Judges (2/21)  

1. रब्ब का फ़रिश्ता जिल्जाल से चढ़ कर बोकीम पहुँचा। वहाँ उस ने इस्राईलियों से कहा, “मैं तुम्हें मिस्र से निकाल कर उस मुल्क में लाया जिस का वादा मैं ने क़सम खा कर तुम्हारे बापदादा से किया था। उस वक़्त मैं ने कहा कि मैं तुम्हारे साथ अपना अह्द कभी नहीं तोड़ूँगा।
2. और मैं ने हुक्म दिया, ‘इस मुल्क की क़ौमों के साथ अह्द मत बाँधना बल्कि उन की क़ुर्बानगाहों को गिरा देना।’ लेकिन तुम ने मेरी न सुनी। यह तुम ने क्या किया?
3. इस लिए अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि मैं उन्हें तुम्हारे आगे से नहीं निकालूँगा। वह तुम्हारे पहलूओं में काँटे बनेंगे, और उन के देवता तुम्हारे लिए फंदा बने रहेंगे।”
4. रब्ब के फ़रिश्ते की यह बात सुन कर इस्राईली ख़ूब रोए।
5. यही वजह है कि उस जगह का नाम बोकीम यानी रोने वाले पड़ गया। फिर उन्हों ने वहाँ रब्ब के हुज़ूर क़ुर्बानियाँ पेश कीं।
6. यशूअ के क़ौम को रुख़्सत करने के बाद हर एक क़बीला अपने इलाक़े पर क़ब्ज़ा करने के लिए रवाना हुआ था।
7. जब तक यशूअ और वह बुज़ुर्ग ज़िन्दा रहे जिन्हों ने वह अज़ीम काम देखे हुए थे जो रब्ब ने इस्राईलियों के लिए किए थे उस वक़्त तक इस्राईली रब्ब की वफ़ादारी से ख़िदमत करते रहे।
8. फिर रब्ब का ख़ादिम यशूअ बिन नून इन्तिक़ाल कर गया। उस की उम्र 110 साल थी।
9. उसे तिम्नत-हरिस में उस की अपनी मौरूसी ज़मीन में दफ़नाया गया। (यह शहर इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े में जास पहाड़ के शिमाल में है।)
10. जब हमअसर इस्राईली सब मर कर अपने बापदादा से जा मिले तो नई नसल उभर आई जो न तो रब्ब को जानती, न उन कामों से वाक़िफ़ थी जो रब्ब ने इस्राईल के लिए किए थे।
11. उस वक़्त वह ऐसी हर्कतें करने लगे जो रब्ब को बुरी लगीं। उन्हों ने बाल देवता के बुतों की पूजा करके
12. रब्ब अपने बापदादा के ख़ुदा को तर्क कर दिया जो उन्हें मिस्र से निकाल लाया था। वह गिर्द-ओ-नवाह की क़ौमों के दीगर माबूदों के पीछे लग गए और उन की पूजा भी करने लगे। इस से रब्ब का ग़ज़ब उन पर भड़का,
13. क्यूँकि उन्हों ने उस की ख़िदमत छोड़ कर बाल देवता और अस्तारात देवी की पूजा की।
14. रब्ब यह देख कर इस्राईलियों से नाराज़ हुआ और उन्हें डाकुओं के हवाले कर दिया जिन्हों ने उन का माल लूटा। उस ने उन्हें इर्दगिर्द के दुश्मनों के हाथ बेच डाला, और वह उन का मुक़ाबला करने के क़ाबिल न रहे।
15. जब भी इस्राईली लड़ने के लिए निकले तो रब्ब का हाथ उन के ख़िलाफ़ था। नतीजतन वह हारते गए जिस तरह उस ने क़सम खा कर फ़रमाया था। जब वह इस तरह बड़ी मुसीबत में थे
16. तो रब्ब उन के दर्मियान क़ाज़ी बरपा करता जो उन्हें लूटने वालों के हाथ से बचाते।
17. लेकिन वह उन की न सुनते बल्कि ज़िना करके दीगर माबूदों के पीछे लगे और उन की पूजा करते रहते। गो उन के बापदादा रब्ब के अह्काम के ताबे रहे थे, लेकिन वह ख़ुद बड़ी जल्दी से उस राह से हट जाते जिस पर उन के बापदादा चले थे।
18. लेकिन जब भी वह दुश्मन के ज़ुल्म और दबाओ तले कराहने लगते तो रब्ब को उन पर तरस आ जाता, और वह किसी क़ाज़ी को बरपा करता और उस की मदद करके उन्हें बचाता। जितने अर्से तक क़ाज़ी ज़िन्दा रहता उतनी देर तक इस्राईली दुश्मनों के हाथ से मह्फ़ूज़ रहते।
19. लेकिन उस के मरने पर वह दुबारा अपनी पुरानी राहों पर चलने लगते, बल्कि जब वह मुड़ कर दीगर माबूदों की पैरवी और पूजा करने लगते तो उन की रविश बापदादा की रविश से भी बुरी होती। वह अपनी शरीर हर्कतों और हटधर्म राहों से बाज़ आने के लिए तय्यार ही न होते।
20. इस लिए अल्लाह को इस्राईल पर बड़ा ग़ुस्सा आया। उस ने कहा, “इस क़ौम ने वह अह्द तोड़ दिया है जो मैं ने इस के बापदादा से बाँधा था। यह मेरी नहीं सुनती,
21. इस लिए मैं उन क़ौमों को नहीं निकालूँगा जो यशूअ की मौत से ले कर आज तक मुल्क में रह गई हैं। यह क़ौमें इस में आबाद रहेंगी,
22. और मैं उन से इस्राईलियों को आज़्मा कर देखूँगा कि आया वह अपने बापदादा की तरह रब्ब की राह पर चलेंगे या नहीं।”
23. चुनाँचे रब्ब ने इन क़ौमों को न यशूअ के हवाले किया, न फ़ौरन निकाला बल्कि उन्हें मुल्क में ही रहने दिया।

  Judges (2/21)