Joshua (10/24)  

1. यरूशलम के बादशाह अदूनी-सिद्क़ को ख़बर मिली कि यशूअ ने अई पर यूँ क़ब्ज़ा करके उसे मुकम्मल तौर पर तबाह कर दिया है जिस तरह उस ने यरीहू और उस के बादशाह के साथ भी किया था। उसे यह इत्तिला भी दी गई कि जिबऊन के बाशिन्दे इस्राईलियों के साथ सुलह का मुआहदा करके उन के दर्मियान रह रहे हैं।
2. यह सुन कर वह और उस की क़ौम निहायत डर गए, क्यूँकि जिबऊन बड़ा शहर था। वह अहमियत के लिहाज़ से उन शहरों के बराबर था जिन के बादशाह थे, बल्कि वह अई शहर से भी बड़ा था, और उस के तमाम मर्द बेहतरीन फ़ौजी थे।
3. चुनाँचे यरूशलम के बादशाह अदूनी-सिद्क़ ने अपने क़ासिद हब्रून के बादशाह हूहाम, यर्मूत के बादशाह पीराम, लकीस के बादशाह यफ़ीअ और इज्लून के बादशाह दबीर के पास भेज दिए।
4. पैग़ाम यह था, “आएँ और जिबऊन पर हम्ला करने में मेरी मदद करें, क्यूँकि उस ने यशूअ और इस्राईलियों के साथ सुलह का मुआहदा कर लिया है।”
5. यरूशलम, हब्रून, यर्मूत, लकीस और इज्लून के यह पाँच अमोरी बादशाह मुत्तहिद हुए। वह अपने तमाम फ़ौजियों को ले कर चल पड़े और जिबऊन का मुहासरा करके उस से जंग करने लगे।
6. उस वक़्त यशूअ ने अपने ख़ैमे जिल्जाल में लगाए थे। जिबऊन के लोगों ने उसे पैग़ाम भेज दिया, “अपने ख़ादिमों को तर्क न करें। जल्दी से हमारे पास आ कर हमें बचाएँ! हमारी मदद कीजिए, क्यूँकि पहाड़ी इलाक़े के तमाम अमोरी बादशाह हमारे ख़िलाफ़ मुत्तहिद हो गए हैं।”
7. यह सुन कर यशूअ अपनी पूरी फ़ौज के साथ जिल्जाल से निकला और जिबऊन के लिए रवाना हुआ। उस के बेहतरीन फ़ौजी भी सब उस के साथ थे।
8. रब्ब ने यशूअ से कहा, “उन से मत डरना, क्यूँकि मैं उन्हें तेरे हाथ में कर चुका हूँ। उन में से एक भी तेरा मुक़ाबला नहीं करने पाएगा।”
9. और यशूअ ने जिल्जाल से सारी रात सफ़र करते करते अचानक दुश्मन पर हम्ला किया।
10. उस वक़्त रब्ब ने इस्राईलियों के देखते देखते दुश्मन में अब्तरी पैदा कर दी, और उन्हों ने जिबऊन के क़रीब दुश्मन को ज़बरदस्त शिकस्त दी। इस्राईली बैत-हौरून तक पहुँचाने वाले रास्ते पर अमोरियों का ताक़्क़ुब करते करते उन्हें अज़ीक़ा और मक़्क़ेदा तक मौत के घाट उतारते गए।
11. और जब अमोरी इस रास्ते पर अज़ीक़ा की तरफ़ भाग रहे थे तो रब्ब ने आस्मान से उन पर बड़े बड़े ओले बरसाए जिन्हों ने इस्राईलियों की निस्बत ज़ियादा दुश्मनों को हलाक कर दिया।
12. उस दिन जब रब्ब ने अमोरियों को इस्राईल के हाथ में कर दिया तो यशूअ ने इस्राईलियों की मौजूदगी में रब्ब से कहा, “ऐ सूरज, जिबऊन के ऊपर रुक जा! ऐ चाँद, वादी-ए-अय्यालोन पर ठहर जा!”
13. तब सूरज रुक गया, और चाँद ने आगे हर्कत न की। जब तक कि इस्राईल ने अपने दुश्मनों से पूरा बदला न ले लिया उस वक़्त तक वह रुके रहे। इस बात का ज़िक्र याशर की किताब में किया गया है। सूरज आस्मान के बीच में रुक गया और तक़्रीबन एक पूरे दिन के दौरान ग़ुरूब न हुआ।
14. यह दिन मुन्फ़रिद था। रब्ब ने इन्सान की इस तरह की दुआ न कभी इस से पहले, न कभी इस के बाद सुनी। क्यूँकि रब्ब ख़ुद इस्राईल के लिए लड़ रहा था।
15. इस के बाद यशूअ पूरे इस्राईल समेत जिल्जाल की ख़ैमागाह में लौट आया।
16. लेकिन पाँचों अमोरी बादशाह फ़रार हो कर मक़्क़ेदा के एक ग़ार में छुप गए थे।
17. यशूअ को इत्तिला दी गई
18. तो उस ने कहा, “कुछ बड़े बड़े पत्थर लुढ़का कर ग़ार का मुँह बन्द करना, और कुछ आदमी उस की पहरादारी करें।
19. लेकिन बाक़ी लोग न रुकें बल्कि दुश्मनों का ताक़्क़ुब करके पीछे से उन्हें मारते जाएँ। उन्हें दुबारा अपने शहरों में दाख़िल होने का मौक़ा मत देना, क्यूँकि रब्ब आप के ख़ुदा ने उन्हें आप के हाथ में कर दिया है।”
20. चुनाँचे यशूअ और बाक़ी इस्राईली उन्हें हलाक करते रहे, और कम ही अपने शहरों की फ़सील में दाख़िल हो सके।
21. इस के बाद पूरी फ़ौज सहीह-सलामत यशूअ के पास मक़्क़ेदा की लश्करगाह में वापस पहुँच गई। अब से किसी में भी इस्राईलियों को धमकी देने की जुरअत न रही।
22. फिर यशूअ ने कहा, “ग़ार के मुँह को खोल कर यह पाँच बादशाह मेरे पास निकाल लाएँ।”
23. लोग ग़ार को खोल कर यरूशलम, हब्रून, यर्मूत, लकीस और इज्लून के बादशाहों को यशूअ के पास निकाल लाए।
24. यशूअ ने इस्राईल के मर्दों को बुला कर अपने साथ खड़े फ़ौजी अफ़्सरों से कहा, “इधर आ कर अपने पैरों को बादशाहों की गरदनों पर रख दें।” अफ़्सरों ने ऐसा ही किया।
25. फिर यशूअ ने उन से कहा, “न डरें और न हौसला हारें। मज़्बूत और दिलेर हों। रब्ब यही कुछ उन तमाम दुश्मनों के साथ करेगा जिन से आप लड़ेंगे।”
26. यह कह कर उस ने बादशाहों को हलाक करके उन की लाशें पाँच दरख़्तों से लटका दीं। वहाँ वह शाम तक लटकी रहीं।
27. जब सूरज डूबने लगा तो लोगों ने यशूअ के हुक्म पर लाशें उतार कर उस ग़ार में फैंक दीं जिस में बादशाह छुप गए थे। फिर उन्हों ने ग़ार के मुँह को बड़े बड़े पत्थरों से बन्द कर दिया। यह पत्थर आज तक वहाँ पड़े हुए हैं।
28. उस दिन मक़्क़ेदा यशूअ के क़ब्ज़े में आ गया। उस ने पूरे शहर को तल्वार से रब्ब के लिए मख़्सूस करके तबाह कर दिया। बादशाह समेत सब हलाक हुए और एक भी न बचा। शहर के बादशाह के साथ उस ने वह सुलूक किया जो उस ने यरीहू के बादशाह के साथ किया था।
29. फिर यशूअ ने तमाम इस्राईलियों के साथ वहाँ से आगे निकल कर लिब्ना पर हम्ला किया।
30. रब्ब ने उस शहर और उस के बादशाह को भी इस्राईल के हाथ में कर दिया। यशूअ ने तल्वार से शहर के तमाम बाशिन्दों को हलाक किया, और एक भी न बचा। बादशाह के साथ उस ने वही सुलूक किया जो उस ने यरीहू के बादशाह के साथ किया था।
31. इस के बाद उस ने तमाम इस्राईलियों के साथ लिब्ना से आगे बढ़ कर लकीस का मुहासरा किया। जब उस ने उस पर हम्ला किया
32. तो रब्ब ने यह शहर उस के बादशाह समेत इस्राईल के हाथ में कर दिया। दूसरे दिन वह यशूअ के क़ब्ज़े में आ गया। शहर के सारे बाशिन्दों को उस ने तल्वार से हलाक किया, जिस तरह कि उस ने लिब्ना के साथ भी किया था।
33. साथ साथ यशूअ ने जज़र के बादशाह हूरम और उस के लोगों को भी शिकस्त दी जो लकीस की मदद करने के लिए आए थे। उन में से एक भी न बचा।
34. फिर यशूअ ने तमाम इस्राईलियों के साथ लकीस से आगे बढ़ कर इज्लून का मुहासरा कर लिया। उसी दिन उन्हों ने उस पर हम्ला करके
35. उस पर क़ब्ज़ा कर लिया। जिस तरह लकीस के साथ हुआ उसी तरह इज्लून के साथ भी किया गया यानी शहर के तमाम बाशिन्दे तल्वार से हलाक हुए।
36. इस के बाद यशूअ ने तमाम इस्राईलियों के साथ इज्लून से आगे बढ़ कर हब्रून पर हम्ला किया।
37. शहर पर क़ब्ज़ा करके उन्हों ने बादशाह, इर्दगिर्द की आबादियाँ और बाशिन्दे सब के सब तह-ए-तेग़ कर दिए। कोई न बचा। इज्लून की तरह उन्हों ने उसे पूरे तौर पर तमाम बाशिन्दों समेत रब्ब के लिए मख़्सूस करके तबाह कर दिया।
38. फिर यशूअ तमाम इस्राईलियों के साथ मुड़ कर दबीर की तरफ़ बढ़ गया। उस पर हम्ला करके
39. उस ने शहर, उस के बादशाह और इर्दगिर्द की आबादियों पर क़ब्ज़ा कर लिया। सब को नेस्त कर दिया गया, एक भी न बचा। यूँ दबीर के साथ वह कुछ हुआ जो पहले हब्रून और लिब्ना उस के बादशाह समेत हुआ था।
40. इस तरह यशूअ ने जुनूबी कनआन के तमाम बादशाहों को शिकस्त दे कर उन के पूरे मुल्क पर क़ब्ज़ा कर लिया यानी मुल्क के पहाड़ी इलाक़े पर, जुनूब के दश्त-ए-नजब पर, मग़रिब के निशेबी पहाड़ी इलाक़े पर और वादी-ए-यर्दन के मग़रिब में वाक़े पहाड़ी ढलानों पर। उस ने किसी को भी बचने न दिया बल्कि हर जानदार को रब्ब के लिए मख़्सूस करके हलाक कर दिया। यह सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा रब्ब इस्राईल के ख़ुदा ने हुक्म दिया था।
41. यशूअ ने उन्हें क़ादिस-बर्नीअ से ले कर ग़ज़्ज़ा तक और जुशन के पूरे इलाक़े से ले कर जिबऊन तक शिकस्त दी।
42. इन तमाम बादशाहों और उन के ममालिक पर यशूअ ने एक ही वक़्त फ़त्ह पाई, क्यूँकि इस्राईल का ख़ुदा इस्राईल के लिए लड़ा।
43. इस के बाद यशूअ तमाम इस्राईलियों के साथ जिल्जाल की ख़ैमागाह में लौट आया।

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