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1. | जब हारून के दो बेटे रब्ब के क़रीब आ कर हलाक हुए तो इस के बाद रब्ब मूसा से हमकलाम हुआ। |
2. | उस ने कहा, “अपने भाई हारून को बताना कि वह सिर्फ़ मुक़र्ररा वक़्त पर पर्दे के पीछे मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल हो कर अह्द के सन्दूक़ के ढकने के सामने खड़ा हो जाए, वर्ना वह मर जाएगा। क्यूँकि मैं ख़ुद उस ढकने के ऊपर बादल की सूरत में ज़ाहिर होता हूँ। |
3. | और जब भी वह दाख़िल हो तो गुनाह की क़ुर्बानी के लिए एक जवान बैल और भस्म होने वाली क़ुर्बानी के लिए एक मेंढा पेश करे। |
4. | पहले वह नहा कर इमाम के कतान के मुक़द्दस कपड़े पहन ले यानी ज़ेरजामा, उस के नीचे पाजामा, फिर कमरबन्द और पगड़ी। |
5. | इस्राईल की जमाअत हारून को गुनाह की क़ुर्बानी के लिए दो बक्रे और भस्म होने वाली क़ुर्बानी के लिए एक मेंढा दे। |
6. | पहले हारून अपने और अपने घराने के लिए जवान बैल को गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर चढ़ाए। |
7. | फिर वह दोनों बक्रों को मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर रब्ब के सामने ले आए। |
8. | वहाँ वह क़ुरआ डाल कर एक को रब्ब के लिए चुने और दूसरे को अज़ाज़ेल के लिए। |
9. | जो बक्रा रब्ब के लिए है उसे वह गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर पेश करे। |
10. | दूसरा बक्रा जो क़ुरए के ज़रीए अज़ाज़ेल के लिए चुना गया उसे ज़िन्दा हालत में रब्ब के सामने खड़ा किया जाए ताकि वह जमाअत का कफ़्फ़ारा दे। वहाँ से उसे रेगिस्तान में अज़ाज़ेल के पास भेजा जाए। |
11. | लेकिन पहले हारून जवान बैल को गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर चढ़ा कर अपना और अपने घराने का कफ़्फ़ारा दे। उसे ज़बह करने के बाद |
12. | वह बख़ूर की क़ुर्बानगाह से जलते हुए कोइलों से भरा हुआ बर्तन ले कर अपनी दोनों मुट्ठियाँ बारीक ख़ुश्बूदार बख़ूर से भर ले और मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल हो जाए। |
13. | वहाँ वह रब्ब के हुज़ूर बख़ूर को जलते हुए कोइलों पर डाल दे। इस से पैदा होने वाला धुआँ अह्द के सन्दूक़ का ढकना छुपा देगा ताकि हारून मर न जाए। |
14. | अब वह जवान बैल के ख़ून में से कुछ ले कर अपनी उंगली से ढकने के सामने वाले हिस्से पर छिड़के, फिर कुछ अपनी उंगली से सात बार उस के सामने ज़मीन पर छिड़के। |
15. | इस के बाद वह उस बक्रे को ज़बह करे जो क़ौम के लिए गुनाह की क़ुर्बानी है। वह उस का ख़ून मुक़द्दसतरीन कमरे में ले आए और उसे बैल के ख़ून की तरह अह्द के सन्दूक़ के ढकने पर और सात बार उस के सामने ज़मीन पर छिड़के। |
16. | यूँ वह मुक़द्दसतरीन कमरे का कफ़्फ़ारा देगा जो इस्राईलियों की नापाकियों और तमाम गुनाहों से मुतअस्सिर होता रहता है। इस से वह मुलाक़ात के पूरे ख़ैमे का भी कफ़्फ़ारा देगा जो ख़ैमागाह के दर्मियान होने के बाइस इस्राईलियों की नापाकियों से मुतअस्सिर होता रहता है। |
17. | जितना वक़्त हारून अपना, अपने घराने का और इस्राईल की पूरी जमाअत का कफ़्फ़ारा देने के लिए मुक़द्दसतरीन कमरे में रहेगा इस दौरान किसी दूसरे को मुलाक़ात के ख़ैमे में ठहरने की इजाज़त नहीं है। |
18. | फिर वह मुक़द्दसतरीन कमरे से निकल कर ख़ैमे में रब्ब के सामने पड़ी क़ुर्बानगाह का कफ़्फ़ारा दे। वह बैल और बक्रे के ख़ून में से कुछ ले कर उसे क़ुर्बानगाह के चारों सींगों पर लगाए। |
19. | कुछ ख़ून वह अपनी उंगली से सात बार उस पर छिड़क दे। यूँ वह उसे इस्राईलियों की नापाकियों से पाक करके मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करेगा। |
20. | मुक़द्दसतरीन कमरे, मुलाक़ात के ख़ैमे और क़ुर्बानगाह का कफ़्फ़ारा देने के बाद हारून ज़िन्दा बक्रे को सामने लाए। |
21. | वह अपने दोनों हाथ उस के सर पर रखे और इस्राईलियों के तमाम क़ुसूर यानी उन के तमाम जराइम और गुनाहों का इक़्रार करके उन्हें बक्रे के सर पर डाल दे। फिर वह उसे रेगिस्तान में भेज दे। इस के लिए वह बक्रे को एक आदमी के सपुर्द करे जिसे यह ज़िम्मादारी दी गई है। |
22. | बक्रा अपने आप पर उन का तमाम क़ुसूर उठा कर किसी वीरान जगह में ले जाएगा। वहाँ साथ वाला आदमी उसे छोड़ आए। |
23. | इस के बाद हारून मुलाक़ात के ख़ैमे में जाए और कतान के वह कपड़े जो उस ने मुक़द्दसतरीन कमरे में दाख़िल होने से पेशतर पहन लिए थे उतार कर वहीं छोड़ दे। |
24. | वह मुक़द्दस जगह पर नहा कर अपनी ख़िदमत के आम कपड़े पहन ले। फिर वह बाहर आ कर अपने और अपनी क़ौम के लिए भस्म होने वाली क़ुर्बानी पेश करे ताकि अपना और अपनी क़ौम का कफ़्फ़ारा दे। |
25. | इस के इलावा वह गुनाह की क़ुर्बानी की चर्बी क़ुर्बानगाह पर जला दे। |
26. | जो आदमी अज़ाज़ेल के लिए बक्रे को रेगिस्तान में छोड़ आया है वह अपने कपड़े धो कर नहा ले। इस के बाद वह ख़ैमागाह में आ सकता है। |
27. | जिस बैल और बक्रे को गुनाह की क़ुर्बानी के लिए पेश किया गया और जिन का ख़ून कफ़्फ़ारा देने के लिए मुक़द्दसतरीन कमरे में लाया गया, लाज़िम है कि उन की खालें, गोश्त और गोबर ख़ैमागाह के बाहर जला दिया जाए। |
28. | यह चीज़ें जलाने वाला बाद में अपने कपड़े धो कर नहा ले। फिर वह ख़ैमागाह में आ सकता है। |
29. | लाज़िम है कि सातवें महीने के दसवें दिन इस्राईली और उन के दर्मियान रहने वाले परदेसी अपनी जान को दुख दें और काम न करें। यह उसूल तुम्हारे लिए अबद तक क़ाइम रहे। |
30. | इस दिन तुम्हारा कफ़्फ़ारा दिया जाएगा ताकि तुम्हें पाक किया जाए। तब तुम रब्ब के सामने अपने तमाम गुनाहों से पाक ठहरोगे। |
31. | पूरा दिन आराम करो और अपनी जान को दुख दो। यह उसूल अबद तक क़ाइम रहे। |
32. | इस दिन इमाम-ए-आज़म तुम्हारा कफ़्फ़ारा दे, वह इमाम जिसे उस के बाप की जगह मसह किया गया और इख़तियार दिया गया है। वह कतान के मुक़द्दस कपड़े पहन कर |
33. | मुक़द्दसतरीन कमरे, मुलाक़ात के ख़ैमे, क़ुर्बानगाह, इमामों और जमाअत के तमाम लोगों का कफ़्फ़ारा दे। |
34. | लाज़िम है कि साल में एक दफ़ा इस्राईलियों के तमाम गुनाहों का कफ़्फ़ारा दिया जाए। यह उसूल तुम्हारे लिए अबद तक क़ाइम रहे।” सब कुछ वैसे ही किया गया जैसा रब्ब ने मूसा को हुक्म दिया था। |
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