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1. | फिर अल्लाह ख़ुद अय्यूब से हमकलाम हुआ। तूफ़ान में से उस ने उसे जवाब दिया, |
2. | “यह कौन है जो समझ से ख़ाली बातें करने से मेरे मन्सूबे के सहीह मतलब पर पर्दा डालता है? |
3. | मर्द की तरह कमरबस्ता हो जा! मैं तुझ से सवाल करता हूँ, और तू मुझे तालीम दे। |
4. | तू कहाँ था जब मैं ने ज़मीन की बुन्याद रखी? अगर तुझे इस का इल्म हो तो मुझे बता! |
5. | किस ने उस की लम्बाई और चौड़ाई मुक़र्रर की? क्या तुझे मालूम है? किस ने नाप कर उस की पैमाइश की? |
6. | उस के सतून किस चीज़ पर लगाए गए? किस ने उस के कोने का बुन्यादी पत्थर रखा, |
7. | उस वक़्त जब सुब्ह के सितारे मिल कर शादियाना बजा रहे, तमाम फ़रिश्ते ख़ुशी के नारे लगा रहे थे? |
8. | जब समुन्दर रहम से फूट निकला तो किस ने दरवाज़े बन्द करके उस पर क़ाबू पाया? |
9. | उस वक़्त मैं ने बादलों को उस का लिबास बनाया और उसे घने अंधेरे में यूँ लपेटा जिस तरह नौज़ाद को पोतड़ों में लपेटा जाता है। |
10. | उस की हुदूद मुक़र्रर करके मैं ने उसे रोकने के दरवाज़े और कुंडे लगाए। |
11. | मैं बोला, ‘तुझे यहाँ तक आना है, इस से आगे न बढ़ना, तेरी रोबदार लहरों को यहीं रुकना है।’ |
12. | क्या तू ने कभी सुब्ह को हुक्म दिया या उसे तुलू होने की जगह दिखाई |
13. | ताकि वह ज़मीन के किनारों को पकड़ कर बेदीनों को उस से झाड़ दे? |
14. | उस की रौशनी में ज़मीन यूँ तश्कील पाती है जिस तरह मिट्टी जिस पर मुहर लगाई जाए। सब कुछ रंगदार लिबास पहने नज़र आता है। |
15. | तब बेदीनों की रौशनी रोकी जाती, उन का उठाया हुआ बाज़ू तोड़ा जाता है। |
16. | क्या तू समुन्दर के सरचश्मों तक पहुँच कर उस की गहराइयों में से गुज़रा है? |
17. | क्या मौत के दरवाज़े तुझ पर ज़ाहिर हुए, तुझे घने अंधेरे के दरवाज़े नज़र आए हैं? |
18. | क्या तुझे ज़मीन के वसी मैदानों की पूरी समझ आई है? मुझे बता अगर यह सब कुछ जानता है! |
19. | रौशनी के मम्बा तक ले जाने वाला रास्ता कहाँ है? अंधेरे की रिहाइशगाह कहाँ है? |
20. | क्या तू उन्हें उन के मक़ामों तक पहुँचा सकता है? क्या तू उन के घरों तक ले जाने वाली राहों से वाक़िफ़ है? |
21. | बेशक तू इस का इल्म रखता है, क्यूँकि तू उस वक़्त जन्म ले चुका था जब यह पैदा हुए। तू तो क़दीम ज़माने से ही ज़िन्दा है! |
22. | क्या तू वहाँ तक पहुँच गया है जहाँ बर्फ़ के ज़ख़ीरे जमा होते हैं? क्या तू ने ओलों के गोदामों को देख लिया है? |
23. | मैं उन्हें मुसीबत के वक़्त के लिए मह्फ़ूज़ रखता हूँ, ऐसे दिनों के लिए जब लड़ाई और जंग छिड़ जाए। |
24. | मुझे बता, उस जगह तक किस तरह पहुँचना है जहाँ रौशनी तक़्सीम होती है, या उस जगह जहाँ से मशरिक़ी हवा निकल कर ज़मीन पर बिखर जाती है? |
25. | किस ने मूसलाधार बारिश के लिए रास्ता और गरजते तूफ़ान के लिए राह बनाई |
26. | ताकि इन्सान से ख़ाली ज़मीन और ग़ैरआबाद रेगिस्तान की आबपाशी हो जाए, |
27. | ताकि वीरान-ओ-सुन्सान बियाबान की पियास बुझ जाए और उस से हरियाली फूट निकले? |
28. | क्या बारिश का बाप है? कौन शबनम के क़तरों का वालिद है? |
29. | बर्फ़ किस माँ के पेट से पैदा हुई? जो पाला आस्मान से आ कर ज़मीन पर पड़ता है किस ने उसे जन्म दिया? |
30. | जब पानी पत्थर की तरह सख़्त हो जाए बल्कि गहरे समुन्दर की सतह भी जम जाए तो कौन यह सरअन्जाम देता है? |
31. | क्या तू ख़ोशा-ए-पर्वीन को बाँध सकता या जौज़े की ज़न्जीरों को खोल सकता है? |
32. | क्या तू करवा सकता है कि सितारों के मुख़्तलिफ़ झुर्मट उन के मुक़र्ररा औक़ात के मुताबिक़ निकल आएँ? क्या तू दुब्ब-ए-अक्बर की उस के बच्चों समेत क़ियादत करने के क़ाबिल है? |
33. | क्या तू आस्मान के क़वानीन जानता या उस की ज़मीन पर हुकूमत मुतअय्यिन करता है? |
34. | क्या जब तू बुलन्द आवाज़ से बादलों को हुक्म दे तो वह तुझ पर मूसलाधार बारिश बरसाते हैं? |
35. | क्या तू बादल की बिजली ज़मीन पर भेज सकता है? क्या वह तेरे पास आ कर कहती है, ‘मैं ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ’? |
36. | किस ने मिस्र के लक़्लक़ को हिक्मत दी, मुर्ग़ को समझ अता की? |
37. | किस को इतनी दानाई हासिल है कि वह बादलों को गिन सके? कौन आस्मान के इन घड़ों को उस वक़्त उंडेल सकता है |
38. | जब मिट्टी ढाले हुए लोहे की तरह सख़्त हो जाए और ढेले एक दूसरे के साथ चिपक जाएँ? कोई नहीं! |
39. | क्या तू ही शेरनी के लिए शिकार करता या शेरों को सेर करता है |
40. | जब वह अपनी छुपने की जगहों में दबक जाएँ या गुंजान जंगल में कहीं ताक लगाए बैठे हों? |
41. | कौन कव्वे को ख़ुराक मुहय्या करता है जब उस के बच्चे भूक के बाइस अल्लाह को आवाज़ दें और मारे मारे फिरें? |
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