Judges (7/21)  

1. सुब्ह-सवेरे यरुब्बाल यानी जिदाऊन अपने तमाम लोगों को साथ ले कर हरोद चश्मे के पास आया। वहाँ उन्हों ने अपने डेरे लगाए। मिदियानियों ने अपनी ख़ैमागाह उन के शिमाल में मोरिह पहाड़ के दामन में लगाई हुई थी।
2. रब्ब ने जिदाऊन से कहा, “तेरे पास ज़ियादा लोग हैं! मैं इस क़िस्म के बड़े लश्कर को मिदियानियों पर फ़त्ह नहीं दूँगा, वर्ना इस्राईली मेरे सामने डींगें मार कर कहेंगे, ‘हम ने अपनी ही ताक़त से अपने आप को बचाया है!’
3. इस लिए लश्करगाह में एलान कर कि जो डर के मारे परेशान हो वह अपने घर वापस चला जाए।” जिदाऊन ने यूँ किया तो 22,000 मर्द वापस चले गए जबकि 10,000 जिदाऊन के पास रहे।
4. लेकिन रब्ब ने दुबारा जिदाऊन से बात की, “अभी तक ज़ियादा लोग हैं! इन के साथ उतर कर चश्मे के पास जा। वहाँ मैं उन्हें जाँच कर उन को मुक़र्रर करूँगा जिन्हें तेरे साथ जाना है।”
5. चुनाँचे जिदाऊन अपने आदमियों के साथ चश्मे के पास उतर आया। रब्ब ने उसे हुक्म दिया, “जो भी अपना हाथ पानी से भर कर उसे कुत्ते की तरह चाट ले उसे एक तरफ़ खड़ा कर। दूसरी तरफ़ उन्हें खड़ा कर जो घुटने टेक कर पानी पीते हैं।”
6. 300 आदमियों ने अपना हाथ पानी से भर कर उसे चाट लिया जबकि बाक़ी सब पीने के लिए झुक गए।
7. फिर रब्ब ने जिदाऊन से फ़रमाया, “मैं इन 300 चाटने वाले आदमियों के ज़रीए इस्राईल को बचा कर मिदियानियों को तेरे हवाले कर दूँगा। बाक़ी तमाम मर्दों को फ़ारिग़ कर। वह सब अपने अपने घर वापस चले जाएँ।”
8. चुनाँचे जिदाऊन ने बाक़ी तमाम आदमियों को फ़ारिग़ कर दिया। सिर्फ़ मुक़र्ररा 300 मर्द रह गए। अब यह दूसरों की ख़ुराक और नरसिंगे अपने पास रख कर जंग के लिए तय्यार हुए। उस वक़्त मिदियानी ख़ैमागाह इस्राईलियों के नीचे वादी में थी।
9. जब रात हुई तो रब्ब जिदाऊन से हमकलाम हुआ, “उठ, मिदियानी ख़ैमागाह के पास उतर कर उस पर हम्ला कर, क्यूँकि मैं उसे तेरे हाथ में दे दूँगा।
10. लेकिन अगर तू इस से डरता है तो पहले अपने नौकर फ़ूराह के साथ उतर कर
11. वह बातें सुन ले जो वहाँ के लोग कह रहे हैं। तब उन पर हम्ला करने की जुरअत बढ़ जाएगी।” जिदाऊन फ़ूराह के साथ ख़ैमागाह के किनारे के पास उतर आया।
12. मिदियानी, अमालीक़ी और मशरिक़ के दीगर फ़ौजी टिड्डियों के दल की तरह वादी में फैले हुए थे। उन के ऊँट साहिल की रेत की तरह बेशुमार थे।
13. जिदाऊन दबे पाँओ दुश्मन के इतने क़रीब पहुँच गया कि उन की बातें सुन सकता था। ऐन उस वक़्त एक फ़ौजी दूसरे को अपना ख़्वाब सुना रहा था, “मैं ने ख़्वाब में देखा कि जौ की बड़ी रोटी लुढ़कती लुढ़कती हमारी ख़ैमागाह में उतर आई। यहाँ वह इतनी शिद्दत से ख़ैमे से टकरा गई कि ख़ैमा उलट कर ज़मीनबोस हो गया।”
14. दूसरे ने जवाब दिया, “इस का सिर्फ़ यह मतलब हो सकता है कि इस्राईली मर्द जिदाऊन बिन यूआस की तल्वार ग़ालिब आएगी! अल्लाह उसे मिदियानियों और पूरी लश्करगाह पर फ़त्ह देगा।”
15. ख़्वाब और उस की ताबीर सुन कर जिदाऊन ने अल्लाह को सिज्दा किया। फिर उस ने इस्राईली ख़ैमागाह में वापस आ कर एलान किया, “उठें! रब्ब ने मिदियानी लश्करगाह को तुम्हारे हवाले कर दिया है।”
16. उस ने अपने 300 मर्दों को सौ सौ के तीन गुरोहों में तक़्सीम करके हर एक को एक नरसिंगा और एक घड़ा दे दिया। हर घड़े में मशअल थी।
17. उस ने हुक्म दिया, “जो कुछ मैं करूँगा उस पर ग़ौर करके वही कुछ करें। पूरी ख़ैमागाह को घेर लें और ऐन वही कुछ करें जो मैं करूँगा। जब मैं अपने सौ लोगों के साथ ख़ैमागाह के किनारे पहुँचूँगा तो हम अपने नरसिंगों को बजा देंगे। यह सुनते ही आप भी यही कुछ करें और साथ साथ नारा लगाएँ, ‘रब्ब के लिए और जिदाऊन के लिए’!”
18. उस ने हुक्म दिया, “जो कुछ मैं करूँगा उस पर ग़ौर करके वही कुछ करें। पूरी ख़ैमागाह को घेर लें और ऐन वही कुछ करें जो मैं करूँगा। जब मैं अपने सौ लोगों के साथ ख़ैमागाह के किनारे पहुँचूँगा तो हम अपने नरसिंगों को बजा देंगे। यह सुनते ही आप भी यही कुछ करें और साथ साथ नारा लगाएँ, ‘रब्ब के लिए और जिदाऊन के लिए’!”
19. तक़्रीबन आधी रात को जिदाऊन अपने सौ मर्दों के साथ मिदियानी ख़ैमागाह के किनारे पहुँच गया। थोड़ी देर पहले पहरेदार बदल गए थे। अचानक इस्राईलियों ने अपने नरसिंगों को बजाया और अपने घड़ों को टुकड़े टुकड़े कर दिया।
20. फ़ौरन सौ सौ के दूसरे दो गुरोहों ने भी ऐसा ही किया। अपने दहने हाथ में नरसिंगा और बाएँ हाथ में भड़कती मशअल पकड़ कर वह नारा लगाते रहे, “रब्ब के लिए और जिदाऊन के लिए!”
21. लेकिन वह ख़ैमागाह में दाख़िल न हुए बल्कि वहीं उस के इर्दगिर्द खड़े रहे। दुश्मन में बड़ी अफ़्रा-तफ़्री मच गई। चीख़ते चिल्लाते सब भाग जाने की कोशिश करने लगे।
22. जिदाऊन के 300 आदमी अपने नरसिंगे बजाते रहे जबकि रब्ब ने ख़ैमागाह में ऐसी गड़बड़ पैदा की कि लोग एक दूसरे से लड़ने लगे। आख़िरकार पूरा लश्कर बैत-सित्ता, सरीरात और अबील-महूला की सरहद्द तक फ़रार हुआ जो तब्बात के क़रीब है।
23. फिर जिदाऊन ने नफ़्ताली, आशर और पूरे मनस्सी के मर्दों को बुला लिया, और उन्हों ने मिल कर मिदियानियों का ताक़्क़ुब किया।
24. उस ने अपने क़ासिदों के ज़रीए इफ़्राईम के पूरे पहाड़ी इलाक़े के बाशिन्दों को भी पैग़ाम भेज दिया, “उतर आएँ और मिदियानियों को भाग जाने से रोकें! बैत-बारा तक उन तमाम जगहों पर क़ब्ज़ा कर लें जहाँ दुश्मन दरया-ए-यर्दन को पा-पयादा पार कर सकता है।” इफ़्राईमी मान गए,
25. और उन्हों ने दो मिदियानी सरदारों को पकड़ कर उन के सर क़लम कर दिए। सरदारों के नाम ओरेब और ज़एब थे, और जहाँ उन्हें पकड़ा गया उन जगहों के नाम ‘ओरेब की चटान’ और ‘ज़एब का अंगूर का रस निकालने वाला हौज़’ पड़ गया। इस के बाद वह दुबारा मिदियानियों का ताक़्क़ुब करने लगे। दरया-ए-यर्दन को पार करने पर उन की मुलाक़ात जिदाऊन से हुई, और उन्हों ने दोनों सरदारों के सर उस के सपुर्द कर दिए।

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