Job (25/42)  

1. फिर बिल्दद सूख़ी ने जवाब दे कर कहा,
2. “अल्लाह की हुकूमत दह्शतनाक है। वही अपनी बुलन्दियों पर सलामती क़ाइम रखता है।
3. क्या कोई उस के दस्तों की तादाद गिन सकता है? उस का नूर किस पर नहीं चमकता?
4. तो फिर इन्सान अल्लाह के सामने किस तरह रास्तबाज़ ठहर सकता है? जो औरत से पैदा हुआ वह किस तरह पाक-साफ़ साबित हो सकता है?
5. उस की नज़र में न चाँद पुरनूर है, न सितारे पाक हैं।
6. तो फिर इन्सान किस तरह पाक ठहर सकता है जो कीड़ा ही है? आदमज़ाद तो मकोड़ा ही है।”

  Job (25/42)