Joshua (7/24)  

1. लेकिन जहाँ तक रब्ब के लिए मख़्सूस चीज़ों का ताल्लुक़ था इस्राईलियों ने बेवफ़ाई की। यहूदाह के क़बीले के एक आदमी ने उन में से कुछ अपने लिए ले लिया। उस का नाम अकन बिन कर्मी बिन ज़ब्दी बिन ज़ारह था। तब रब्ब का ग़ज़ब इस्राईलियों पर नाज़िल हुआ।
2. यह यूँ ज़ाहिर हुआ कि यशूअ ने कुछ आदमियों को यरीहू से अई शहर को भेज दिया जो बैत-एल के मशरिक़ में बैत-आवन के क़रीब है। उस ने उन से कहा, “उस इलाक़े में जा कर उस की जासूसी करें।” चुनाँचे वह जा कर ऐसा ही करने लगे।
3. जब वापस आए तो उन्हों ने यशूअ से कहा, “इस की ज़रूरत नहीं कि तमाम लोग अई पर हम्ला करें। उसे शिकस्त देने के लिए दो या तीन हज़ार मर्द काफ़ी हैं। बाक़ी लोगों को न भेजें वर्ना वह ख़्वाह-म-ख़्वाह थक जाएँगे, क्यूँकि दुश्मन के लोग कम हैं।”
4. चुनाँचे तक़्रीबन तीन हज़ार आदमी अई से लड़ने गए। लेकिन वह अई के मर्दों से शिकस्त खा कर फ़रार हुए,
5. और उन के 36 अफ़राद शहीद हुए। अई के आदमियों ने शहर के दरवाज़े से ले कर शबरीम तक उन का ताक़्क़ुब करके वहाँ की ढलान पर उन्हें मार डाला। तब इस्राईली सख़्त घबरा गए, और उन की हिम्मत जवाब दे गई।
6. यशूअ ने रंजिश का इज़्हार करके अपने कपड़ों को फाड़ दिया और रब्ब के सन्दूक़ के सामने मुँह के बल गिर गया। वहाँ वह शाम तक पड़ा रहा। इस्राईल के बुज़ुर्गों ने भी ऐसा ही किया और अपने सर पर ख़ाक डाल ली।
7. यशूअ ने कहा, “हाय, ऐ रब्ब क़ादिर-ए-मुतलक़! तू ने इस क़ौम को दरया-ए-यर्दन में से गुज़रने क्यूँ दिया अगर तेरा मक़्सद सिर्फ़ यह था कि हमें अमोरियों के हवाले करके हलाक करे? काश हम दरया के मशरिक़ी किनारे पर रहने के लिए तय्यार होते!
8. ऐ रब्ब, अब मैं क्या कहूँ जब इस्राईल अपने दुश्मनों के सामने से भाग आया है?
9. कनआनी और मुल्क की बाक़ी क़ौमें यह सुन कर हमें घेर लेंगी और हमारा नाम-ओ-निशान मिटा देंगी। अगर ऐसा होगा तो फिर तू ख़ुद अपना अज़ीम नाम क़ाइम रखने के लिए क्या करेगा?”
10. जवाब में रब्ब ने यशूअ से कहा, “उठ कर खड़ा हो जा! तू क्यूँ मुँह के बल पड़ा है?
11. इस्राईल ने गुनाह किया है। उन्हों ने मेरे अह्द की ख़िलाफ़वरज़ी की है जो मैं ने उन के साथ बाँधा था। उन्हों ने मख़्सूसशुदा चीज़ों में से कुछ ले लिया है, और चोरी करके चुपके से अपने सामान में मिला लिया है।
12. इसी लिए इस्राईली अपने दुश्मनों के सामने क़ाइम नहीं रह सकते बल्कि पीठ फेर कर भाग रहे हैं। क्यूँकि इस हर्कत से इस्राईल ने अपने आप को भी हलाकत के लिए मख़्सूस कर लिया है। जब तक तुम अपने दर्मियान से वह कुछ निकाल कर तबाह न कर लो जो तबाही के लिए मख़्सूस है उस वक़्त तक मैं तुम्हारे साथ नहीं हूँगा।
13. अब उठ और लोगों को मेरे लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस कर। उन्हें बता देना, ‘अपने आप को कल के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करना, क्यूँकि रब्ब जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि ऐ इस्राईल, तेरे दर्मियान ऐसा माल है जो मेरे लिए मख़्सूस है। जब तक तुम उसे अपने दर्मियान से निकाल न दो अपने दुश्मनों के सामने क़ाइम नहीं रह सकोगे।’
14. कल सुब्ह को हर एक क़बीला अपने आप को पेश करे। रब्ब ज़ाहिर करेगा कि क़ुसूरवार शख़्स कौन से क़बीले का है। फिर उस क़बीले के कुंबे बारी बारी सामने आएँ। जिस कुंबे को रब्ब क़ुसूरवार ठहराएगा उस के मुख़्तलिफ़ ख़ान्दान सामने आएँ। और जिस ख़ान्दान को रब्ब क़ुसूरवार ठराएगा उस के मुख़्तलिफ़ अफ़राद सामने आएँ।
15. जो रब्ब के लिए मख़्सूस माल के साथ पकड़ा जाएगा उसे उस की मिल्कियत समेत जला देना है, क्यूँकि उस ने रब्ब के अह्द की ख़िलाफ़वरज़ी करके इस्राईल में शर्मनाक काम किया है।”
16. अगले दिन सुब्ह-सवेरे यशूअ ने क़बीलों को बारी बारी अपने पास आने दिया। जब यहूदाह के क़बीले की बारी आई तो रब्ब ने उसे क़ुसूरवार ठहराया।
17. जब उस क़बीले के मुख़्तलिफ़ कुंबे सामने आए तो रब्ब ने ज़ारह के कुंबे को क़ुसूरवार ठहराया। जब ज़ारह के मुख़्तलिफ़ ख़ान्दान सामने आए तो रब्ब ने ज़ब्दी का ख़ान्दान क़ुसूरवार ठहराया।
18. आख़िरकार यशूअ ने उस ख़ान्दान को फ़र्दन फ़र्दन अपने पास आने दिया, और अकन बिन कर्मी बिन ज़ब्दी बिन ज़ारह पकड़ा गया।
19. यशूअ ने उस से कहा, “बेटा, रब्ब इस्राईल के ख़ुदा को जलाल दो और उस की सिताइश करो। मुझे बता दो कि तुम ने क्या किया। कोई भी बात मुझ से मत छुपाना।”
20. अकन ने जवाब दिया, “वाक़ई मैं ने रब्ब इस्राईल के ख़ुदा का गुनाह किया है।
21. मैं ने लूटे हुए माल में से बाबल का एक शानदार चोग़ा, तक़्रीबन सवा दो किलोग्राम चाँदी और आधे किलोग्राम से ज़ाइद सोने की ईंट ले ली थी। यह चीज़ें देख कर मैं ने उन का लालच किया और उन्हें ले लिया। अब वह मेरे ख़ैमे की ज़मीन में दबी हुई हैं। चाँदी को मैं ने बाक़ी चीज़ों के नीचे छुपा दिया।”
22. यह सुन कर यशूअ ने अपने बन्दों को अकन के ख़ैमे के पास भेज दिया। वह दौड़ कर वहाँ पहुँचे तो देखा कि यह माल वाक़ई ख़ैमे की ज़मीन में छुपाया हुआ है और कि चाँदी दूसरी चीज़ों के नीचे पड़ी है।
23. वह यह सब कुछ ख़ैमे से निकाल कर यशूअ और तमाम इस्राईलियों के पास ले आए और रब्ब के सामने रख दिया।
24. फिर यशूअ और तमाम इस्राईली अकन बिन ज़ारह को पकड़ कर वादी-ए-अकूर में ले गए। उन्हों ने चाँदी, लिबास, सोने की ईंट, अकन के बेटे-बेटियों, गाय-बैलों, गधों, भेड़-बक्रियों और उस के ख़ैमे ग़रज़ उस की पूरी मिल्कियत को उस वादी में पहुँचा दिया।
25. यशूअ ने कहा, “तुम यह आफ़त हम पर क्यूँ लाए हो? आज रब्ब तुम पर ही आफ़त लाएगा।” फिर पूरे इस्राईल ने अकन को उस के घर वालों समेत संगसार करके जला दिया।
26. अकन के ऊपर उन्हों ने पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया जो आज तक वहाँ मौजूद है। यही वजह है कि आज तक उस का नाम वादी-ए-अकूर यानी आफ़त की वादी रहा है। इस के बाद रब्ब का सख़्त ग़ज़ब ठंडा हो गया।

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