John (3/21)  

1. फ़रीसी फ़िर्क़े का एक आदमी बनाम नीकुदेमुस था जो यहूदी अदालत-ए-अलिया का रुकन था।
2. वह रात के वक़्त ईसा के पास आया और कहा, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप ऐसे उस्ताद हैं जो अल्लाह की तरफ़ से आए हैं, क्यूँकि जो इलाही निशान आप दिखाते हैं वह सिर्फ़ ऐसा शख़्स ही दिखा सकता है जिस के साथ अल्लाह हो।”
3. ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझे सच्च बताता हूँ, सिर्फ़ वह शख़्स अल्लाह की बादशाही को देख सकता है जो नए सिरे से पैदा हुआ हो।”
4. नीकुदेमुस ने एतिराज़ किया, “क्या मतलब? बूढ़ा आदमी किस तरह नए सिरे से पैदा हो सकता है? क्या वह दुबारा अपनी माँ के पेट में जा कर पैदा हो सकता है?”
5. ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझे सच्च बताता हूँ, सिर्फ़ वह शख़्स अल्लाह की बादशाही में दाख़िल हो सकता है जो पानी और रूह से पैदा हुआ हो।
6. जो कुछ जिस्म से पैदा होता है वह जिस्मानी है, लेकिन जो रूह से पैदा होता है वह रुहानी है।
7. इस लिए तू ताज्जुब न कर कि मैं कहता हूँ, ‘तुम्हें नए सिरे से पैदा होना ज़रूर है।’
8. हवा जहाँ चाहे चलती है। तू उस की आवाज़ तो सुनता है, लेकिन यह नहीं जानता कि कहाँ से आती और कहाँ को जाती है। यही हालत हर उस शख़्स की है जो रूह से पैदा हुआ है।”
9. नीकुदेमुस ने पूछा, “यह किस तरह हो सकता है?”
10. ईसा ने जवाब दिया, “तू तो इस्राईल का उस्ताद है। क्या इस के बावुजूद भी यह बातें नहीं समझता?
11. मैं तुझ को सच्च बताता हूँ, हम वह कुछ बयान करते हैं जो हम जानते हैं और उस की गवाही देते हैं जो हम ने ख़ुद देखा है। तो भी तुम लोग हमारी गवाही क़बूल नहीं करते।
12. मैं ने तुम को दुनियावी बातें सुनाई हैं और तुम उन पर ईमान नहीं रखते। तो फिर तुम क्यूँकर ईमान लाओगे अगर तुम्हें आस्मानी बातों के बारे में बताऊँ?
13. आस्मान पर कोई नहीं चढ़ा सिवा-ए-इब्न-ए-आदम के, जो आस्मान से उतरा है।
14. और जिस तरह मूसा ने रेगिस्तान में साँप को लकड़ी पर लटका कर ऊँचा कर दिया उसी तरह ज़रूर है कि इब्न-ए-आदम को भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए,
15. ताकि हर एक को जो उस पर ईमान लाएगा अबदी ज़िन्दगी मिल जाए।
16. क्यूँकि अल्लाह ने दुनिया से इतनी मुहब्बत रखी कि उस ने अपने इक्लौते फ़र्ज़न्द को बख़्श दिया, ताकि जो भी उस पर ईमान लाए हलाक न हो बल्कि अबदी ज़िन्दगी पाए।
17. क्यूँकि अल्लाह ने अपने फ़र्ज़न्द को इस लिए दुनिया में नहीं भेजा कि वह दुनिया को मुज्रिम ठहराए बल्कि इस लिए कि वह उसे नजात दे।
18. जो भी उस पर ईमान लाया है उसे मुज्रिम नहीं क़रार दिया जाएगा, लेकिन जो ईमान नहीं रखता उसे मुज्रिम ठहराया जा चुका है। वजह यह है कि वह अल्लाह के इक्लौते फ़र्ज़न्द के नाम पर ईमान नहीं लाया।
19. और लोगों को मुज्रिम ठहराने का सबब यह है कि गो अल्लाह का नूर इस दुनिया में आया, लेकिन लोगों ने नूर की निस्बत अंधेरे को ज़ियादा पियार किया, क्यूँकि उन के काम बुरे थे।
20. जो भी ग़लत काम करता है वह नूर से दुश्मनी रखता है और उस के क़रीब नहीं आता ताकि उस के बुरे कामों का पोल न खुल जाए।
21. लेकिन जो सच्चा काम करता है वह नूर के पास आता है ताकि ज़ाहिर हो जाए कि उस के काम अल्लाह के वसीले से हुए हैं।”
22. इस के बाद ईसा अपने शागिर्दों के साथ यहूदिया के इलाक़े में गया। वहाँ वह कुछ देर के लिए उन के साथ ठहरा और लोगों को बपतिस्मा देने लगा।
23. उस वक़्त यहया भी शालेम के क़रीब वाक़े मक़ाम ऐनोन में बपतिस्मा दे रहा था, क्यूँकि वहाँ पानी बहुत था। उस जगह पर लोग बपतिस्मा लेने के लिए आते रहे।
24. (यहया को अब तक जेल में नहीं डाला गया था।)
25. एक दिन यहया के शागिर्दों का किसी यहूदी के साथ मुबाहसा छिड़ गया। ज़ेर-ए-ग़ौर मज़्मून दीनी ग़ुसल था।
26. वह यहया के पास आए और कहने लगे, “उस्ताद, जिस आदमी से आप की दरया-ए-यर्दन के पार मुलाक़ात हुई और जिस के बारे में आप ने गवाही दी कि वह मसीह है, वह भी लोगों को बपतिस्मा दे रहा है। अब सब लोग उसी के पास जा रहे हैं।”
27. यहया ने जवाब दिया, “हर एक को सिर्फ़ वह कुछ मिलता है जो उसे आस्मान से दिया जाता है।
28. तुम ख़ुद इस के गवाह हो कि मैं ने कहा, ‘मैं मसीह नहीं हूँ बल्कि मुझे उस के आगे आगे भेजा गया है।’
29. दूल्हा ही दुल्हन से शादी करता है, और दुल्हन उसी की है। उस का दोस्त सिर्फ़ साथ खड़ा होता है। और दूल्हे की आवाज़ सुन सुन कर दोस्त की ख़ुशी की इन्तिहा नहीं होती। मैं भी ऐसा ही दोस्त हूँ जिस की ख़ुशी पूरी हो गई है।
30. लाज़िम है कि वह बढ़ता जाए जबकि मैं घटता जाऊँ।
31. जो आस्मान पर से आया है उस का इख़तियार सब पर है। जो दुनिया से है उस का ताल्लुक़ दुनिया से ही है और वह दुनियावी बातें करता है। लेकिन जो आस्मान पर से आया है उस का इख़तियार सब पर है।
32. जो कुछ उस ने ख़ुद देखा और सुना है उसी की गवाही देता है। तो भी कोई उस की गवाही को क़बूल नहीं करता।
33. लेकिन जिस ने उसे क़बूल किया उस ने इस की तस्दीक़ की है कि अल्लाह सच्चा है।
34. जिसे अल्लाह ने भेजा है वह अल्लाह की बातें सुनाता है, क्यूँकि अल्लाह अपना रूह नाप तोल कर नहीं देता।
35. बाप अपने फ़र्ज़न्द को पियार करता है, और उस ने सब कुछ उस के सपुर्द कर दिया है।
36. चुनाँचे जो अल्लाह के फ़र्ज़न्द पर ईमान लाता है अबदी ज़िन्दगी उस की है। लेकिन जो फ़र्ज़न्द को रद्द करे वह इस ज़िन्दगी को नहीं देखेगा बल्कि अल्लाह का ग़ज़ब उस पर ठहरा रहेगा।”

  John (3/21)