Leviticus (11/27)  

1. रब्ब ने मूसा और हारून से कहा,
2. “इस्राईलियों को बताना कि तुम्हें ज़मीन पर रहने वाले जानवरों में से ज़ैल के जानवरों को खाने की इजाज़त है :
3. जिन के खुर या पाँओ बिलकुल चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं उन्हें खाने की इजाज़त है।
4. ऊँट, बिज्जू या ख़रगोश खाना मना है। वह आप के लिए नापाक हैं, क्यूँकि वह जुगाली तो करते हैं लेकिन उन के खुर या पाँओ चिरे हुए नहीं हैं।
5. ऊँट, बिज्जू या ख़रगोश खाना मना है। वह आप के लिए नापाक हैं, क्यूँकि वह जुगाली तो करते हैं लेकिन उन के खुर या पाँओ चिरे हुए नहीं हैं।
6. ऊँट, बिज्जू या ख़रगोश खाना मना है। वह आप के लिए नापाक हैं, क्यूँकि वह जुगाली तो करते हैं लेकिन उन के खुर या पाँओ चिरे हुए नहीं हैं।
7. सूअर न खाना। वह तुम्हारे लिए नापाक है, क्यूँकि उस के खुर तो चिरे हुए हैं लेकिन वह जुगाली नहीं करता।
8. न उन का गोश्त खाना, न उन की लाशों को छूना। वह तुम्हारे लिए नापाक हैं।
9. समुन्दरी और दरयाई जानवर खाने के लिए जाइज़ हैं अगर उन के पर और छिलके हों।
10. लेकिन जिन के पर या छिलके नहीं हैं वह सब तुम्हारे लिए मक्रूह हैं, ख़्वाह वह बड़ी तादाद में मिल कर रहते हैं या नहीं।
11. इस लिए उन का गोश्त खाना मना है, और उन की लाशों से भी घिन खाना है।
12. पानी में रहने वाले तमाम जानवर जिन के पर या छिलके न हों तुम्हारे लिए मक्रूह हैं।
13. ज़ैल के परिन्दे तुम्हारे लिए क़ाबिल-ए-घिन हों। इन्हें खाना मना है, क्यूँकि वह मक्रूह हैं : उक़ाब, दढ़ियल गिद्ध, काला गिद्ध,
14. लाल चील, हर क़िस्म की काली चील,
15. हर क़िस्म का कव्वा,
16. उक़ाबी उल्लू, छोटे कान वाला उल्लू, बड़े कान वाला उल्लू, हर क़िस्म का बाज़,
17. छोटा उल्लू, क़ूक़, चिंघाड़ने वाला उल्लू,
18. सफ़ेद उल्लू, दश्ती उल्लू, मिस्री गिद्ध,
19. लक़्लक़, हर क़िस्म का बूतीमार, हुदहुद और चमगादड़ ।
20. तमाम पर रखने वाले कीड़े जो चार पाँओ पर चलते हैं तुम्हारे लिए मक्रूह हैं,
21. सिवा-ए-उन के जिन की टाँगों के दो हिस्से हैं और जो फुदकते हैं। उन को तुम खा सकते हो।
22. इस नाते से तुम मुख़्तलिफ़ क़िस्म के टिड्डे खा सकते हो।
23. बाक़ी सब पर रखने वाले कीड़े जो चार पाँओ पर चलते हैं तुम्हारे लिए मक्रूह हैं।
24. जो भी ज़ैल के जानवरों की लाशें छुए वह शाम तक नापाक रहेगा : (अलिफ़) खुर रखने वाले तमाम जानवर सिवा-ए-उन के जिन के खुर या पाँओ पूरे तौर पर चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं, (बे) तमाम जानवर जो अपने चार पंजों पर चलते हैं। यह जानवर तुम्हारे लिए नापाक हैं, और जो भी उन की लाशें उठाए या छुए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। इस के बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहेगा।
25. जो भी ज़ैल के जानवरों की लाशें छुए वह शाम तक नापाक रहेगा : (अलिफ़) खुर रखने वाले तमाम जानवर सिवा-ए-उन के जिन के खुर या पाँओ पूरे तौर पर चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं, (बे) तमाम जानवर जो अपने चार पंजों पर चलते हैं। यह जानवर तुम्हारे लिए नापाक हैं, और जो भी उन की लाशें उठाए या छुए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। इस के बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहेगा।
26. जो भी ज़ैल के जानवरों की लाशें छुए वह शाम तक नापाक रहेगा : (अलिफ़) खुर रखने वाले तमाम जानवर सिवा-ए-उन के जिन के खुर या पाँओ पूरे तौर पर चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं, (बे) तमाम जानवर जो अपने चार पंजों पर चलते हैं। यह जानवर तुम्हारे लिए नापाक हैं, और जो भी उन की लाशें उठाए या छुए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। इस के बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहेगा।
27. जो भी ज़ैल के जानवरों की लाशें छुए वह शाम तक नापाक रहेगा : (अलिफ़) खुर रखने वाले तमाम जानवर सिवा-ए-उन के जिन के खुर या पाँओ पूरे तौर पर चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं, (बे) तमाम जानवर जो अपने चार पंजों पर चलते हैं। यह जानवर तुम्हारे लिए नापाक हैं, और जो भी उन की लाशें उठाए या छुए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। इस के बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहेगा।
28. जो भी ज़ैल के जानवरों की लाशें छुए वह शाम तक नापाक रहेगा : (अलिफ़) खुर रखने वाले तमाम जानवर सिवा-ए-उन के जिन के खुर या पाँओ पूरे तौर पर चिरे हुए हैं और जो जुगाली करते हैं, (बे) तमाम जानवर जो अपने चार पंजों पर चलते हैं। यह जानवर तुम्हारे लिए नापाक हैं, और जो भी उन की लाशें उठाए या छुए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। इस के बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहेगा।
29. ज़मीन पर रेंगने वाले जानवरों में से छछूँदर, मुख़्तलिफ़ क़िस्म के चूहे और मुख़्तलिफ़ क़िस्म की छिपकलियाँ तुम्हारे लिए नापाक हैं।
30. ज़मीन पर रेंगने वाले जानवरों में से छछूँदर, मुख़्तलिफ़ क़िस्म के चूहे और मुख़्तलिफ़ क़िस्म की छिपकलियाँ तुम्हारे लिए नापाक हैं।
31. जो भी उन्हें और उन की लाशें छू लेता है वह शाम तक नापाक रहेगा।
32. अगर उन में से किसी की लाश किसी चीज़ पर गिर पड़े तो वह भी नापाक हो जाएगी। इस से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वह लकड़ी, कपड़े, चमड़े या टाट की बनी हो, न इस से कोई फ़र्क़ पड़ता है कि वह किस काम के लिए इस्तेमाल की जाती है। उसे हर सूरत में पानी में डुबोना है। तो भी वह शाम तक नापाक रहेगी।
33. अगर ऐसी लाश मिट्टी के बर्तन में गिर जाए तो जो कुछ भी उस में है नापाक हो जाएगा और तुम्हें उस बर्तन को तोड़ना है।
34. हर खाने वाली चीज़ जिस पर ऐसे बर्तन का पानी डाला गया है नापाक है। इसी तरह उस बर्तन से निकली हुई हर पीने वाली चीज़ नापाक है।
35. जिस पर भी ऐसी लाश गिर पड़े वह नापाक हो जाता है। अगर वह तनूर या चूल्हे पर गिर पड़े तो उन को तोड़ देना है। वह नापाक हैं और तुम्हारे लिए नापाक रहेंगे।
36. लेकिन जिस चश्मे या हौज़ में ऐसी लाश गिरे वह पाक रहता है। सिर्फ़ वह जो लाश को छू लेता है नापाक हो जाता है।
37. अगर ऐसी लाश बीजों पर गिर पड़े जिन को अभी बोना है तो वह पाक रहते हैं।
38. लेकिन अगर बीजों पर पानी डाला गया हो और फिर लाश उन पर गिर पड़े तो वह नापाक हैं।
39. अगर ऐसा जानवर जिसे खाने की इजाज़त है मर जाए तो जो भी उस की लाश छुए शाम तक नापाक रहेगा।
40. जो उस में से कुछ खाए या उसे उठा कर ले जाए उसे अपने कपड़ों को धोना है। तो भी वह शाम तक नापाक रहेगा।
41. हर जानवर जो ज़मीन पर रेंगता है क़ाबिल-ए-घिन है। उसे खाना मना है,
42. चाहे वह अपने पेट पर चाहे चार या इस से ज़ाइद पाँओ पर चलता हो।
43. इन तमाम रेंगने वालों से अपने आप को घिन का बाइस और नापाक न बनाना,
44. क्यूँकि मैं रब्ब तुम्हारा ख़ुदा हूँ। लाज़िम है कि तुम अपने आप को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस रखो, क्यूँकि मैं क़ुद्दूस हूँ। अपने आप को ज़मीन पर रेंगने वाले तमाम जानवरों से नापाक न बनाना।
45. मैं रब्ब हूँ। मैं तुम्हें मिस्र से निकाल लाया हूँ ताकि तुम्हारा ख़ुदा बनूँ। लिहाज़ा मुक़द्दस रहो, क्यूँकि मैं क़ुद्दूस हूँ।
46. ज़मीन पर चलने वाले जानवरों, परिन्दों, आबी जानवरों और ज़मीन पर रेंगने वाले जानवरों के बारे में शरअ यही है।
47. लाज़िम है कि तुम नापाक और पाक में इमतियाज़ करो, ऐसे जानवरों में जो खाने के लिए जाइज़ हैं और ऐसों में जो नाजाइज़ हैं।”

  Leviticus (11/27)