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1. | यरमियाह अब तक शाही मुहाफ़िज़ों के सहन में गिरिफ़्तार था कि रब्ब एक बार फिर उस से हमकलाम हुआ, |
2. | “जो सब कुछ ख़लक़ करता, तश्कील देता और क़ाइम रखता है उस का नाम रब्ब है। यही रब्ब फ़रमाता है, |
3. | मुझे पुकार तो मैं तुझे जवाब में ऐसी अज़ीम और नाक़ाबिल-ए-फ़हम बातें बयान करूँगा जो तू नहीं जानता। |
4. | क्यूँकि रब्ब जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि तुम ने इस शहर के मकानों बल्कि चन्द एक शाही मकानों को भी ढा दिया है ताकि उन के पत्थरों और लकड़ी से फ़सील को मज़्बूत करो और शहर को दुश्मन के पुश्तों और तल्वार से बचाए रखो। |
5. | गो तुम बाबल की फ़ौज से लड़ना चाहते हो, लेकिन शहर के घर इस्राईलियों की लाशों से भर जाएँगे। क्यूँकि उन ही पर मैं अपना ग़ज़ब नाज़िल करूँगा। यरूशलम की तमाम बेदीनी के बाइस मैं ने अपना मुँह उस से छुपा लिया है। |
6. | लेकिन बाद में मैं उसे शिफ़ा दे कर तन्दुरुस्ती बख़्शूँगा, मैं उस के बाशिन्दों को सेहत अता करूँगा और उन पर देरपा सलामती और वफ़ादारी का इज़्हार करूँगा। |
7. | क्यूँकि मैं यहूदाह और इस्राईल को बहाल करके उन्हें वैसे तामीर करूँगा जैसे पहले थे। |
8. | मैं उन्हें उन की तमाम बेदीनी से पाक-साफ़ करके उन की तमाम सरकशी और तमाम गुनाहों को मुआफ़ कर दूँगा। |
9. | तब यरूशलम पूरी दुनिया में मेरे लिए मुसर्रत, शुहरत, तारीफ़ और जलाल का बाइस बनेगा। दुनिया के तमाम ममालिक मेरी उस पर मेहरबानी देख कर मुतअस्सिर हो जाएँगे। वह घबरा कर काँप उठेंगे जब उन्हें पता चलेगा कि मैं ने यरूशलम को कितनी बर्कत और सुकून मुहय्या किया है। |
10. | तुम कहते हो, ‘हमारा शहर वीरान-ओ-सुन्सान है। उस में न इन्सान, न हैवान रहते हैं।’ लेकिन रब्ब फ़रमाता है कि यरूशलम और यहूदाह के दीगर शहरों की जो गलियाँ इस वक़्त वीरान और इन्सान-ओ-हैवान से ख़ाली हैं, |
11. | उन में दुबारा ख़ुशी-ओ-शादमानी, दूल्हे दुल्हन की आवाज़ और रब्ब के घर में शुक्रगुज़ारी की क़ुर्बानियाँ पहुँचाने वालों के गीत सुनाई देंगे। उस वक़्त वह गाएँगे, ‘रब-उल-अफ़्वाज का शुक्र करो, क्यूँकि रब्ब भला है, और उस की शफ़्क़त अबदी है।’ क्यूँकि मैं इस मुल्क को पहले की तरह बहाल कर दूँगा। यह रब्ब का फ़रमान है। |
12. | रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है कि फ़िलहाल यह मक़ाम वीरान और इन्सान-ओ-हैवान से ख़ाली है। लेकिन आइन्दा यहाँ और बाक़ी तमाम शहरों में दुबारा ऐसी चरागाहें होंगी जहाँ गल्लाबान अपने रेवड़ों को चराएँगे। |
13. | तब पूरे मुल्क में चरवाहे अपने रेवड़ों को गिनते और सँभालते हुए नज़र आएँगे, ख़्वाह पहाड़ी इलाक़े के शहरों या मग़रिब के निशेबी पहाड़ी इलाक़े में देखो, ख़्वाह दश्त-ए-नजब या बिन्यमीन के क़बाइली इलाक़े में मालूम करो, ख़्वाह यरूशलम के दीहात या यहूदाह के बाक़ी शहरों में दरयाफ़्त करो। यह रब्ब का फ़रमान है। |
14. | रब्ब फ़रमाता है कि ऐसा वक़्त आने वाला है जब मैं वह अच्छा वादा पूरा करूँगा जो मैं ने इस्राईल के घराने और यहूदाह के घराने से किया है। |
15. | उस वक़्त मैं दाऊद की नसल से एक रास्तबाज़ कोंपल फूटने दूँगा, और वही मुल्क में इन्साफ़ और रास्ती क़ाइम करेगा। |
16. | उन दिनों में यहूदाह को छुटकारा मिलेगा और यरूशलम पुरअम्न ज़िन्दगी गुज़ारेगा। तब यरूशलम ‘रब्ब हमारी रास्ती’ कहलाएगा। |
17. | क्यूँकि रब्ब फ़रमाता है कि इस्राईल के तख़्त पर बैठने वाला हमेशा ही दाऊद की नसल का होगा। |
18. | इसी तरह रब्ब के घर में ख़िदमतगुज़ार इमाम हमेशा ही लावी के क़बीले के होंगे। वही मुतवातिर मेरे हुज़ूर भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ और ग़ल्ला और ज़बह की क़ुर्बानियाँ पेश करेंगे।” |
19. | रब्ब एक बार फिर यरमियाह से हमकलाम हुआ, |
20. | “रब्ब फ़रमाता है कि मैं ने दिन और रात से अह्द बाँधा है कि वह मुक़र्ररा वक़्त पर और तर्तीबवार गुज़रें। कोई इस अह्द को तोड़ नहीं सकता। |
21. | इसी तरह मैं ने अपने ख़ादिम दाऊद से भी अह्द बाँध कर वादा किया कि इस्राईल का बादशाह हमेशा उसी की नसल का होगा। नीज़, मैं ने लावी के इमामों से भी अह्द बाँध कर वादा किया कि रब्ब के घर में ख़िदमतगुज़ार इमाम हमेशा लावी के क़बीले के ही होंगे। रात और दिन से बंधे हुए अह्द की तरह इन अह्दों को भी तोड़ा नहीं जा सकता। |
22. | मैं अपने ख़ादिम दाऊद की औलाद और अपने ख़िदमतगुज़ार लावियों को सितारों और समुन्दर की रेत जैसा बेशुमार बना दूँगा।” |
23. | रब्ब यरमियाह से एक बार फिर हमकलाम हुआ, |
24. | “क्या तुझे लोगों की बातें मालूम नहीं हुईं? यह कह रहे हैं, ‘गो रब्ब ने इस्राईल और यहूदाह को चुन कर अपनी क़ौम बना लिया था, लेकिन अब उस ने दोनों को रद्द कर दिया है।’ यूँ वह मेरी क़ौम को हक़ीर जानते हैं बल्कि इसे अब से क़ौम ही नहीं समझते।” |
25. | लेकिन रब्ब फ़रमाता है, “जो अह्द मैं ने दिन और रात से बाँधा है वह मैं नहीं तोड़ूँगा, न कभी आस्मान-ओ-ज़मीन के मुक़र्ररा उसूल मन्सूख़ करूँगा। |
26. | इसी तरह यह मुम्किन ही नहीं कि मैं याक़ूब और अपने ख़ादिम दाऊद की औलाद को कभी रद्द करूँ। नहीं, मैं हमेशा ही दाऊद की नसल में से किसी को तख़्त पर बिठाऊँगा ताकि वह इब्राहीम, इस्हाक़ और याक़ूब की औलाद पर हुकूमत करे, क्यूँकि मैं उन्हें बहाल करके उन पर तरस खाऊँगा।” |
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