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1. | चलते चलते ईसा ने एक आदमी को देखा जो पैदाइश का अंधा था। |
2. | उस के शागिर्दों ने उस से पूछा, “उस्ताद, यह आदमी अंधा क्यूँ पैदा हुआ? क्या इस का कोई गुनाह है या इस के वालिदैन का?” |
3. | ईसा ने जवाब दिया, “न इस का कोई गुनाह है और न इस के वालिदैन का। यह इस लिए हुआ कि इस की ज़िन्दगी में अल्लाह का काम ज़ाहिर हो जाए। |
4. | अभी दिन है। लाज़िम है कि हम जितनी देर तक दिन है उस का काम करते रहें जिस ने मुझे भेजा है। क्यूँकि रात आने वाली है, उस वक़्त कोई काम नहीं कर सकेगा। |
5. | लेकिन जितनी देर तक मैं दुनिया में हूँ उतनी देर तक मैं दुनिया का नूर हूँ।” |
6. | यह कह कर उस ने ज़मीन पर थूक कर मिट्टी सानी और उस की आँखों पर लगा दी। |
7. | उस ने उस से कहा, “जा, शिलोख़ के हौज़ में नहा ले।” (शिलोख़ का मतलब ‘भेजा हुआ’ है।) अंधे ने जा कर नहा लिया। जब वापस आया तो वह देख सकता था। |
8. | उस के हमसाय और वह जिन्हों ने पहले उसे भीक माँगते देखा था पूछने लगे, “क्या यह वही नहीं जो बैठा भीक माँगा करता था?” |
9. | बाज़ ने कहा, “हाँ, वही है।” औरों ने इन्कार किया, “नहीं, यह सिर्फ़ उस का हमशक्ल है।” लेकिन आदमी ने ख़ुद इस्रार किया, “मैं वही हूँ।” |
10. | उन्हों ने उस से सवाल किया, “तेरी आँखें किस तरह बहाल हुईं?” |
11. | उस ने जवाब दिया, “वह आदमी जो ईसा कहलाता है उस ने मिट्टी सान कर मेरी आँखों पर लगा दी। फिर उस ने मुझे कहा, ‘शिलोख़ के हौज़ पर जा और नहा ले।’ मैं वहाँ गया और नहाते ही मेरी आँखें बहाल हो गईं।” |
12. | उन्हों ने पूछा, “वह कहाँ है?” उस ने जवाब दिया, “मुझे नहीं मालूम।” |
13. | तब वह शिफ़ायाब अंधे को फ़रीसियों के पास ले गए। |
14. | जिस दिन ईसा ने मिट्टी सान कर उस की आँखों को बहाल किया था वह सबत का दिन था। |
15. | इस लिए फ़रीसियों ने भी उस से पूछगिछ की कि उसे किस तरह बसारत मिल गई। आदमी ने जवाब दिया, “उस ने मेरी आँखों पर मिट्टी लगा दी, फिर मैं ने नहा लिया और अब देख सकता हूँ।” |
16. | फ़रीसियों में से बाज़ ने कहा, “यह शख़्स अल्लाह की तरफ़ से नहीं है, क्यूँकि सबत के दिन काम करता है।” दूसरों ने एतिराज़ किया, “गुनाहगार इस क़िस्म के इलाही निशान किस तरह दिखा सकता है?” यूँ उन में फूट पड़ गई। |
17. | फिर वह दुबारा उस आदमी से मुख़ातिब हुए जो पहले अंधा था, “तू ख़ुद इस के बारे में क्या कहता है? उस ने तो तेरी ही आँखों को बहाल किया है।” उस ने जवाब दिया, “वह नबी है।” |
18. | यहूदियों को यक़ीन नहीं आ रहा था कि वह वाक़ई अंधा था और फिर बहाल हो गया है। इस लिए उन्हों ने उस के वालिदैन को बुलाया। |
19. | उन्हों ने उन से पूछा, “क्या यह तुम्हारा बेटा है, वही जिस के बारे में तुम कहते हो कि वह अंधा पैदा हुआ था? अब यह किस तरह देख सकता है?” |
20. | उस के वालिदैन ने जवाब दिया, “हम जानते हैं कि यह हमारा बेटा है और कि यह पैदा होते वक़्त अंधा था। |
21. | लेकिन हमें मालूम नहीं कि अब यह किस तरह देख सकता है या कि किस ने इस की आँखों को बहाल किया है। इस से ख़ुद पता करें, यह बालिग़ है। यह ख़ुद अपने बारे में बता सकता है।” |
22. | उस के वालिदैन ने यह इस लिए कहा कि वह यहूदियों से डरते थे। क्यूँकि वह फ़ैसला कर चुके थे कि जो भी ईसा को मसीह क़रार दे उसे यहूदी जमाअत से निकाल दिया जाए। |
23. | यही वजह थी कि उस के वालिदैन ने कहा था, “यह बालिग़ है, इस से ख़ुद पूछ लें।” |
24. | एक बार फिर उन्हों ने शिफ़ायाब अंधे को बुलाया, “अल्लाह को जलाल दे, हम तो जानते हैं कि यह आदमी गुनाहगार है।” |
25. | आदमी ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता है कि वह गुनाहगार है या नहीं, लेकिन एक बात मैं जानता हूँ, पहले मैं अंधा था, और अब मैं देख सकता हूँ!” |
26. | फिर उन्हों ने उस से सवाल किया, “उस ने तेरे साथ क्या किया? उस ने किस तरह तेरी आँखों को बहाल कर दिया?” |
27. | उस ने जवाब दिया, “मैं पहले भी आप को बता चुका हूँ और आप ने सुना नहीं। क्या आप भी उस के शागिर्द बनना चाहते हैं?” |
28. | इस पर उन्हों ने उसे बुरा-भला कहा, “तू ही उस का शागिर्द है, हम तो मूसा के शागिर्द हैं। |
29. | हम तो जानते हैं कि अल्लाह ने मूसा से बात की है, लेकिन इस के बारे में हम यह भी नहीं जानते कि वह कहाँ से आया है।” |
30. | आदमी ने जवाब दिया, “अजीब बात है, उस ने मेरी आँखों को शिफ़ा दी है और फिर भी आप नहीं जानते कि वह कहाँ से है। |
31. | हम जानते हैं कि अल्लाह गुनाहगारों की नहीं सुनता। वह तो उस की सुनता है जो उस का ख़ौफ़ मानता और उस की मर्ज़ी के मुताबिक़ चलता है। |
32. | इबतिदा ही से यह बात सुनने में नहीं आई कि किसी ने पैदाइशी अंधे की आँखों को बहाल कर दिया हो। |
33. | अगर यह आदमी अल्लाह की तरफ़ से न होता तो कुछ न कर सकता।” |
34. | जवाब में उन्हों ने उसे बताया, “तू जो गुनाहआलूदा हालत में पैदा हुआ है क्या तू हमारा उस्ताद बनना चाहता है?” यह कह कर उन्हों ने उसे जमाअत में से निकाल दिया। |
35. | जब ईसा को पता चला कि उसे निकाल दिया गया है तो वह उस को मिला और पूछा, “क्या तू इब्न-ए-आदम पर ईमान रखता है?” |
36. | उस ने कहा, “ख़ुदावन्द, वह कौन है? मुझे बताएँ ताकि मैं उस पर ईमान लाऊँ।” |
37. | ईसा ने जवाब दिया, “तू ने उसे देख लिया है बल्कि वह तुझ से बात कर रहा है।” |
38. | उस ने कहा, “ख़ुदावन्द, मैं ईमान रखता हूँ” और उसे सिज्दा किया। |
39. | ईसा ने कहा, “मैं अदालत करने के लिए इस दुनिया में आया हूँ, इस लिए कि अंधे देखें और देखने वाले अंधे हो जाएँ।” |
40. | कुछ फ़रीसी जो साथ खड़े थे यह कुछ सुन कर पूछने लगे, “अच्छा, हम भी अंधे हैं?” |
41. | ईसा ने उन से कहा, “अगर तुम अंधे होते तो तुम क़ुसूरवार न ठहरते। लेकिन अब चूँकि तुम दावा करते हो कि हम देख सकते हैं इस लिए तुम्हारा गुनाह क़ाइम रहता है। |
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