Joshua (6/24)  

1. उन दिनों में इस्राईलियों की वजह से यरीहू के दरवाज़े बन्द ही रहे। न कोई बाहर निकला, न कोई अन्दर गया।
2. रब्ब ने यशूअ से कहा, “मैं ने यरीहू को उस के बादशाह और फ़ौजी अफ़्सरों समेत तेरे हाथ में कर दिया है।
3. जो इस्राईली जंग के लिए तेरे साथ निकलेंगे उन के साथ शहर की फ़सील के साथ साथ चल कर एक चक्कर लगाओ और फिर ख़ैमागाह में वापस आ जाओ। छः दिन तक ऐसा ही करो।
4. सात इमाम एक एक नरसिंगा उठाए अह्द के सन्दूक़ के आगे आगे चलें। फिर सातवें दिन शहर के गिर्द सात चक्कर लगाओ। साथ साथ इमाम नरसिंगे बजाते रहें।
5. जब वह नरसिंगों को बजाते बजाते लम्बी सी फूँक मारेंगे तो फिर तमाम इस्राईली बड़े ज़ोर से जंग का नारा लगाएँ। इस पर शहर की फ़सील गिर जाएगी और तेरे लोग हर जगह सीधे शहर में दाख़िल हो सकेंगे।”
6. यशूअ बिन नून ने इमामों को बुला कर उन से कहा, “रब्ब के अह्द का सन्दूक़ उठा कर मेरे साथ चलें। और सात इमाम एक एक नरसिंगा उठाए सन्दूक़ के आगे आगे चलें।”
7. फिर उस ने बाक़ी लोगों से कहा, “आएँ, शहर की फ़सील के साथ साथ चल कर एक चक्कर लगाएँ। मुसल्लह आदमी रब्ब के सन्दूक़ के आगे आगे चलें।”
8. सब कुछ यशूअ की हिदायात के मुताबिक़ हुआ। सात इमाम नरसिंगे बजाते हुए रब्ब के आगे आगे चले जबकि रब्ब के अह्द का सन्दूक़ उन के पीछे पीछे था।
9. मुसल्लह आदमियों में से कुछ बजाने वाले इमामों के आगे आगे और कुछ सन्दूक़ के पीछे पीछे चलने लगे। इतने में इमाम नरसिंगे बजाते रहे।
10. लेकिन यशूअ ने बाक़ी लोगों को हुक्म दिया था कि उस दिन जंग का नारा न लगाएँ। उस ने कहा, “जब तक मैं हुक्म न दूँ उस वक़्त तक एक लफ़्ज़ भी न बोलना। जब मैं इशारा दूँगा तो फिर ही ख़ूब नारा लगाना।”
11. इसी तरह रब्ब के सन्दूक़ ने शहर की फ़सील के साथ साथ चल कर चक्कर लगाया। फिर लोगों ने ख़ैमागाह में लौट कर वहाँ रात गुज़ारी।
12. अगले दिन यशूअ सुब्ह-सवेरे उठा, और इमामों और फ़ौजियों ने दूसरी मर्तबा शहर का चक्कर लगाया। उन की वही तर्तीब थी। पहले कुछ मुसल्लह आदमी, फिर सात नरसिंगे बजाने वाले इमाम, फिर रब्ब के अह्द का सन्दूक़ उठाने वाले इमाम और आख़िर में मज़ीद कुछ मुसल्लह आदमी थे। चक्कर लगाने के दौरान इमाम नरसिंगे बजाते रहे।
13. अगले दिन यशूअ सुब्ह-सवेरे उठा, और इमामों और फ़ौजियों ने दूसरी मर्तबा शहर का चक्कर लगाया। उन की वही तर्तीब थी। पहले कुछ मुसल्लह आदमी, फिर सात नरसिंगे बजाने वाले इमाम, फिर रब्ब के अह्द का सन्दूक़ उठाने वाले इमाम और आख़िर में मज़ीद कुछ मुसल्लह आदमी थे। चक्कर लगाने के दौरान इमाम नरसिंगे बजाते रहे।
14. इस दूसरे दिन भी वह शहर का चक्कर लगा कर ख़ैमागाह में लौट आए। उन्हों ने छः दिन तक ऐसा ही किया।
15. सातवें दिन उन्हों ने सुब्ह-सवेरे उठ कर शहर का चक्कर यूँ लगाया जैसे पहले छः दिनों में, लेकिन इस दफ़ा उन्हों ने कुल सात चक्कर लगाए।
16. सातवें चक्कर पर इमामों ने नरसिंगों को बजाते हुए लम्बी सी फूँक मारी। तब यशूअ ने लोगों से कहा, “जंग का नारा लगाएँ, क्यूँकि रब्ब ने आप को यह शहर दे दिया है।
17. शहर को और जो कुछ उस में है तबाह करके रब्ब के लिए मख़्सूस करना है। सिर्फ़ राहब कस्बी को उन लोगों समेत बचाना है जो उस के घर में हैं। क्यूँकि उस ने हमारे उन जासूसों को छुपा दिया जिन को हम ने यहाँ भेजा था।
18. लेकिन अल्लाह के लिए मख़्सूस चीज़ों को हाथ न लगाना, क्यूँकि अगर आप उन में से कुछ ले लें तो अपने आप को तबाह करेंगे बल्कि इस्राईली ख़ैमागाह पर भी तबाही और आफ़त लाएँगे।
19. जो कुछ भी चाँदी, सोने, पीतल या लोहे से बना है वह रब्ब के लिए मख़्सूस है। उसे रब्ब के ख़ज़ाने में डालना है।”
20. जब इमामों ने लम्बी फूँक मारी तो इस्राईलियों ने जंग के ज़ोरदार नारे लगाए। अचानक यरीहू की फ़सील गिर गई, और हर शख़्स अपनी अपनी जगह पर सीधा शहर में दाख़िल हुआ। यूँ शहर इस्राईल के क़ब्ज़े में आ गया।
21. जो कुछ भी शहर में था उसे उन्हों ने तल्वार से मार कर रब्ब के लिए मख़्सूस किया, ख़्वाह मर्द या औरत, जवान या बुज़ुर्ग, गाय-बैल, भेड़-बक्री या गधा था।
22. जिन दो आदमियों ने मुल्क की जासूसी की थी उन से यशूअ ने कहा, “अब अपनी क़सम का वादा पूरा करें। कस्बी के घर में जा कर उसे और उस के तमाम घर वालों को निकाल लाएँ।”
23. चुनाँचे यह जवान आदमी गए और राहब, उस के माँ-बाप, भाइयों और बाक़ी रिश्तेदारों को उस की मिल्कियत समेत निकाल कर ख़ैमागाह से बाहर कहीं बसा दिया।
24. फिर उन्हों ने पूरे शहर को और जो कुछ उस में था भस्म कर दिया। लेकिन चाँदी, सोने, पीतल और लोहे का तमाम माल उन्हों ने रब्ब के घर के ख़ज़ाने में डाल दिया।
25. यशूअ ने सिर्फ़ राहब कस्बी और उस के घर वालों को बचाए रखा, क्यूँकि उस ने उन आदमियों को छुपा दिया था जिन्हें यशूअ ने यरीहू भेजा था। राहब आज तक इस्राईलियों के दर्मियान रहती है।
26. उस वक़्त यशूअ ने क़सम खाई, “रब्ब की लानत उस पर हो जो यरीहू का शहर नए सिरे से तामीर करने की कोशिश करे। शहर की बुन्याद रखते वक़्त वह अपने पहलौठे से महरूम हो जाएगा, और उस के दरवाज़ों को खड़ा करते वक़्त वह अपने सब से छोटे बेटे से हाथ धो बैठेगा।”
27. यूँ रब्ब यशूअ के साथ था, और उस की शुहरत पूरे मुल्क में फैल गई।

  Joshua (6/24)