← Judges (5/21) → |
1. | फ़त्ह के दिन दबोरा ने बरक़ बिन अबीनूअम के साथ यह गीत गाया, |
2. | “अल्लाह की सिताइश हो! क्यूँकि इस्राईल के सरदारों ने राहनुमाई की, और अवाम निकलने के लिए तय्यार हुए। |
3. | ऐ बादशाहो, सुनो! ऐ हुक्मरानो, मेरी बात पर तवज्जुह दो! मैं रब्ब की तम्जीद में गीत गाऊँगी, रब्ब इस्राईल के ख़ुदा की मद्हसराई करूँगी। |
4. | ऐ रब्ब, जब तू सईर से निकल आया और अदोम के खुले मैदान से रवाना हुआ तो ज़मीन काँप उठी और आस्मान से पानी टपकने लगा, बादलों से बारिश बरसने लगी। |
5. | कोह-ए-सीना के रब्ब के हुज़ूर पहाड़ हिलने लगे, रब्ब इस्राईल के ख़ुदा के सामने वह कपकपाने लगे। |
6. | शम्जर बिन अनात और याएल के दिनों में सफ़र के पक्के और सीधे रास्ते ख़ाली रहे और मुसाफ़िर उन से हट कर बल खाते हुए छोटे छोटे रास्तों पर चल कर अपनी मन्ज़िल तक पहुँचते थे। |
7. | दीहात की ज़िन्दगी सूनी हो गई। गाँओ में रहना मुश्किल था जब तक मैं, दबोरा जो इस्राईल की माँ हूँ खड़ी न हुई। |
8. | शहर के दरवाज़ों पर जंग छिड़ गई जब उन्हों ने नए माबूदों को चुन लिया। उस वक़्त इस्राईल के 40,000 मर्दों के पास एक भी ढाल या नेज़ा न था। |
9. | मेरा दिल इस्राईल के सरदारों के साथ है और उन के साथ जो ख़ुशी से जंग के लिए निकले। रब्ब की सिताइश करो! |
10. | ऐ तुम जो सफ़ेद गधों पर कपड़े बिछा कर उन पर सवार हो, अल्लाह की तम्जीद करो! ऐ तुम जो पैदल चल रहे हो, अल्लाह की तारीफ़ करो! |
11. | सुनो! जहाँ जानवरों को पानी पिलाया जाता है वहाँ लोग रब्ब के नजातबख़्श कामों की तारीफ़ कर रहे हैं, उन नजातबख़्श कामों की जो उस ने इस्राईल के दीहातियों की ख़ातिर किए। तब रब्ब के लोग शहर के दरवाज़ों के पास उतर आए। |
12. | ऐ दबोरा, उठें, उठें! उठें, हाँ उठें और गीत गाएँ! ऐ बरक़, खड़े हो जाएँ! ऐ अबीनूअम के बेटे, अपने क़ैदियों को बाँध कर ले जाएँ! |
13. | फिर बचे हुए फ़ौजी पहाड़ी इलाक़े से उतर कर क़ौम के शुरफ़ा के पास आए, रब्ब की क़ौम सूर्माओं के साथ मेरे पास उतर आई। |
14. | इफ़्राईम से जिस की जड़ें अमालीक़ में हैं वह उतर आए, और बिन्यमीन के मर्द उन के पीछे हो लिए। मकीर से हुक्मरान और ज़बूलून से सिपहसालार उतर आए। |
15. | इश्कार के रईस भी दबोरा के साथ थे, और उस के फ़ौजी बरक़ के पीछे हो कर वादी में दौड़ आए। लेकिन रूबिन का क़बीला अपने इलाक़े में रह कर सोच-बिचार में उलझा रहा। |
16. | तू क्यूँ अपने ज़ीन के दो बोरों के दर्मियान बैठा रहा? क्या गल्लों के दर्मियान चरवाहों की बाँसरियों की आवाज़ें सुनने के लिए? रूबिन का क़बीला अपने इलाक़े में रह कर सोच-बिचार में उलझा रहा। |
17. | जिलिआद के घराने दरया-ए-यर्दन के मशरिक़ में ठहरे रहे। और दान का क़बीला, वह क्यूँ बहरी जहाज़ों के पास रहा? आशर का क़बीला भी साहिल पर बैठा रहा, वह आराम से अपनी बन्दरगाहों के पास ठहरा रहा, |
18. | जबकि ज़बूलून और नफ़्ताली अपनी जान पर खेल कर मैदान-ए-जंग में आ गए। |
19. | बादशाह आए और लड़े, कनआन के बादशाह मजिद्दो नदी पर तानक के पास इस्राईल से लड़े। लेकिन वहाँ से वह चाँदी का लूटा हुआ माल वापस न लाए। |
20. | आस्मान से सितारों ने सीसरा पर हम्ला किया, अपनी आस्मानी राहों को छोड़ कर वह उस से और उस की क़ौम से लड़ने आए। |
21. | क़ैसोन नदी उन्हें उड़ा ले गई, वह नदी जो क़दीम ज़माने से बहती है। ऐ मेरी जान, मज़्बूती से आगे चलती जा! |
22. | उस वक़्त टापों का बड़ा शोर सुनाई दिया। दुश्मन के ज़बरदस्त घोड़े सरपट दौड़ रहे थे। |
23. | रब्ब के फ़रिश्ते ने कहा, “मीरोज़ शहर पर लानत करो, उस के बाशिन्दों पर ख़ूब लानत करो! क्यूँकि वह रब्ब की मदद करने न आए, वह सूर्माओं के ख़िलाफ़ रब्ब की मदद करने न आए।” |
24. | हिबर क़ीनी की बीवी मुबारक है! ख़ैमों में रहने वाली औरतों में से वह सब से मुबारक है! |
25. | जब सीसरा ने पानी माँगा तो याएल ने उसे दूध पिलाया। शानदार पियाले में लस्सी डाल कर वह उसे उस के पास लाई। |
26. | लेकिन फिर उस ने अपने हाथ से मेख़ और अपने दहने हाथ से मज़्दूरों का हथोड़ा पकड़ कर सीसरा का सर फोड़ दिया, उस की खोपड़ी टुकड़े टुकड़े करके उस की कनपटी को छेद दिया। |
27. | उस के पाँओ में वह तड़प उठा। वह गिर कर वहीं पड़ा रहा। हाँ, वह उस के पाँओ में गिर कर हलाक हुआ। |
28. | सीसरा की माँ ने खिड़की में से झाँका और दरीचे में से देखती देखती रोती रही, “उस के रथ के पहुँचने में इतनी देर क्यूँ हो रही है? रथों की आवाज़ अब तक क्यूँ सुनाई नहीं दे रही?” |
29. | उस की दानिशमन्द ख़वातीन उसे तसल्ली देती हैं और वह ख़ुद उन की बात दुहराती है, |
30. | “वह लूटा हुआ माल आपस में बाँट रहे होंगे। हर मर्द के लिए एक दो लड़कियाँ और सीसरा के लिए रंगदार लिबास होगा। हाँ, वह रंगदार लिबास और मेरी गर्दन को सजाने के लिए दो नफ़ीस रंगदार कपड़े ला रहे होंगे।” |
31. | ऐ रब्ब, तेरे तमाम दुश्मन सीसरा की तरह हलाक हो जाएँ! लेकिन जो तुझ से पियार करते हैं वह पूरे ज़ोर से तुलू होने वाले सूरज की मानिन्द हों।” बरक़ की इस फ़त्ह के बाद इस्राईल में 40 साल अम्न-ओ-अमान क़ाइम रहा। |
← Judges (5/21) → |