John (13/21)  

1. फ़सह की ईद अब शुरू होने वाली थी। ईसा जानता था कि वह वक़्त आ गया है कि मुझे इस दुनिया को छोड़ कर बाप के पास जाना है। गो उस ने हमेशा दुनिया में अपने लोगों से मुहब्बत रखी थी, लेकिन अब उस ने आख़िरी हद्द तक उन पर अपनी मुहब्बत का इज़्हार किया।
2. फिर शाम का खाना तय्यार हुआ। उस वक़्त इब्लीस शमाऊन इस्करियोती के बेटे यहूदाह के दिल में ईसा को दुश्मन के हवाले करने का इरादा डाल चुका था।
3. ईसा जानता था कि बाप ने सब कुछ मेरे सपुर्द कर दिया है और कि मैं अल्लाह में से निकल आया और अब उस के पास वापस जा रहा हूँ।
4. चुनाँचे उस ने दस्तरख़्वान से उठ कर अपना लिबास उतार दिया और कमर पर तौलिया बाँध लिया।
5. फिर वह बासन में पानी डाल कर शागिर्दों के पाँओ धोने और बंधे हुए तौलिया से पोंछ कर ख़ुश्क करने लगा।
6. जब पत्रस की बारी आई तो उस ने कहा, “ख़ुदावन्द, आप मेरे पाँओ धोना चाहते हैं?”
7. ईसा ने जवाब दिया, “इस वक़्त तू नहीं समझता कि मैं क्या कर रहा हूँ, लेकिन बाद में यह तेरी समझ में आ जाएगा।”
8. पत्रस ने एतिराज़ किया, “मैं कभी भी आप को मेरे पाँओ धोने नहीं दूँगा!” ईसा ने जवाब दिया, “अगर मैं तुझे न धोऊँ तो मेरे साथ तेरा कोई हिस्सा नहीं होगा।”
9. यह सुन कर पत्रस ने कहा, “तो फिर ख़ुदावन्द, न सिर्फ़ मेरे पाँओ बल्कि मेरे हाथों और सर को भी धोएँ!”
10. ईसा ने जवाब दिया, “जिस शख़्स ने नहा लिया है उसे सिर्फ़ अपने पाँओ को धोने की ज़रूरत होती है, क्यूँकि वह पूरे तौर पर पाक-साफ़ है। तुम पाक-साफ़ हो, लेकिन सब के सब नहीं।”
11. (ईसा को मालूम था कि कौन उसे दुश्मन के हवाले करेगा। इस लिए उस ने कहा कि सब के सब पाक-साफ़ नहीं हैं।)
12. उन सब के पाँओ धोने के बाद ईसा दुबारा अपना लिबास पहन कर बैठ गया। उस ने सवाल किया, “क्या तुम समझते हो कि मैं ने तुम्हारे लिए क्या किया है?
13. तुम मुझे ‘उस्ताद’ और ‘ख़ुदावन्द’ कह कर मुख़ातिब करते हो और यह सहीह है, क्यूँकि मैं यही कुछ हूँ।
14. मैं, तुम्हारे ख़ुदावन्द और उस्ताद ने तुम्हारे पाँओ धोए। इस लिए अब तुम्हारा फ़र्ज़ भी है कि एक दूसरे के पाँओ धोया करो।
15. मैं ने तुम को एक नमूना दिया है ताकि तुम भी वही करो जो मैं ने तुम्हारे साथ किया है।
16. मैं तुम को सच्च बताता हूँ कि ग़ुलाम अपने मालिक से बड़ा नहीं होता, न पैग़म्बर अपने भेजने वाले से।
17. अगर तुम यह जानते हो तो इस पर अमल भी करो, फिर ही तुम मुबारक होगे।
18. मैं तुम सब की बात नहीं कर रहा। जिन्हें मैं ने चुन लिया है उन्हें मैं जानता हूँ। लेकिन कलाम-ए-मुक़द्दस की उस बात का पूरा होना ज़रूर है, ‘जो मेरी रोटी खाता है उस ने मुझ पर लात उठाई है।’
19. मैं तुम को इस से पहले कि वह पेश आए यह अभी बता रहा हूँ, ताकि जब वह पेश आए तो तुम ईमान लाओ कि मैं वही हूँ।
20. मैं तुम को सच्च बताता हूँ कि जो शख़्स उसे क़बूल करता है जिसे मैं ने भेजा है वह मुझे क़बूल करता है। और जो मुझे क़बूल करता है वह उसे क़बूल करता है जिस ने मुझे भेजा है।”
21. इन अल्फ़ाज़ के बाद ईसा निहायत मुज़्तरिब हुआ और कहा, “मैं तुम को सच्च बताता हूँ कि तुम में से एक मुझे दुश्मन के हवाले कर देगा।”
22. शागिर्द उलझन में एक दूसरे को देख कर सोचने लगे कि ईसा किस की बात कर रहा है।
23. एक शागिर्द जिसे ईसा पियार करता था उस के क़रीबतरीन बैठा था।
24. पत्रस ने उसे इशारा किया कि वह उस से दरयाफ़्त करे कि वह किस की बात कर रहा है।
25. उस शागिर्द ने ईसा की तरफ़ सर झुका कर पूछा, “ख़ुदावन्द, यह कौन है?”
26. ईसा ने जवाब दिया, “जिसे मैं रोटी का लुक़्मा शोर्ब में डुबो कर दूँ, वही है।” फिर लुक़्मे को डुबो कर उस ने शमाऊन इस्करियोती के बेटे यहूदाह को दे दिया।
27. जूँ ही यहूदाह ने यह लुक़्मा ले लिया इब्लीस उस में समा गया। ईसा ने उसे बताया, “जो कुछ करना है वह जल्दी से कर ले।”
28. लेकिन मेज़ पर बैठे लोगों में से किसी को मालूम न हुआ कि ईसा ने यह क्यूँ कहा।
29. बाज़ का ख़याल था कि चूँकि यहूदाह ख़ज़ान्ची था इस लिए वह उसे बता रहा है कि ईद के लिए दरकार चीज़ें ख़रीद ले या ग़रीबों में कुछ तक़्सीम कर दे।
30. चुनाँचे ईसा से यह लुक़्मा लेते ही यहूदाह बाहर निकल गया। रात का वक़्त था।
31. यहूदाह के चले जाने के बाद ईसा ने कहा, “अब इब्न-ए-आदम ने जलाल पाया और अल्लाह ने उस में जलाल पाया है।
32. हाँ, चूँकि अल्लाह को उस में जलाल मिल गया है इस लिए अल्लाह अपने में फ़र्ज़न्द को जलाल देगा। और वह यह जलाल फ़ौरन देगा।
33. मेरे बच्चो, मैं थोड़ी देर और तुम्हारे पास ठहरूँगा। तुम मुझे तलाश करोगे, और जो कुछ मैं यहूदियों को बता चुका हूँ वह अब तुम को भी बताता हूँ, जहाँ मैं जा रहा हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते।
34. मैं तुम को एक नया हुक्म देता हूँ, यह कि एक दूसरे से मुहब्बत रखो। जिस तरह मैं ने तुम से मुहब्बत रखी उसी तरह तुम भी एक दूसरे से मुहब्बत करो।
35. अगर तुम एक दूसरे से मुहब्बत रखोगे तो सब जान लेंगे कि तुम मेरे शागिर्द हो।”
36. पत्रस ने पूछा, “ख़ुदावन्द, आप कहाँ जा रहे हैं?” ईसा ने जवाब दिया, “जहाँ मैं जा रहा हूँ वहाँ तू मेरे पीछे नहीं आ सकता। लेकिन बाद में तू मेरे पीछे आ जाएगा।”
37. पत्रस ने सवाल किया, “ख़ुदावन्द, मैं आप के पीछे अभी क्यूँ नहीं जा सकता? मैं आप के लिए अपनी जान तक देने को तय्यार हूँ।”
38. लेकिन ईसा ने जवाब दिया, “तू मेरे लिए अपनी जान देना चाहता है? मैं तुझे सच्च बताता हूँ कि मुर्ग़ के बाँग देने से पहले पहले तू तीन मर्तबा मुझे जानने से इन्कार कर चुका होगा।

  John (13/21)