← Joshua (13/24) → |
1. | जब यशूअ बूढ़ा था तो रब्ब ने उस से कहा, “तू बहुत बूढ़ा हो चुका है, लेकिन अभी काफ़ी कुछ बाक़ी रह गया है जिस पर क़ब्ज़ा करने की ज़रूरत है। |
2. | इस में फ़िलिस्तियों के तमाम इलाक़े उन के शाही शहरों ग़ज़्ज़ा, अश्दूद, अस्क़लून, जात और अक़्रून समेत शामिल हैं और इसी तरह जसूर का इलाक़ा जिस की जुनूबी सरहद्द वादी-ए-सैहूर है जो मिस्र के मशरिक़ में है और जिस की शिमाली सरहद्द अक़्रून है। उसे भी मुल्क-ए-कनआन का हिस्सा क़रार दिया जाता है। अव्वियों का इलाक़ा भी |
3. | इस में फ़िलिस्तियों के तमाम इलाक़े उन के शाही शहरों ग़ज़्ज़ा, अश्दूद, अस्क़लून, जात और अक़्रून समेत शामिल हैं और इसी तरह जसूर का इलाक़ा जिस की जुनूबी सरहद्द वादी-ए-सैहूर है जो मिस्र के मशरिक़ में है और जिस की शिमाली सरहद्द अक़्रून है। उसे भी मुल्क-ए-कनआन का हिस्सा क़रार दिया जाता है। अव्वियों का इलाक़ा भी |
4. | जो जुनूब में है अब तक इस्राईल के क़ब्ज़े में नहीं आया। यही बात शिमाल पर भी सादिक़ आती है। सैदानियों के शहर मआरा से ले कर अफ़ीक़ शहर और अमोरियों की सरहद्द तक सब कुछ अब तक इस्राईल की हुकूमत से बाहर है। |
5. | इस के इलावा जबलियों का मुल्क और मशरिक़ में पूरा लुब्नान हर्मून पहाड़ के दामन में बाल-जद से ले कर लबो-हमात तक बाक़ी रह गया है। |
6. | इस में उन सैदानियों का तमाम इलाक़ा भी शामिल है जो लुब्नान के पहाड़ों और मिस्रफ़ात-माइम के दर्मियान के पहाड़ी इलाक़े में आबाद हैं। इस्राईलियों के बढ़ते बढ़ते मैं ख़ुद ही इन लोगों को उन के सामने से निकाल दूँगा। लेकिन लाज़िम है कि तू क़ुरआ डाल कर यह पूरा मुल्क मेरे हुक्म के मुताबिक़ इस्राईलियों में तक़्सीम करे। |
7. | उसे नौ बाक़ी क़बीलों और मनस्सी के आधे क़बीले को विरासत में दे दे।” |
8. | रब्ब का ख़ादिम मूसा रूबिन, जद और मनस्सी के बाक़ी आधे क़बीले को दरया-ए-यर्दन का मशरिक़ी इलाक़ा दे चुका था। |
9. | यूँ हस्बोन के अमोरी बादशाह सीहोन के तमाम शहर उन के क़ब्ज़े में आ गए थे यानी जुनूबी वादी-ए-अर्नोन के किनारे पर शहर अरोईर और उसी वादी के बीच के शहर से ले कर शिमाल में अम्मोनियों की सरहद्द तक। दीबोन और मीदबा के दर्मियान का मैदान-ए-मुर्तफ़ा भी इस में शामिल था |
10. | यूँ हस्बोन के अमोरी बादशाह सीहोन के तमाम शहर उन के क़ब्ज़े में आ गए थे यानी जुनूबी वादी-ए-अर्नोन के किनारे पर शहर अरोईर और उसी वादी के बीच के शहर से ले कर शिमाल में अम्मोनियों की सरहद्द तक। दीबोन और मीदबा के दर्मियान का मैदान-ए-मुर्तफ़ा भी इस में शामिल था |
11. | और इसी तरह जिलिआद, जसूरियों और माकातियों का इलाक़ा, हर्मून का पहाड़ी इलाक़ा और सल्का शहर तक बसन का सारा इलाक़ा भी। |
12. | पहले यह सारा इलाक़ा बसन के बादशाह ओज के क़ब्ज़े में था जिस की हुकूमत के मर्कज़ अस्तारात और इद्रई थे। रफ़ाइयों के देओ क़बीले से सिर्फ़ ओज बाक़ी रह गया था। मूसा की राहनुमाई के तहत इस्राईलियों ने उस इलाक़े पर फ़त्ह पा कर तमाम बाशिन्दों को निकाल दिया था। |
13. | सिर्फ़ जसूरी और माकाती बाक़ी रह गए थे, और यह आज तक इस्राईलियों के दर्मियान रहते हैं। |
14. | सिर्फ़ लावी के क़बीले को कोई ज़मीन न मिली, क्यूँकि उन का मौरूसी हिस्सा जलने वाली वह क़ुर्बानियाँ हैं जो रब्ब इस्राईल के ख़ुदा के लिए चढ़ाई जाती हैं। रब्ब ने यही कुछ मूसा को बताया था। |
15. | मूसा ने रूबिन के क़बीले को उस के कुंबों के मुताबिक़ ज़ैल का इलाक़ा दिया। |
16. | वादी-ए-अर्नोन के किनारे पर शहर अरोईर और उसी वादी के बीच के शहर से ले कर मीदबा |
17. | और हस्बोन तक। वहाँ के मैदान-ए-मुर्तफ़ा पर वाक़े तमाम शहर भी रूबिन के सपुर्द किए गए यानी दीबोन, बामात-बाल, बैत-बाल-मऊन, |
18. | यहज़, क़दीमात, मिफ़ात, |
19. | क़िर्यताइम, सिब्माह, ज़िरत-उस-सहर जो बहीरा-ए-मुर्दार के मशरिक़ में वाक़े पहाड़ी इलाक़े में है, |
20. | बैत-फ़ग़ूर, पिसगा के पहाड़ी सिलसिले पर मौजूद आबादियाँ और बैत-यसीमोत। |
21. | मैदान-ए-मुर्तफ़ा के तमाम शहर रूबिन के क़बीले को दिए गए यानी अमोरियों के बादशाह सीहोन की पूरी बादशाही जिस का दार-उल-हकूमत हस्बोन शहर था। मूसा ने सीहोन को मार डाला था और उस के साथ पाँच मिदियानी रईसों को भी जिन्हें सीहोन ने अपने मुल्क में मुक़र्रर किया था। इन रईसों के नाम इवी, रक़म, सूर, हूर और रबा थे। |
22. | जिन लोगों को उस वक़्त मारा गया उन में से बलआम बिन बओर भी था जो ग़ैबदान था। |
23. | रूबिन के क़बीले की मग़रिबी सरहद्द दरया-ए-यर्दन थी। यही शहर और आबादियाँ रूबिन के क़बीले को उस के कुंबों के मुताबिक़ दी गईं, और वह उस की मीरास ठहरीं। |
24. | मूसा ने जद के क़बीले को उस के कुंबों के मुताबिक़ ज़ैल का इलाक़ा दिया। |
25. | याज़ेर का इलाक़ा, जिलिआद के तमाम शहर, अम्मोनियों का आधा हिस्सा रब्बा के क़रीब शहर अरोईर तक |
26. | और हस्बोन के बादशाह सीहोन की बादशाही का बाक़ी शिमाली हिस्सा यानी हस्बोन, रामत-उल-मिस्फ़ाह और बतूनीम के दर्मियान का इलाक़ा और महनाइम और दबीर के दर्मियान का इलाक़ा। इस के इलावा जद को वादी-ए-यर्दन का वह मशरिक़ी हिस्सा भी मिल गया जो बैत-हारम, बैत-निम्रा, सुक्कात और सफ़ोन पर मुश्तमिल था। यूँ उस की शिमाली सरहद्द किन्नरत यानी गलील की झील का जुनूबी किनारा था। |
27. | और हस्बोन के बादशाह सीहोन की बादशाही का बाक़ी शिमाली हिस्सा यानी हस्बोन, रामत-उल-मिस्फ़ाह और बतूनीम के दर्मियान का इलाक़ा और महनाइम और दबीर के दर्मियान का इलाक़ा। इस के इलावा जद को वादी-ए-यर्दन का वह मशरिक़ी हिस्सा भी मिल गया जो बैत-हारम, बैत-निम्रा, सुक्कात और सफ़ोन पर मुश्तमिल था। यूँ उस की शिमाली सरहद्द किन्नरत यानी गलील की झील का जुनूबी किनारा था। |
28. | यही शहर और आबादियाँ जद के क़बीले को उस के कुंबों के मुताबिक़ दी गईं, और वह उस की मीरास ठहरीं। |
29. | जो इलाक़ा मूसा ने मनस्सी के आधे हिस्से को उस के कुंबों के मुताबिक़ दिया था |
30. | वह महनाइम से ले कर शिमाल में ओज बादशाह की तमाम बादशाही पर मुश्तमिल था। उस में मुल्क-ए-बसन और वह 60 आबादियाँ शामिल थीं जिन पर याईर ने फ़त्ह पाई थी। |
31. | जिलिआद का आधा हिस्सा ओज की हुकूमत के दो मराकिज़ अस्तारात और इद्रई समेत मकीर बिन मनस्सी की औलाद को उस के कुंबों के मुताबिक़ दिया गया। |
32. | मूसा ने इन मौरूसी ज़मीनों की तक़्सीम उस वक़्त की थी जब वह दरया-ए-यर्दन के मशरिक़ में मोआब के मैदानी इलाक़े में यरीहू शहर के मुक़ाबिल था। |
33. | लेकिन लावी को मूसा से कोई मौरूसी ज़मीन नहीं मिली थी, क्यूँकि रब्ब इस्राईल का ख़ुदा उन का मौरूसी हिस्सा है जिस तरह उस ने उन से वादा किया था। |
← Joshua (13/24) → |