Joshua (4/24)  

1. जब पूरी क़ौम ने दरया-ए-यर्दन को उबूर कर लिया तो रब्ब यशूअ से हमकलाम हुआ,
2. “हर क़बीले में से एक एक आदमी को चुन ले।
3. फिर इन बारह आदमियों को हुक्म दे कि जहाँ इमाम दरया-ए-यर्दन के दर्मियान खड़े हैं वहाँ से बारह पत्थर उठा कर उन्हें उस जगह रख दो जहाँ तुम आज रात ठहरोगे।”
4. चुनाँचे यशूअ ने उन बारह आदमियों को बुलाया जिन्हें उस ने इस्राईल के हर क़बीले से चुन लिया था
5. और उन से कहा, “रब्ब अपने ख़ुदा के सन्दूक़ के आगे आगे चल कर दरया के दर्मियान तक जाएँ। आप में से हर आदमी एक एक पत्थर उठा कर अपने कंधे पर रखे और बाहर ले जाए। कुल बारह पत्थर होंगे, इस्राईल के हर क़बीले के लिए एक।
6. यह पत्थर आप के दर्मियान एक यादगार निशान रहेंगे। आइन्दा जब आप के बच्चे आप से पूछेंगे कि इन पत्थरों का क्या मतलब है
7. तो उन्हें बताना, ‘यह हमें याद दिलाते हैं कि दरया-ए-यर्दन का बहाओ रुक गया जब रब्ब का अह्द का सन्दूक़ उस में से गुज़रा।’ यह पत्थर अबद तक इस्राईल को याद दिलाते रहेंगे कि यहाँ क्या कुछ हुआ था।”
8. इस्राईलियों ने ऐसा ही किया। उन्हों ने दरया-ए-यर्दन के बीच में से अपने क़बीलों की तादाद के मुताबिक़ बारह पत्थर उठाए, बिलकुल उसी तरह जिस तरह रब्ब ने यशूअ को फ़रमाया था। फिर उन्हों ने यह पत्थर अपने साथ ले कर उस जगह रख दिए जहाँ उन्हें रात के लिए ठहरना था।
9. साथ साथ यशूअ ने उस जगह भी बारह पत्थर खड़े किए जहाँ अह्द का सन्दूक़ उठाने वाले इमाम दरया-ए-यर्दन के दर्मियान खड़े थे। यह पत्थर आज तक वहाँ पड़े हैं।
10. सन्दूक़ को उठाने वाले इमाम दरया के दर्मियान खड़े रहे जब तक लोगों ने तमाम अह्काम जो रब्ब ने यशूअ को दिए थे पूरे न कर लिए। यूँ सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा मूसा ने यशूअ को फ़रमाया था। लोग जल्दी जल्दी दरया में से गुज़रे।
11. जब सब दूसरे किनारे पर थे तो इमाम भी रब्ब का सन्दूक़ ले कर किनारे पर पहुँचे और दुबारा क़ौम के आगे आगे चलने लगे।
12. और जिस तरह मूसा ने फ़रमाया था, रूबिन, जद और मनस्सी के आधे क़बीले के मर्द मुसल्लह हो कर बाक़ी इस्राईली क़बीलों से पहले दरया के दूसरे किनारे पर पहुँच गए थे।
13. तक़्रीबन 40,000 मुसल्लह मर्द उस वक़्त रब्ब के सामने यरीहू के मैदान में पहुँच गए ताकि वहाँ जंग करें।
14. उस दिन रब्ब ने यशूअ को पूरी इस्राईली क़ौम के सामने सरफ़राज़ किया। उस के जीते जी लोग उस का यूँ ख़ौफ़ मानते रहे जिस तरह पहले मूसा का।
15. फिर रब्ब ने यशूअ से कहा,
16. “अह्द का सन्दूक़ उठाने वाले इमामों को दरया में से निकलने का हुक्म दे।”
17. यशूअ ने ऐसा ही किया
18. तो जूँ ही इमाम किनारे पर पहुँच गए पानी दुबारा बह कर दरया के किनारों से बाहर आने लगा।
19. इस्राईलियों ने पहले महीने के दसवें दिन दरया-ए-यर्दन को उबूर किया। उन्हों ने अपने ख़ैमे यरीहू के मशरिक़ में वाक़े जिल्जाल में खड़े किए।
20. वहाँ यशूअ ने दरया में से चुने हुए बारह पत्थरों को खड़ा किया।
21. उस ने इस्राईलियों से कहा, “आइन्दा जब आप के बच्चे अपने अपने बाप से पूछेंगे कि इन पत्थरों का क्या मतलब है
22. तो उन्हें बताना, ‘यह वह जगह है जहाँ इस्राईली क़ौम ने ख़ुश्क ज़मीन पर दरया-ए-यर्दन को पार किया।’
23. क्यूँकि रब्ब आप के ख़ुदा ने उस वक़्त तक आप के आगे आगे दरया का पानी ख़ुश्क कर दिया जब तक आप वहाँ से गुज़र न गए, बिलकुल उसी तरह जिस तरह बहर-ए-क़ुल्ज़ुम के साथ किया था जब हम उस में से गुज़रे।
24. उस ने यह काम इस लिए किया ताकि ज़मीन की तमाम क़ौमें अल्लाह की क़ुद्रत को जान लें और आप हमेशा रब्ब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें।”

  Joshua (4/24)