Jeremiah (31/52)  

1. रब्ब फ़रमाता है, “उस वक़्त मैं तमाम इस्राईली घरानों का ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।”
2. रब्ब फ़रमाता है, “तल्वार से बचे हुए लोगों को रेगिस्तान में ही मेरा फ़ज़्ल हासिल हुआ है, और इस्राईल अपनी आरामगाह के पास पहुँच रहा है।”
3. रब्ब ने दूर से इस्राईल पर ज़ाहिर हो कर फ़रमाया, “मैं ने तुझे हमेशा ही पियार किया है, इस लिए मैं तुझे बड़ी शफ़्क़त से अपने पास खैंच लाया हूँ।
4. ऐ कुंवारी इस्राईल, तेरी नए सिरे से तामीर हो जाएगी, क्यूँकि मैं ख़ुद तुझे तामीर करूँगा। तू दुबारा अपने दफ़ों से आरास्ता हो कर ख़ुशी मनाने वालों के लोकनाच के लिए निकलेगी।
5. तू दुबारा सामरिया की पहाड़ियों पर अंगूर के बाग़ लगाएगी। और जो पौदों को लगाएँगे वह ख़ुद उन के फल से लुत्फ़अन्दोज़ होंगे।
6. क्यूँकि वह दिन आने वाला है जब इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े के पहरेदार आवाज़ दे कर कहेंगे, ‘आओ हम सिय्यून के पास जाएँ ताकि रब्ब अपने ख़ुदा को सिज्दा करें’।”
7. क्यूँकि रब्ब फ़रमाता है, “याक़ूब को देख कर ख़ुशी मनाओ! क़ौमों के सरबराह को देख कर शादमानी का नारा मारो! बुलन्द आवाज़ से अल्लाह की हम्द-ओ-सना करके कहो, ‘ऐ रब्ब, अपनी क़ौम को बचा, इस्राईल के बचे हुए हिस्से को छुटकारा दे।’
8. क्यूँकि मैं उन्हें शिमाली मुल्क से वापस लाऊँगा, उन्हें दुनिया की इन्तिहा से जमा करूँगा। अंधे और लंगड़े उन में शामिल होंगे, हामिला और जन्म देने वाली औरतें भी साथ चलेंगी। उन का बड़ा हुजूम वापस आएगा।
9. और जब मैं उन्हें वापस लाऊँगा तो वह रोते हुए और इल्तिजाएँ करते हुए मेरे पीछे चलेंगे। मैं उन्हें नदियों के किनारे किनारे और ऐसे हमवार रास्तों पर वापस ले चलूँगा, जहाँ ठोकर खाने का ख़त्रा नहीं होगा। क्यूँकि मैं इस्राईल का बाप हूँ, और इफ़्राईम मेरा पहलौठा है।
10. ऐ क़ौमो, रब्ब का कलाम सुनो! दूरदराज़ जज़ीरों तक एलान करो, ‘जिस ने इस्राईल को मुन्तशिर कर दिया है वह उसे दुबारा जमा करेगा और चरवाहे की सी फ़िक्र रख कर उस की गल्लाबानी करेगा।’
11. क्यूँकि रब्ब ने फ़िद्या दे कर याक़ूब को बचाया है, उस ने इवज़ाना दे कर उसे ज़ोरावर के हाथ से छुड़ाया है।
12. तब वह आ कर सिय्यून की बुलन्दी पर ख़ुशी के नारे लगाएँगे, उन के चिहरे रब्ब की बर्कतों को देख कर चमक उठेंगे। क्यूँकि उस वक़्त वह उन्हें अनाज, नई मै, ज़ैतून के तेल और जवान भेड़-बक्रियों और गाय-बैलों की कस्रत से नवाज़ेगा। उन की जान सेराब बाग़ की तरह सरसब्ज़ होगी, और उन की निढाल हालत सँभल जाएगी।
13. फिर कुंवारियाँ ख़ुशी के मारे लोकनाच नाचेंगी, जवान और बुज़ुर्ग आदमी भी उस में हिस्सा लेंगे। यूँ मैं उन का मातम ख़ुशी में बदल दूँगा, मैं उन के दिलों से ग़म निकाल कर उन्हें अपनी तसल्ली और शादमानी से भर दूँगा।”
14. रब्ब फ़रमाता है, “मैं इमामों की जान को तर-ओ-ताज़ा करूँगा, और मेरी क़ौम मेरी बर्कतों से सेर हो जाएगी।”
15. रब्ब फ़रमाता है, “रामा में शोर मच गया है, रोने पीटने और शदीद मातम की आवाज़ें। राख़िल अपने बच्चों के लिए रो रही है और तसल्ली क़बूल नहीं कर रही, क्यूँकि वह हलाक हो गए हैं।”
16. लेकिन रब्ब फ़रमाता है, “रोने और आँसू बहाने से बाज़ आ, क्यूँकि तुझे अपनी मेहनत का अज्र मिलेगा। यह रब्ब का वादा है कि वह दुश्मन के मुल्क से लौट आएँगे।
17. तेरा मुस्तक़बिल पुरउम्मीद होगा, क्यूँकि तेरे बच्चे अपने वतन में वापस आएँगे।” यह रब्ब का फ़रमान है।
18. “इस्राईल की गिर्या-ओ-ज़ारी मुझ तक पहुँच गई है। क्यूँकि वह कहता है, ‘हाय, तू ने मेरी सख़्त तादीब की है। मेरी यूँ तर्बियत हुई है जिस तरह बछड़े की होती है जब उस की गर्दन पर पहली बार जूआ रखा जाता है। ऐ रब्ब, मुझे वापस ला ताकि मैं वापस आऊँ, क्यूँकि तू ही रब्ब मेरा ख़ुदा है।
19. मेरे वापस आने पर मुझे नदामत मह्सूस हुई, और समझ आने पर मैं अपना सीना पीटने लगा। मुझे शर्मिन्दगी और रुस्वाई का शदीद इह्सास हो रहा है, क्यूँकि अब मैं अपनी जवानी के शर्मनाक फल की फ़सल काट रहा हूँ।’
20. लेकिन रब्ब फ़रमाता है कि इस्राईल मेरा क़ीमती बेटा, मेरा लाडला है। गो मैं बार बार उस के ख़िलाफ़ बातें करता हूँ तो भी उसे याद करता रहता हूँ। इस लिए मेरा दिल उस के लिए तड़पता है, और लाज़िम है कि मैं उस पर तरस खाऊँ।
21. ऐ मेरी क़ौम, ऐसे निशान खड़े कर जिन से लोगों को सहीह रास्ते का पता चले! उस पक्की सड़क पर ध्यान दे जिस पर तू ने सफ़र किया है। ऐ कुंवारी इस्राईल, वापस आ, अपने इन शहरों में लौट आ!
22. ऐ बेवफ़ा बेटी, तू कब तक भटकती फिरेगी? रब्ब ने मुल्क में एक नई चीज़ पैदा की है, यह कि आइन्दा औरत आदमी के गिर्द रहेगी।”
23. रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, “जब मैं इस्राईलियों को बहाल करूँगा तो मुल्क-ए-यहूदाह और उस के शहरों के बाशिन्दे दुबारा कहेंगे, ‘ऐ रास्ती के घर, ऐ मुक़द्दस पहाड़, रब्ब तुझे बर्कत दे!’
24. तब यहूदाह और उस के शहर दुबारा आबाद होंगे। किसान भी मुल्क में बसेंगे, और वह भी जो अपने रेवड़ों के साथ इधर उधर फिरते हैं।
25. क्यूँकि मैं थकेमान्दों को नई ताक़त दूँगा और ग़श खाने वालों को तर-ओ-ताज़ा करूँगा।”
26. तब मैं जाग उठा और चारों तरफ़ देखा। मेरी नींद कितनी मीठी रही थी!
27. रब्ब फ़रमाता है, “वह वक़्त आने वाला है जब मैं इस्राईल के घराने और यहूदाह के घराने का बीज बो कर इन्सान-ओ-हैवान की तादाद बढ़ा दूँगा।
28. पहले मैं ने बड़े ध्यान से उन्हें जड़ से उखाड़ दिया, गिरा दिया, ढा दिया, हाँ तबाह करके ख़ाक में मिला दिया। लेकिन आइन्दा मैं उतने ही ध्यान से उन्हें तामीर करूँगा, उन्हें पनीरी की तरह लगा दूँगा।” यह रब्ब का फ़रमान है।
29. “उस वक़्त लोग यह कहने से बाज़ आएँगे कि वालिदैन ने खट्टे अंगूर खाए, लेकिन दाँत उन के बच्चों के खट्टे हो गए हैं।
30. क्यूँकि अब से खट्टे अंगूर खाने वाले के अपने ही दाँत खट्टे होंगे। अब से उसी को सज़ा-ए-मौत दी जाएगी जो क़ुसूरवार है।”
31. रब्ब फ़रमाता है, “ऐसे दिन आ रहे हैं जब मैं इस्राईल के घराने और यहूदाह के घराने के साथ एक नया अह्द बाँधूँगा।
32. यह उस अह्द की मानिन्द नहीं होगा जो मैं ने उन के बापदादा के साथ उस दिन बाँधा था जब मैं उन का हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र से निकाल लाया। क्यूँकि उन्हों ने वह अह्द तोड़ दिया, गो मैं उन का मालिक था।” यह रब्ब का फ़रमान है।
33. “जो नया अह्द मैं उन दिनों के बाद इस्राईल के घराने के साथ बाँधूँगा उस के तहत मैं अपनी शरीअत उन के अन्दर डाल कर उन के दिलों पर कन्दा करूँगा। तब मैं ही उन का ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।
34. उस वक़्त से इस की ज़रूरत नहीं रहेगी कि कोई अपने पड़ोसी या भाई को तालीम दे कर कहे, ‘रब्ब को जान लो।’ क्यूँकि छोटे से ले कर बड़े तक सब मुझे जानेंगे। क्यूँकि मैं उन का क़ुसूर मुआफ़ करूँगा और आइन्दा उन के गुनाहों को याद नहीं करूँगा।” यह रब्ब का फ़रमान है।
35. रब्ब फ़रमाता है, “मैं ही ने मुक़र्रर किया है कि दिन के वक़्त सूरज चमके और रात के वक़्त चाँद सितारों समेत रौशनी दे। मैं ही समुन्दर को यूँ उछाल देता हूँ कि उस की मौजें गरजने लगती हैं। रब्ब-उल-अफ़्वाज ही मेरा नाम है।”
36. रब्ब फ़रमाता है, “जब तक यह क़ुद्रती उसूल मेरे सामने क़ाइम रहेंगे उस वक़्त तक इस्राईल क़ौम मेरे सामने क़ाइम रहेगी।
37. क्या इन्सान आस्मान की पैमाइश कर सकता है? या क्या वह ज़मीन की बुन्यादों की तफ़्तीश कर सकता है? हरगिज़ नहीं! इसी तरह यह मुम्किन ही नहीं कि मैं इस्राईल की पूरी क़ौम को उस के गुनाहों के सबब से रद्द करूँ।” यह रब्ब का फ़रमान है।
38. रब्ब फ़रमाता है, “वह वक़्त आने वाला है जब यरूशलम को रब्ब के लिए नए सिरे से तामीर किया जाएगा। तब उस की फ़सील हनन-एल के बुर्ज से ले कर कोने के दरवाज़े तक तय्यार हो जाएगी।
39. वहाँ से शहर की सरहद्द सीधी जरीब पहाड़ी तक पहुँचेगी, फिर जोआ की तरफ़ मुड़ेगी।
40. उस वक़्त जो वादी लाशों और भस्म हुई चर्बी की राख से नापाक हुई है वह पूरे तौर पर रब्ब के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस होगी। उस की ढलानों पर के तमाम खेत भी वादी-ए-क़िद्रोन तक शामिल होंगे, बल्कि मशरिक़ में घोड़े के दरवाज़े के कोने तक सब कुछ मुक़द्दस होगा। आइन्दा शहर को न कभी दुबारा जड़ से उखाड़ा जाएगा, न तबाह किया जाएगा।”

  Jeremiah (31/52)