Joshua (20/24)  

1. रब्ब ने यशूअ से कहा,
2. “इस्राईलियों को हुक्म दे कि उन हिदायात के मुताबिक़ पनाह के शहर चुन लो जिन्हें मैं तुमहें मूसा की मारिफ़त दे चुका हूँ।
3. इन शहरों में वह लोग फ़रार हो सकते हैं जिन से कोई इत्तिफ़ाक़न यानी ग़ैरइरादी तौर पर हलाक हुआ हो। यह उन्हें मरे हुए शख़्स के उन रिश्तेदारों से पनाह देंगे जो बदला लेना चाहेंगे।
4. लाज़िम है कि ऐसा शख़्स पनाह के शहर के पास पहुँचने पर शहर के दरवाज़े के पास बैठे बुज़ुर्गों को अपना मुआमला पेश करे। उस की बात सुन कर बुज़ुर्ग उसे अपने शहर में दाख़िल होने की इजाज़त दें और उसे अपने दर्मियान रहने के लिए जगह दे दें।
5. अब अगर बदला लेने वाला उस के पीछे पड़ कर वहाँ पहुँचे तो बुज़ुर्ग मुल्ज़िम को उस के हाथ में न दें, क्यूँकि यह मौत ग़ैरइरादी तौर पर और नफ़रत रखे बग़ैर हुई है।
6. वह उस वक़्त तक शहर में रहे जब तक मक़ामी अदालत मुआमले का फ़ैसला न कर दे। अगर अदालत उसे बेगुनाह क़रार दे तो वह उस वक़्त के इमाम-ए-आज़म की मौत तक उस शहर में रहे। इस के बाद उसे अपने उस शहर और घर को वापस जाने की इजाज़त है जिस से वह फ़रार हो कर आया है।”
7. इस्राईलियों ने पनाह के यह शहर चुन लिए : नफ़्ताली के पहाड़ी इलाक़े में गलील का क़ादिस, इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े में सिकम और यहूदाह के पहाड़ी इलाक़े में क़िर्यत-अर्बा यानी हब्रून।
8. दरया-ए-यर्दन के मशरिक़ में उन्हों ने बसर को चुन लिया जो यरीहू से काफ़ी दूर मैदान-ए-मुर्तफ़ा में है और रूबिन के क़बीले की मिल्कियत है। मुल्क-ए-जिलिआद में रामात जो जद के क़बीले का है और बसन में जौलान जो मनस्सी के क़बीले का है चुना गया।
9. यह शहर तमाम इस्राईलियों और इस्राईल में रहने वाले अजनबियों के लिए मुक़र्रर किए गए। जिस से भी ग़ैरइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ उसे इन में पनाह लेने की इजाज़त थी। इन में वह उस वक़्त तक बदला लेने वालों से मह्फ़ूज़ रहता था जब तक मक़ामी अदालत फ़ैसला नहीं कर देती थी।

  Joshua (20/24)