Judges (10/21)  

1. अबीमलिक की मौत के बाद तोला बिन फ़ुव्वा बिन दोदो इस्राईल को बचाने के लिए उठा। वह इश्कार के क़बीले से था और इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े के शहर समीर में रिहाइशपज़ीर था।
2. तोला 23 साल इस्राईल का क़ाज़ी रहा। फिर वह फ़ौत हुआ और समीर में दफ़नाया गया।
3. उस के बाद जिलिआद का रहने वाला याईर क़ाज़ी बन गया। उस ने 22 साल इस्राईल की राहनुमाई की।
4. याईर के 30 बेटे थे। हर बेटे का एक एक गधा और जिलिआद में एक एक आबादी थी। आज तक इन का नाम ‘हव्वोत-याईर’ यानी याईर की बस्तियाँ है।
5. जब याईर इन्तिक़ाल कर गया तो उसे क़ामोन में दफ़नाया गया।
6. याईर की मौत के बाद इस्राईली दुबारा ऐसी हर्कतें करने लगे जो रब्ब को बुरी लगीं। वह कई देवताओं के पीछे लग गए जिन में बाल देवता, अस्तारात देवी और शाम, सैदा, मोआब, अम्मोनियों और फ़िलिस्तियों के देवता शामिल थे। यूँ वह रब्ब की परस्तिश और ख़िदमत करने से बाज़ आए।
7. तब उस का ग़ज़ब उन पर नाज़िल हुआ, और उस ने उन्हें फ़िलिस्तियों और अम्मोनियों के हवाले कर दिया।
8. उसी साल के दौरान इन क़ौमों ने जिलिआद में इस्राईलियों के उस इलाक़े पर क़ब्ज़ा किया जिस में पुराने ज़माने में अमोरी आबाद थे और जो दरया-ए-यर्दन के मशरिक़ में था। फ़िलिस्ती और अम्मोनी 18 साल तक इस्राईलियों को कुचलते और दबाते रहे।
9. न सिर्फ़ यह बल्कि अम्मोनियों ने दरया-ए-यर्दन को पार करके यहूदाह, बिन्यमीन और इफ़्राईम के क़बीलों पर भी हम्ला किया। जब इस्राईली बड़ी मुसीबत में थे
10. तो आख़िरकार उन्हों ने मदद के लिए रब्ब को पुकारा और इक़्रार किया, “हम ने तेरा गुनाह किया है। अपने ख़ुदा को तर्क करके हम ने बाल के बुतों की पूजा की है।”
11. रब्ब ने जवाब में कहा, “जब मिस्री, अमोरी, अम्मोनी, फ़िलिस्ती,
12. सैदानी, अमालीक़ी और माओनी तुम पर ज़ुल्म करते थे और तुम मदद के लिए मुझे पुकारने लगे तो क्या मैं ने तुम्हें न बचाया?
13. इस के बावुजूद तुम बार बार मुझे तर्क करके दीगर माबूदों की पूजा करते रहे हो। इस लिए अब से मैं तुम्हारी मदद नहीं करूँगा।
14. जाओ, उन देवताओं के सामने चीख़ते चिल्लाते रहो जिन्हें तुम ने चुन लिया है! वही तुम्हें मुसीबत से निकालें।”
15. लेकिन इस्राईलियों ने रब्ब से फ़र्याद की, “हम से ग़लती हुई है। जो कुछ भी तू मुनासिब समझता है वह हमारे साथ कर। लेकिन तू ही हमें आज बचा।”
16. वह अजनबी माबूदों को अपने बीच में से निकाल कर रब्ब की दुबारा ख़िदमत करने लगे। तब वह इस्राईल का दुख बर्दाश्त न कर सका।
17. उन दिनों में अम्मोनी अपने फ़ौजियों को जमा करके जिलिआद में ख़ैमाज़न हुए। जवाब में इस्राईली भी जमा हुए और मिस्फ़ाह में अपने ख़ैमे लगाए।
18. जिलिआद के राहनुमाओं ने एलान किया, “हमें ऐसे आदमी की ज़रूरत है जो हमारे आगे चल कर अम्मोनियों पर हम्ला करे। जो कोई ऐसा करे वह जिलिआद के तमाम बाशिन्दों का सरदार बनेगा।”

  Judges (10/21)