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1. | उसी साल के पाँचवें महीने में जिबऊन का रहने वाला नबी हननियाह बिन अज़्ज़ूर रब्ब के घर में आया। उस वक़्त यानी सिदक़ियाह की हुकूमत के चौथे साल में वह इमामों और क़ौम की मौजूदगी में मुझ से मुख़ातिब हुआ, |
2. | “रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि मैं शाह-ए-बाबल का जूआ तोड़ डालूँगा। |
3. | दो साल के अन्दर अन्दर मैं रब्ब के घर का वह सारा सामान इस जगह वापस पहुँचाऊँगा जो शाह-ए-बाबल नबूकद्नज़्ज़र यहाँ से निकाल कर बाबल ले गया था। |
4. | उस वक़्त मैं यहूदाह के बादशाह यहूयाकीन बिन यहूयक़ीम और यहूदाह के दीगर तमाम जिलावतनों को भी बाबल से वापस लाऊँगा। क्यूँकि मैं यक़ीनन शाह-ए-बाबल का जूआ तोड़ डालूँगा। यह रब्ब का फ़रमान है।” |
5. | यह सुन कर यरमियाह ने इमामों और रब्ब के घर में खड़े बाक़ी परस्तारों की मौजूदगी में हननियाह नबी से कहा, |
6. | “आमीन! रब्ब ऐसा ही करे, वह तेरी पेशगोई पूरी करके रब्ब के घर का सामान और तमाम जिलावतनों को बाबल से इस जगह वापस लाए। |
7. | लेकिन उस पर तवज्जुह दे जो मैं तेरी और पूरी क़ौम की मौजूदगी में बयान करता हूँ! |
8. | क़दीम ज़माने से ले कर आज तक जितने नबी मुझ से और तुझ से पहले ख़िदमत करते आए हैं उन्हों ने मुतअद्दिद मुल्कों और बड़ी बड़ी सल्तनतों के बारे में नुबुव्वत की थी कि उन पर जंग, आफ़त और मुहलक बीमारियाँ नाज़िल होंगी। |
9. | चुनाँचे ख़बरदार! जो नबी सलामती की पेशगोई करे उस की तस्दीक़ उस वक़्त होगी जब उस की पेशगोई पूरी हो जाएगी। उसी वक़्त लोग जान लेंगे कि उसे वाक़ई रब्ब की तरफ़ से भेजा गया है।” |
10. | तब हननियाह ने लकड़ी के जूए को यरमियाह की गर्दन पर से उतार कर उसे तोड़ दिया। |
11. | तमाम लोगों के सामने उस ने कहा, “रब्ब फ़रमाता है कि दो साल के अन्दर अन्दर मैं इसी तरह शाह-ए-बाबल नबूकद्नज़्ज़र का जूआ तमाम क़ौमों की गर्दन पर से उतार कर तोड़ डालूँगा।” तब यरमियाह वहाँ से चला गया। |
12. | इस वाकिए के थोड़ी देर बाद रब्ब यरमियाह से हमकलाम हुआ, |
13. | “जा, हननियाह को बता, ‘रब्ब फ़रमाता है कि तू ने लकड़ी का जूआ तो तोड़ दिया है, लेकिन उस की जगह तू ने अपनी गर्दन पर लोहे का जूआ रख लिया है।’ |
14. | क्यूँकि रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि मैं ने लोहे का जूआ इन तमाम क़ौमों पर रख दिया है ताकि वह नबूकद्नज़्ज़र की ख़िदमत करें। और न सिर्फ़ यह उस की ख़िदमत करेंगे बल्कि मैं जंगली जानवरों को भी उस के हाथ में कर दूँगा।” |
15. | फिर यरमियाह ने हननियाह से कहा, “ऐ हननियाह, सुन! गो रब्ब ने तुझे नहीं भेजा तो भी तू ने इस क़ौम को झूट पर भरोसा रखने पर आमादा किया है। |
16. | इस लिए रब्ब फ़रमाता है, ‘मैं तुझे रू-ए-ज़मीन पर से मिटाने को हूँ। इसी साल तू मर जाएगा, इस लिए कि तू ने रब्ब से सरकश होने का मश्वरा दिया है’।” |
17. | और ऐसा ही हुआ। उसी साल के सातवें महीने यानी दो महीने के बाद हननियाह नबी कूच कर गया। |
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