Judges (8/21)  

1. लेकिन इफ़्राईम के मर्दों ने शिकायत की, “आप ने हम से कैसा सुलूक किया? आप ने हमें क्यूँ नहीं बुलाया जब मिदियान से लड़ने गए?” ऐसी बातें करते करते उन्हों ने जिदाऊन के साथ सख़्त बह्स की।
2. लेकिन जिदाऊन ने जवाब दिया, “क्या आप मुझ से कहीं ज़ियादा काम्याब न हुए? और जो अंगूर फ़सल जमा करने के बाद इफ़्राईम के बाग़ों में रह जाते हैं क्या वह मेरे छोटे ख़ान्दान अबीअज़र की पूरी फ़सल से ज़ियादा नहीं होते?
3. अल्लाह ने तो मिदियान के सरदारों ओरेब और ज़एब को आप के हवाले कर दिया। इस की निस्बत मुझ से क्या काम्याबी हासिल हुई है?” यह सुन कर इफ़्राईम के मर्दों का ग़ुस्सा ठंडा हो गया।
4. जिदाऊन अपने 300 मर्दों समेत दरया-ए-यर्दन को पार कर चुका था। दुश्मन का ताक़्क़ुब करते करते वह थक गए थे।
5. इस लिए जिदाऊन ने क़रीब के शहर सुक्कात के बाशिन्दों से गुज़ारिश की, “मेरे फ़ौजियों को कुछ रोटी दे दें। वह थक गए हैं, क्यूँकि हम मिदियानी सरदार ज़िबह और ज़ल्मुन्ना का ताक़्क़ुब कर रहे हैं।”
6. लेकिन सुक्कात के बुज़ुर्गों ने जवाब दिया, “हम आप के फ़ौजियों को रोटी क्यूँ दें? क्या आप ज़िबह और ज़ल्मुन्ना को पकड़ चुके हैं कि हम ऐसा करें?”
7. यह सुन कर जिदाऊन ने कहा, “जूँ ही रब्ब इन दो सरदारों ज़िबह और ज़ल्मुन्ना को मेरे हाथ में कर देगा मैं तुम को रेगिस्तान की काँटेदार झाड़ियों और ऊँटकटारों से गाह कर तबाह कर दूँगा।”
8. वह आगे निकल कर फ़नूएल शहर पहुँच गया। वहाँ भी उस ने रोटी माँगी, लेकिन फ़नूएल के बाशिन्दों ने सुक्कात का सा जवाब दिया।
9. यह सुन कर उस ने कहा, “जब मैं सलामती से वापस आऊँगा तो तुम्हारा यह बुर्ज गिरा दूँगा!”
10. अब ज़िबह और ज़ल्मुन्ना क़र्क़ूर पहुँच गए थे। 15,000 अफ़राद उन के साथ रह गए थे, क्यूँकि मशरिक़ी इत्तिहादियों के 1,20,000 तल्वारों से लेस फ़ौजी हलाक हो गए थे।
11. जिदाऊन ने मिदियानियों के पीछे चलते हुए ख़ानाबदोशों का वह रास्ता इस्तेमाल किया जो नूबह और युगबहा के मशरिक़ में है। इस तरीक़े से उस ने उन की लश्करगाह पर उस वक़्त हम्ला किया जब वह अपने आप को मह्फ़ूज़ समझ रहे थे।
12. दुश्मन में अफ़्रा-तफ़्री पैदा हुई और ज़िबह और ज़ल्मुन्ना फ़रार हो गए। लेकिन जिदाऊन ने उन का ताक़्क़ुब करते करते उन्हें पकड़ लिया।
13. इस के बाद जिदाऊन लौटा। वह अभी हरिस के दर्रा से उतर रहा था
14. कि सुक्कात के एक जवान आदमी से मिला। जिदाऊन ने उसे पकड़ कर मज्बूर किया कि वह शहर के राहनुमाओं और बुज़ुर्गों की फ़हरिस्त लिख कर दे। 77 बुज़ुर्ग थे।
15. जिदाऊन उन के पास गया और कहा, “देखो, यह हैं ज़िबह और ज़ल्मुन्ना! तुम ने इन ही की वजह से मेरा मज़ाक़ उड़ा कर कहा था कि हम आप के थकेहारे फ़ौजियों को रोटी क्यूँ दें? क्या आप ज़िबह और ज़ल्मुन्ना को पकड़ चुके हैं कि हम ऐसा करें?”
16. फिर जिदाऊन ने शहर के बुज़ुर्गों को गिरिफ़्तार करके उन्हें काँटेदार झाड़ियों और ऊँटकटारों से गाह कर सबक़ सिखाया।
17. फिर वह फ़नूएल गया और वहाँ का बुर्ज गिरा कर शहर के मर्दों को मार डाला।
18. इस के बाद जिदाऊन ज़िबह और ज़ल्मुन्ना से मुख़ातिब हुआ। उस ने पूछा, “उन आदमियों का हुल्या कैसा था जिन्हें तुम ने तबूर पहाड़ पर क़त्ल किया?” उन्हों ने जवाब दिया, “वह आप जैसे थे, हर एक शहज़ादा लग रहा था।”
19. जिदाऊन बोला, “वह मेरे सगे भाई थे। रब्ब की हयात की क़सम, अगर तुम उन को ज़िन्दा छोड़ते तो मैं तुमहें हलाक न करता।”
20. फिर वह अपने पहलौठे यतर से मुख़ातिब हो कर बोला, “इन को मार डालो!” लेकिन यतर अपनी तल्वार मियान से निकालने से झिजका, क्यूँकि वह अभी बच्चा था और डरता था।
21. तब ज़िबह और ज़ल्मुन्ना ने कहा, “आप ही हमें मार दें! क्यूँकि जैसा आदमी वैसी उस की ताक़त!” जिदाऊन ने खड़े हो कर उन्हें तल्वार से मार डाला और उन के ऊँटों की गरदनों पर लगे तावीज़ उतार कर अपने पास रखे।
22. इस्राईलियों ने जिदाऊन के पास आ कर कहा, “आप ने हमें मिदियानियों से बचा लिया है, इस लिए हम पर हुकूमत करें, आप, आप के बाद आप का बेटा और उस के बाद आप का पोता।”
23. लेकिन जिदाऊन ने जवाब दिया, “न मैं आप पर हुकूमत करूँगा, न मेरा बेटा। रब्ब ही आप पर हुकूमत करेगा।
24. मेरी सिर्फ़ एक गुज़ारिश है। हर एक मुझे अपने लूटे हुए माल में से एक एक बाली दे दे।” बात यह थी कि दुश्मन के तमाम अफ़राद ने सोने की बालियाँ पहन रखी थीं, क्यूँकि वह इस्माईली थे।
25. इस्राईलियों ने कहा, “हम ख़ुशी से बाली देंगे।” एक चादर ज़मीन पर बिछा कर हर एक ने एक एक बाली उस पर फैंक दी।
26. सोने की इन बालियों का वज़न तक़्रीबन 20 किलोग्राम था। इस के इलावा इस्राईलियों ने मुख़्तलिफ़ तावीज़, कान के आवेज़े, अर्ग़वानी रंग के शाही लिबास और ऊँटों की गरदनों में लगी क़ीमती ज़न्जीरें भी दे दीं।
27. इस सोने से जिदाऊन ने एक अफ़ोद बना कर उसे अपने आबाई शहर उफ़्रा में खड़ा किया जहाँ वह उस के और तमाम ख़ान्दान के लिए फंदा बन गया। न सिर्फ़ यह बल्कि पूरा इस्राईल ज़िना करके बुत की पूजा करने लगा।
28. उस वक़्त मिदियान ने ऐसी शिकस्त खाई कि बाद में इस्राईल के लिए ख़त्रे का बाइस न रहा। और जितनी देर जिदाऊन ज़िन्दा रहा यानी 40 साल तक मुल्क में अम्न-ओ-अमान क़ाइम रहा।
29. जंग के बाद जिदाऊन बिन यूआस दुबारा उफ़्रा में रहने लगा।
30. उस की बहुत सी बीवियाँ और 70 बेटे थे।
31. उस की एक दाश्ता भी थी जो सिकम शहर में रिहाइशपज़ीर थी और जिस के एक बेटा पैदा हुआ। जिदाऊन ने बेटे का नाम अबीमलिक रखा।
32. जिदाऊन उम्ररसीदा था जब फ़ौत हुआ। उसे अबीअज़रियों के शहर उफ़्रा में उस के बाप यूआस की क़ब्र में दफ़नाया गया।
33. जिदाऊन के मरते ही इस्राईली दुबारा ज़िना करके बाल के बुतों की पूजा करने लगे। वह बाल-बरीत को अपना ख़ास देवता बना कर
34. रब्ब अपने ख़ुदा को भूल गए जिस ने उन्हें इर्दगिर्द के दुश्मनों से बचा लिया था।
35. उन्हों ने यरुब्बाल यानी जिदाऊन के ख़ान्दान को भी उस एह्सान के लिए कोई मेहरबानी न दिखाई जो जिदाऊन ने उन पर किया था।

  Judges (8/21)