्बानी है। |
12. | अगर सलामती की क़ुर्बानी बक्री की हो |
13. | तो पेश करने वाला उस पर हाथ रख कर उसे मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने ज़बह करे। हारून के बेटे जानवर का ख़ून क़ुर्बानगाह के चार पहलूओं पर छिड़कें। |
14. | पेश करने वाला अंतड़ियों पर की सारी चर्बी, गुर्दे उस चर्बी समेत जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और जोड़कलेजी जलने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब को पेश करे। इन चीज़ों को गुर्दों के साथ ही अलग करना है। |
15. | पेश करने वाला अंतड़ियों पर की सारी चर्बी, गुर्दे उस चर्बी समेत जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और जोड़कलेजी जलने वाली क़ुर्बानी के तौर पर रब्ब को पेश करे। इन चीज़ों को गुर्दों के साथ ही अलग करना है। |
16. | इमाम यह सब कुछ रब्ब को पेश करके क़ुर्बानगाह पर जला दे। यह ख़ुराक जलने वाली क़ुर्बानी है, और इस की ख़ुश्बू रब्ब को पसन्द है। सारी चर्बी रब्ब की है। |
17. | तुम्हारे लिए ख़ून या चर्बी खाना मना है। यह न सिर्फ़ तुम्हारे लिए मना है बल्कि तुम्हारी औलाद के लिए भी, न सिर्फ़ यहाँ बल्कि हर जगह जहाँ तुम रहते हो।” |
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