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1. | यह ख़बर दरया-ए-यर्दन के मग़रिब में आबाद तमाम अमोरी बादशाहों और साहिली इलाक़े में आबाद तमाम कनआनी बादशाहों तक पहुँच गई कि रब्ब ने इस्राईलियों के सामने दरया को उस वक़्त तक ख़ुश्क कर दिया जब तक सब ने पार न कर लिया था। तब उन की हिम्मत टूट गई और उन में इस्राईलियों का सामना करने की जुरअत न रही। |
2. | उस वक़्त रब्ब ने यशूअ से कहा, “पत्थर की छुरियाँ बना कर पहले की तरह इस्राईलियों का ख़तना करवा दे।” |
3. | चुनाँचे यशूअ ने पत्थर की छुरियाँ बना कर एक जगह पर इस्राईलियों का ख़तना करवाया जिस का नाम बाद में ‘ख़तना पहाड़’ रखा गया। |
4. | बात यह थी कि जो मर्द मिस्र से निकलते वक़्त जंग करने के क़ाबिल थे वह रेगिस्तान में चलते चलते मर चुके थे। |
5. | मिस्र से रवाना होने वाले इन तमाम मर्दों का ख़तना हुआ था, लेकिन जितने लड़कों की पैदाइश रेगिस्तान में हुई थी उन का ख़तना नहीं हुआ था। |
6. | चूँकि इस्राईली रब्ब के ताबे नहीं रहे थे इस लिए उस ने क़सम खाई थी कि वह उस मुल्क को नहीं देखेंगे जिस में दूध और शहद की कस्रत है और जिस का वादा उस ने क़सम खा कर उन के बापदादा से किया था। नतीजे में इस्राईली फ़ौरन मुल्क में दाख़िल न हो सके बल्कि उन्हें उस वक़्त तक रेगिस्तान में फिरना पड़ा जब तक वह तमाम मर्द मर न गए जो मिस्र से निकलते वक़्त जंग करने के क़ाबिल थे। |
7. | उन की जगह रब्ब ने उन के बेटों को खड़ा किया था। यशूअ ने उन ही का ख़तना करवाया। उन का ख़तना इस लिए हुआ कि रेगिस्तान में सफ़र के दौरान उन का ख़तना नहीं किया गया था। |
8. | पूरी क़ौम के मर्दों का ख़तना होने के बाद वह उस वक़्त तक ख़ैमागाह में रहे जब तक उन के ज़ख़्म ठीक नहीं हो गए थे। |
9. | और रब्ब ने यशूअ से कहा, “आज मैं ने मिस्र की रुस्वाई तुम से दूर कर दी है।” इस लिए उस जगह का नाम आज तक जिल्जाल यानी लुढ़काना रहा है। |
10. | जब इस्राईली यरीहू के मैदानी इलाक़े में वाक़े जिल्जाल में ख़ैमाज़न थे तो उन्हों ने फ़सह की ईद भी मनाई। महीने का चौधवाँ दिन था, |
11. | और अगले ही दिन वह पहली दफ़ा उस मुल्क की पैदावार में से बेख़मीरी रोटी और अनाज के भुने हुए दाने खाने लगे। |
12. | उस के बाद के दिन मन्न का सिलसिला ख़त्म हुआ और इस्राईलियों के लिए यह सहूलत न रही। उस साल वह कनआन की पैदावार से खाने लगे। |
13. | एक दिन यशूअ यरीहू शहर के क़रीब था। अचानक एक आदमी उस के सामने खड़ा नज़र आया जिस के हाथ में नंगी तल्वार थी। यशूअ ने उस के पास जा कर पूछा, “क्या आप हमारे साथ या हमारे दुश्मनों के साथ हैं?” |
14. | आदमी ने कहा, “नहीं, मैं रब्ब के लश्कर का सरदार हूँ और अभी अभी तेरे पास पहुँचा हूँ।” यह सुन कर यशूअ ने गिर कर उसे सिज्दा किया और पूछा, “मेरे आक़ा अपने ख़ादिम को क्या फ़रमाना चाहते हैं?” |
15. | रब्ब के लश्कर के सरदार ने जवाब में कहा, “अपने जूते उतार दे, क्यूँकि जिस जगह पर तू खड़ा है वह मुक़द्दस है।” यशूअ ने ऐसा ही किया। |
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