Lamentations (2/5)  

1. हाय, रब्ब का क़हर काले बादलों की तरह सिय्यून बेटी पर छा गया है! इस्राईल की जो शान-ओ-शौकत पहले आस्मान की तरह बुलन्द थी उसे अल्लाह ने ख़ाक में मिला दिया है। जब उस का ग़ज़ब नाज़िल हुआ तो उस ने अपने घर का भी ख़याल न किया, गो वह उस के पाँओ की चौकी है।
2. रब्ब ने बेरहमी से याक़ूब की आबादियों को मिटा डाला, क़हर में यहूदाह बेटी के क़िलओं को ढा दिया। उस ने यहूदाह की सल्तनत और बुज़ुर्गों को ख़ाक में मिला कर उन की बेहुरमती की है।
3. ग़ज़बनाक हो कर उस ने इस्राईल की पूरी ताक़त ख़त्म कर दी। फिर जब दुश्मन क़रीब आया तो उस ने अपने दहने हाथ को इस्राईल की मदद करने से रोक लिया। न सिर्फ़ यह बल्कि वह शोलाज़न आग बन गया जिस ने याक़ूब में चारों तरफ़ फैल कर सब कुछ भस्म कर दिया।
4. अपनी कमान को तान कर वह अपने दहने हाथ से तीर चलाने के लिए उठा। दुश्मन की तरह उस ने सब कुछ जो मनमोहन था मौत के घाट उतारा। सिय्यून बेटी का ख़ैमा उस के क़हर के भड़कते कोइलों से भर गया।
5. रब्ब ने इस्राईल का दुश्मन सा बन कर मुल्क को उस के महलों और क़िलओं समेत तबाह कर दिया है। उसी के हाथों यहूदाह बेटी की आह-ओ-ज़ारी में इज़ाफ़ा होता गया।
6. उस ने अपनी सुकूनतगाह को बाग़ की झोंपड़ी की तरह गिरा दिया, उसी मक़ाम को बर्बाद कर दिया जहाँ क़ौम उस से मिलने के लिए जमा होती थी। रब्ब के हाथों यूँ हुआ कि अब सिय्यून की ईदों और सबतों की याद ही नहीं रही। उस के शदीद क़हर ने बादशाह और इमाम दोनों को रद्द कर दिया है।
7. अपनी क़ुर्बानगाह और मक़्दिस को मुस्तरद करके रब्ब ने यरूशलम के महलों की दीवारें दुश्मन के हवाले कर दीं। तब रब्ब के घर में भी ईद के दिन का सा शोर मच गया।
8. रब्ब ने फ़ैसला किया कि सिय्यून बेटी की फ़सील को गिरा दिया जाए। उस ने फ़ीते से दीवारों को नाप नाप कर अपने हाथ को न रोका जब तक सब कुछ तबाह न हो गया। तब क़िलआबन्दी के पुश्ते और फ़सील मातम करते करते ज़ाए हो गए।
9. शहर के दरवाज़े ज़मीन में धँस गए, उन के कुंडे टूट कर बेकार हो गए। यरूशलम के बादशाह और राहनुमा दीगर अक़्वाम में जिलावतन हो गए हैं। अब न शरीअत रही, न सिय्यून के नबियों को रब्ब की रोया मिलती है।
10. सिय्यून बेटी के बुज़ुर्ग ख़ामोशी से ज़मीन पर बैठ गए हैं। टाट के लिबास ओढ़ कर उन्हों ने अपने सरों पर ख़ाक डाल ली है। यरूशलम की कुंवारियाँ भी अपने सरों को झुकाए बैठी हैं।
11. मेरी आँखें रो रो कर थक गई हैं, शदीद दर्द ने मेरे दिल को बेहाल कर दिया है। क्यूँकि मेरी क़ौम नेस्त हो गई है। शहर के चौकों में बच्चे पझ़मुर्दा हालत में फिर रहे हैं, शीरख़्वार बच्चे ग़श खा रहे हैं। यह देख कर मेरा कलेजा फट रहा है।
12. अपनी माँ से वह पूछते हैं, “रोटी और मै कहाँ है?” लेकिन बेफ़ाइदा। वह मौत के घाट उतरने वाले ज़ख़्मी आदमियों की तरह चौकों में भूकों मर रहे हैं, उन की जान माँ की गोद में ही निकल रही है।
13. ऐ यरूशलम बेटी, मैं किस से तेरा मुवाज़ना करके तेरी हौसलाअफ़्ज़ाई करूँ? ऐ कुंवारी सिय्यून बेटी, मैं किस से तेरा मुक़ाबला करके तुझे तसल्ली दूँ? क्यूँकि तुझे समुन्दर जैसा वसी नुक़्सान पहुँचा है। कौन तुझे शिफ़ा दे सकता है?
14. तेरे नबियों ने तुझे झूटी और बेकार रोयाएँ पेश कीं। उन्हों ने तेरा क़ुसूर तुझ पर ज़ाहिर न किया, हालाँकि उन्हें करना चाहिए था ताकि तू इस सज़ा से बच जाती। इस के बजाय उन्हों ने तुझे झूट और फ़रेबदिह पैग़ामात सुनाए।
15. अब तेरे पास से गुज़रने वाले ताली बजा कर आवाज़े कसते हैं। यरूशलम बेटी को देख कर वह सर हिलाते हुए तौबा तौबा कहते हैं, “क्या यह वह शहर है जो ‘तक्मील-ए-हुस्न’ और ‘तमाम दुनिया की ख़ुशी’ कहलाता था?”
16. तेरे तमाम दुश्मन मुँह पसार कर तेरे ख़िलाफ़ बातें करते हैं। वह आवाज़े कसते और दाँत पीसते हुए कहते हैं, “हम ने उसे हड़प कर लिया है। लो, वह दिन आ गया है जिस के इन्तिज़ार में हम रहे। आख़िरकार वह पहुँच गया, आख़िरकार हम ने अपनी आँखों से उसे देख लिया है।”
17. अब रब्ब ने अपनी मर्ज़ी पूरी की है। अब उस ने सब कुछ पूरा किया है जो बड़ी देर से फ़रमाता आया है। बेरहमी से उस ने तुझे ख़ाक में मिला दिया। उसी ने होने दिया कि दुश्मन तुझ पर शादियाना बजाता, कि तेरे मुख़ालिफ़ों की ताक़त तुझ पर ग़ालिब आ गई है।
18. लोगों के दिल रब्ब को पुकारते हैं। ऐ सिय्यून बेटी की फ़सील, तेरे आँसू दिन रात बहते बहते नदी बन जाएँ। न इस से बाज़ आ, न अपनी आँखों को रोने से रुकने दे!
19. उठ, रात के हर पहर की इबतिदा में आह-ओ-ज़ारी कर! अपने दिल की हर बात पानी की तरह रब्ब के हुज़ूर उंडेल दे। अपने हाथों को उस की तरफ़ उठा कर अपने बच्चों की जानों के लिए इल्तिजा कर जो इस वक़्त गली गली में भूकों मर रहे हैं।
20. ऐ रब्ब, ध्यान से देख कि तू ने किस से ऐसा सुलूक किया है। क्या यह औरतें अपने पेट का फल, अपने लाडले बच्चों को खाएँ? क्या रब्ब के मक़्दिस में ही इमाम और नबी को मार डाला जाए?
21. लड़कों और बुज़ुर्गों की लाशें मिल कर गलियों में पड़ी हैं। मेरे जवान लड़के-लड़कियाँ तल्वार की ज़द में आ कर गिर गए हैं। जब तेरा ग़ज़ब नाज़िल हुआ तो तू ने उन्हें मार डाला, बेरहमी से उन्हें मौत के घाट उतार दिया।
22. जिन से मैं दह्शत खाता था उन्हें तू ने बुलाया। जिस तरह बड़ी ईदों के मौक़े पर हुजूम शहर में जमा होते हैं उसी तरह दुश्मन चारों तरफ़ से मुझ पर टूट पड़े। जब रब्ब का ग़ज़ब नाज़िल हुआ तो न कोई बचा, न कोई बाक़ी रह गया। जिन्हें मैं ने पाला और जो मेरे ज़ेर-ए-निगरानी पर्वान चढ़े उन्हें दुश्मन ने हलाक कर दिया।

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