Jeremiah (29/52)  

1. एक दिन यरमियाह नबी ने यरूशलम से एक ख़त मुल्क-ए-बाबल भेजा। यह ख़त उन बचे हुए बुज़ुर्गों, इमामों, नबियों और बाक़ी इस्राईलियों के नाम लिखा था जिन्हें नबूकद्नज़्ज़र बादशाह जिलावतन करके बाबल ले गया था।
2. उन में यहूयाकीन बादशाह, उस की माँ और दरबारी, और यहूदाह और यरूशलम के बुज़ुर्ग, कारीगर और लोहार शामिल थे।
3. यह ख़त इलिआसा बिन साफ़न और जमरियाह बिन ख़िलक़ियाह के हाथ बाबल पहुँचा जिन्हें यहूदाह के बादशाह सिदक़ियाह ने बाबल में शाह-ए-बाबल नबूकद्नज़्ज़र के पास भेजा था। ख़त में लिखा था,
4. “रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, ‘ऐ तमाम जिलावतनो जिन्हें मैं यरूशलम से निकाल कर बाबल ले गया हूँ, ध्यान से सुनो!
5. बाबल में घर बना कर उन में बसने लगो। बाग़ लगा कर उन का फल खाओ।
6. शादी करके बेटे-बेटियाँ पैदा करो। अपने बेटे-बेटियों की शादी कराओ ताकि उन के भी बच्चे पैदा हो जाएँ। ध्यान दो कि मुल्क-ए-बाबल में तुम्हारी तादाद कम न हो जाए बल्कि बढ़ जाए।
7. उस शहर की सलामती के तालिब रहो जिस में मैं तुमहें जिलावतन करके ले गया हूँ। रब्ब से उस के लिए दुआ करो! क्यूँकि तुम्हारी सलामती उसी की सलामती पर मुन्हसिर है।’
8. रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, ‘ख़बरदार! तुम्हारे दर्मियान रहने वाले नबी और क़िस्मत का हाल बताने वाले तुम्हें फ़रेब न दें। उन ख़्वाबों पर तवज्जुह मत देना जो यह देखते हैं।’
9. रब्ब फ़रमाता है, ‘यह मेरा नाम ले कर तुम्हें झूटी पेशगोइयाँ सुनाते हैं, गो मैं ने उन्हें नहीं भेजा।’
10. क्यूँकि रब्ब फ़रमाता है, ‘तुम्हें बाबल में रहते हुए कुल 70 साल गुज़र जाएँगे। लेकिन इस के बाद मैं तुम्हारी तरफ़ रुजू करूँगा, मैं अपना पुरफ़ज़्ल वादा पूरा करके तुम्हें वापस लाऊँगा।’
11. क्यूँकि रब्ब फ़रमाता है, ‘मैं उन मन्सूबों से ख़ूब वाक़िफ़ हूँ जो मैं ने तुम्हारे लिए बाँधे हैं। यह मन्सूबे तुम्हें नुक़्सान नहीं पहुँचाएँगे बल्कि तुम्हारी सलामती का बाइस होंगे, तुम्हें उम्मीद दिला कर एक अच्छा मुस्तक़बिल फ़राहम करेंगे।
12. उस वक़्त तुम मुझे पुकारोगे, तुम आ कर मुझ से दुआ करोगे तो मैं तुम्हारी सुनूँगा।
13. तुम मुझे तलाश करके पा लोगे। क्यूँकि अगर तुम पूरे दिल से मुझे ढूँडो
14. तो मैं होने दूँगा कि तुम मुझे पाओ।’ यह रब्ब का फ़रमान है। ‘फिर मैं तुमहें बहाल करके उन तमाम क़ौमों और मक़ामों से जमा करूँगा जहाँ मैं ने तुम्हें मुन्तशिर कर दिया था। और मैं तुमहें उस मुल्क में वापस लाऊँगा जिस से मैं ने तुम्हें निकाल कर जिलावतन कर दिया था।’ यह रब्ब का फ़रमान है।
15. तुम्हारा दावा है कि रब्ब ने यहाँ बाबल में भी हमारे लिए नबी बरपा किए हैं।
16. लेकिन रब्ब का जवाब सुनो! दाऊद के तख़्त पर बैठने वाले बादशाह और यरूशलम में बचे हुए तमाम बाशिन्दों के बारे में रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, ‘तुम्हारे जितने भाई जिलावतनी से बच गए हैं उन के ख़िलाफ़ मैं तल्वार, काल और मुहलक बीमारियाँ भेज दूँगा। मैं उन्हें गले हुए अन्जीरों की मानिन्द बना दूँगा, जो ख़राब होने की वजह से खाए नहीं जा सकेंगे।
17. लेकिन रब्ब का जवाब सुनो! दाऊद के तख़्त पर बैठने वाले बादशाह और यरूशलम में बचे हुए तमाम बाशिन्दों के बारे में रब्ब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है, ‘तुम्हारे जितने भाई जिलावतनी से बच गए हैं उन के ख़िलाफ़ मैं तल्वार, काल और मुहलक बीमारियाँ भेज दूँगा। मैं उन्हें गले हुए अन्जीरों की मानिन्द बना दूँगा, जो ख़राब होने की वजह से खाए नहीं जा सकेंगे।
18. मैं तल्वार, काल और मुहलक बीमारियों से उन का यूँ ताक़्क़ुब करूँगा कि दुनिया के तमाम ममालिक उन की हालत देख कर घबरा जाएँगे। जिस क़ौम में भी मैं उन्हें मुन्तशिर करूँगा वहाँ लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएँगे। किसी पर लानत भेजते वक़्त लोग कहेंगे कि उसे यहूदाह के बाशिन्दों का सा अन्जाम नसीब हो। हर जगह वह मज़ाक़ और रुस्वाई का निशाना बन जाएँगे।
19. क्यूँ? इस लिए कि उन्हों ने मेरी न सुनी, गो मैं अपने ख़ादिमों यानी नबियों के ज़रीए बार बार उन्हें पैग़ामात भेजता रहा। लेकिन तुम ने भी मेरी न सुनी।’ यह रब्ब का फ़रमान है।
20. अब रब्ब का फ़रमान सुनो, तुम सब जो जिलावतन हो चुके हो, जिन्हें मैं यरूशलम से निकाल कर बाबल भेज चुका हूँ।
21. रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, ‘अख़ियब बिन क़ौलायाह और सिदक़ियाह बिन मासियाह मेरा नाम ले कर तुम्हें झूटी पेशगोइयाँ सुनाते हैं। इस लिए मैं उन्हें शाह-ए-बाबल नबूकद्नज़्ज़र के हाथ में दूँगा जो उन्हें तेरे देखते देखते सज़ा-ए-मौत देगा।
22. उन का अन्जाम इब्रतअंगेज़ मिसाल बन जाएगा। किसी पर लानत भेजते वक़्त यहूदाह के जिलावतन कहेंगे, “रब्ब तेरे साथ सिदक़ियाह और अख़ियब का सा सुलूक करे जिन्हें शाह-ए-बाबल ने आग में भून लिया!”
23. क्यूँकि उन्हों ने इस्राईल में बेदीन हर्कतें की हैं। अपने पड़ोसियों की बीवियों के साथ ज़िना करने के साथ साथ उन्हों ने मेरा नाम ले कर ऐसे झूटे पैग़ाम सुनाए हैं जो मैं ने उन्हें सुनाने को नहीं कहा था। मुझे इस का पूरा इल्म है, और मैं इस का गवाह हूँ।’ यह रब्ब का फ़रमान है।”
24. रब्ब ने फ़रमाया, “बाबल के रहने वाले समायाह नख़लामी को इत्तिला दे,
25. रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि तू ने अपनी ही तरफ़ से इमाम सफ़नियाह बिन मासियाह को ख़त भेजा। दीगर इमामों और यरूशलम के बाक़ी तमाम बाशिन्दों को भी इस की कापियाँ मिल गईं। ख़त में लिखा था,
26. ‘रब्ब ने आप को यहोयदा की जगह अपने घर की देख-भाल करने की ज़िम्मादारी दी है। आप की ज़िम्मादारियों में यह भी शामिल है कि हर दीवाने और नुबुव्वत करने वाले को काठ में डाल कर उस की गर्दन में लोहे की ज़न्जीरें डालें।
27. तो फिर आप ने अनतोत के रहने वाले यरमियाह के ख़िलाफ़ क़दम क्यूँ नहीं उठाया जो आप के दर्मियान नुबुव्वत करता रहता है?
28. क्यूँकि उस ने हमें जो बाबल में हैं ख़त भेज कर मश्वरा दिया है कि देर लगेगी, इस लिए घर बना कर उन में बसने लगो, बाग़ लगा कर उन का फल खाओ’।”
29. जब सफ़नियाह को समायाह का ख़त मिल गया तो उस ने यरमियाह को सब कुछ सुनाया।
30. तब यरमियाह पर रब्ब का कलाम नाज़िल हुआ,
31. “तमाम जिलावतनों को ख़त भेज कर लिख दे, ‘रब्ब समायाह नख़लामी के बारे में फ़रमाता है कि गो मैं ने समायाह को नहीं भेजा तो भी उस ने तुम्हें पेशगोइयाँ सुना कर झूट पर भरोसा रखने पर आमादा किया है।
32. चुनाँचे रब्ब फ़रमाता है कि मैं समायाह नख़लामी को उस की औलाद समेत सज़ा दूँगा। इस क़ौम में उस की नसल ख़त्म हो जाएगी, और वह ख़ुद उन अच्छी चीज़ों से लुत्फ़अन्दोज़ नहीं होगा जो मैं अपनी क़ौम को फ़राहम करूँगा। क्यूँकि उस ने रब्ब से सरकश होने का मश्वरा दिया है’।”

  Jeremiah (29/52)