Joshua (2/24)  

1. फिर यशूअ ने चुपके से दो जासूसों को शित्तीम से भेज दिया जहाँ इस्राईली ख़ैमागाह थी। उस ने उन से कहा, “जा कर मुल्क का जाइज़ा लें, ख़ासकर यरीहू शहर का।” वह रवाना हुए और चलते चलते एक कस्बी के घर पहुँचे जिस का नाम राहब था। वहाँ वह रात के लिए ठहर गए।
2. लेकिन यरीहू के बादशाह को इत्तिला मिली कि आज शाम को कुछ इस्राईली मर्द यहाँ पहुँच गए हैं जो मुल्क की जासूसी करना चाहते हैं।
3. यह सुन कर बादशाह ने राहब को ख़बर भेजी, “उन आदमियों को निकाल दो जो तुम्हारे पास आ कर ठहरे हुए हैं, क्यूँकि यह पूरे मुल्क की जासूसी करने के लिए आए हैं।”
4. लेकिन राहब ने दोनों आदमियों को छुपा रखा था। उस ने कहा, “जी, यह आदमी मेरे पास आए तो थे लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि कहाँ से आए हैं।
5. जब दिन ढलने लगा और शहर के दरवाज़ों को बन्द करने का वक़्त आ गया तो वह चले गए। मुझे मालूम नहीं कि किस तरफ़ गए। अब जल्दी करके उन का पीछा करें। ऐन मुम्किन है कि आप उन्हें पकड़ लें।”
6. हक़ीक़त में राहब ने उन्हें छत पर ले जा कर वहाँ पर पड़े सन के डंठलों के नीचे छुपा दिया था।
7. राहब की बात सुन कर बादशाह के आदमी वहाँ से चले गए और शहर से निकल कर जासूसों के ताक़्क़ुब में उस रास्ते पर चलने लगे जो दरया-ए-यर्दन के उन कम-गहरे मक़ामों तक ले जाता है जहाँ उसे पैदल उबूर किया जा सकता था। और जूँ ही यह आदमी निकले, शहर का दरवाज़ा उन के पीछे बन्द कर दिया गया।
8. जासूसों के सो जाने से पहले राहब ने छत पर आ कर
9. उन से कहा, “मैं जानती हूँ कि रब्ब ने यह मुल्क आप को दे दिया है। आप के बारे में सुन कर हम पर दह्शत छा गई है, और मुल्क के तमाम बाशिन्दे हिम्मत हार गए हैं।
10. क्यूँकि हमें ख़बर मिली है कि आप के मिस्र से निकलते वक़्त रब्ब ने बहर-ए-क़ुल्ज़ुम का पानी किस तरह आप के आगे ख़ुश्क कर दिया। यह भी हमारे सुनने में आया है कि आप ने दरया-ए-यर्दन के मशरिक़ में रहने वाले दो बादशाहों सीहोन और ओज के साथ क्या कुछ किया, कि आप ने उन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया।
11. यह सुन कर हमारी हिम्मत टूट गई। आप के सामने हम सब हौसला हार गए हैं, क्यूँकि रब्ब आप का ख़ुदा आस्मान-ओ-ज़मीन का ख़ुदा है।
12. अब रब्ब की क़सम खा कर मुझ से वादा करें कि आप उसी तरह मेरे ख़ान्दान पर मेहरबानी करेंगे जिस तरह कि मैं ने आप पर की है। और ज़मानत के तौर पर मुझे कोई निशान दें
13. कि आप मेरे माँ-बाप, मेरे बहन-भाइयों और उन के घर वालों को ज़िन्दा छोड़ कर हमें मौत से बचाए रखेंगे।”
14. आदमियों ने कहा, “हम अपनी जानों को ज़मानत के तौर पर पेश करते हैं कि आप मह्फ़ूज़ रहेंगे। अगर आप किसी को हमारे बारे में इत्तिला न दें तो हम आप से ज़रूर मेहरबानी और वफ़ादारी से पेश आएँगे जब रब्ब हमें यह मुल्क अता फ़रमाएगा।”
15. तब राहब ने शहर से निकलने में उन की मदद की। चूँकि उस का घर शहर की चारदीवारी से मुल्हिक़ था इस लिए आदमी खिड़की से निकल कर रस्से के ज़रीए बाहर की ज़मीन पर उतर आए।
16. उतरने से पहले राहब ने उन्हें हिदायत की, “पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ चले जाएँ। जो आप का ताक़्क़ुब कर रहे हैं वह वहाँ आप को ढूँड नहीं सकेंगे। तीन दिन तक यानी जब तक वह वापस न आ जाएँ वहाँ छुपे रहना। इस के बाद जहाँ जाने का इरादा है चले जाना।”
17. आदमियों ने उस से कहा, “जो क़सम आप ने हमें खिलाई है हम ज़रूर उस के पाबन्द रहेंगे। लेकिन शर्त यह है
18. कि आप हमारे इस मुल्क में आते वक़्त क़िर्मिज़ी रंग का यह रस्सा उस खिड़की के सामने बाँध दें जिस में से आप ने हमें उतरने दिया है। यह भी लाज़िम है कि उस वक़्त आप के माँ-बाप, भाई-बहनें और तमाम घर वाले आप के घर में हों।
19. अगर कोई आप के घर में से निकले और मार दिया जाए तो यह हमारा क़ुसूर नहीं होगा, हम ज़िम्मादार नहीं ठहरेंगे। लेकिन अगर किसी को हाथ लगाया जाए जो आप के घर के अन्दर हो तो हम ही उस की मौत के ज़िम्मादार ठहरेंगे।
20. और किसी को हमारे मुआमले के बारे में इत्तिला न देना, वर्ना हम उस क़सम से आज़ाद हैं जो आप ने हमें खिलाई।”
21. राहब ने जवाब दिया, “ठीक है, ऐसा ही हो।” फिर उस ने उन्हें रुख़्सत किया और वह रवाना हुए। और राहब ने अपनी खिड़की के साथ मज़्कूरा रस्सा बाँध दिया।
22. जासूस चलते चलते पहाड़ी इलाक़े में आ गए। वहाँ वह तीन दिन रहे। इतने में उन का ताक़्क़ुब करने वाले पूरे रास्ते का खोज लगा कर ख़ाली हाथ लौटे।
23. फिर दोनों जासूसों ने पहाड़ी इलाक़े से उतर कर दरया-ए-यर्दन को पार किया और यशूअ बिन नून के पास आ कर सब कुछ बयान किया जो उन के साथ हुआ था।
24. उन्हों ने कहा, “यक़ीनन रब्ब ने हमें पूरा मुल्क दे दिया है। हमारे बारे में सुन कर मुल्क के तमाम बाशिन्दों पर दह्शत तारी हो गई है।”

  Joshua (2/24)