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1. | रब्ब ने हुक्म दिया, “कुम्हार के पास जा कर मिट्टी का बर्तन ख़रीद ले। फिर अवाम के कुछ बुज़ुर्गों और चन्द एक बुज़ुर्ग इमामों को अपने साथ ले कर |
2. | शहर से निकल जा। वादी-ए-बिन-हिन्नूम में चला जा जो शहर के दरवाज़े बनाम ‘ठीकरे का दरवाज़ा’ के सामने है। वहाँ वह कलाम सुना जो मैं तुझे सुनाने को कहूँगा। |
3. | उन्हें बता, ‘ऐ यहूदाह के बादशाहो और यरूशलम के बाशिन्दो, रब्ब का कलाम सुनो! रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि मैं इस मक़ाम पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इस की ख़बर मिलेगी उस के कान बजेंगे। |
4. | क्यूँकि उन्हों ने मुझे तर्क करके इस मक़ाम को अजनबी माबूदों के हवाले कर दिया है। जिन बुतों से न उन के बापदादा और न यहूदाह के बादशाह कभी वाक़िफ़ थे उन के हुज़ूर उन्हों ने क़ुर्बानियाँ पेश कीं। नीज़, उन्हों ने इस जगह को बेक़ुसूरों के ख़ून से भर दिया है। |
5. | उन्हों ने ऊँची जगहों पर बाल देवता के लिए क़ुर्बानगाहें तामीर कीं ताकि अपने बेटों को उन पर जला कर उसे पेश करें। मैं ने यह करने का कभी हुक्म नहीं दिया था। न मैं ने कभी इस का ज़िक्र किया, न कभी मेरे ज़हन में इस का ख़याल तक आया। |
6. | चुनाँचे ख़बरदार! रब्ब फ़रमाता है कि ऐसा वक़्त आने वाला है जब यह वादी “तूफ़त” या “बिन-हिन्नूम” नहीं कहलाएगी बल्कि “वादी-ए-क़त्ल-ओ-ग़ारत।” |
7. | इस जगह मैं यहूदाह और यरूशलम के मन्सूबे ख़ाक में मिला दूँगा। मैं होने दूँगा कि उन के दुश्मन उन्हें मौत के घाट उतारें, कि जो उन्हें जान से मारना चाहें वह इस में काम्याब हो जाएँ। तब मैं उन की लाशों को परिन्दों और दरिन्दों को खिला दूँगा। |
8. | मैं इस शहर को हौलनाक तरीक़े से तबाह करूँगा। तब दूसरे उसे अपने मज़ाक़ का निशाना बनाएँगे। जो भी गुज़रे उस के रोंगटे खड़े हो जाएँगे। उस की तबाहशुदा हालत देख कर वह “तौबा तौबा” कहेगा। |
9. | जब उन का जानी दुश्मन शहर का मुहासरा करेगा तो इतना सख़्त काल पड़ेगा कि बाशिन्दे अपने बच्चों और एक दूसरे को खा जाएँगे।’ |
10. | फिर साथ वालों की मौजूदगी में मिट्टी के बर्तन को ज़मीन पर पटख़ दे। |
11. | साथ साथ उन्हें बता, ‘रब-उल-अफ़्वाज फ़रमाता है कि जिस तरह मिट्टी का बर्तन पाश पाश हो गया है और उस की मरम्मत नामुम्किन है उसी तरह मैं इस क़ौम और शहर को भी पाश पाश कर दूँगा। उस वक़्त लाशों को तूफ़त में दफ़नाया जाएगा, क्यूँकि कहीं और जगह नहीं मिलेगी। |
12. | इस शहर और इस के बाशिन्दों के साथ मैं यही सुलूक करूँगा। मैं इस शहर को तूफ़त की मानिन्द बना दूँगा। यह रब्ब का फ़रमान है। |
13. | यरूशलम के घर यहूदाह के शाही महलों समेत तूफ़त की तरह नापाक हो जाएँगे। हाँ, वह तमाम घर नापाक हो जाएँगे जिन की छतों पर तमाम आस्मानी लश्कर के लिए बख़ूर जलाया जाता और अजनबी माबूदों को मै की नज़रें पेश की जाती थीं’।” |
14. | इस के बाद यरमियाह वादी-ए-तूफ़त से वापस आया जहाँ रब्ब ने उसे नुबुव्वत करने के लिए भेजा था। फिर वह रब्ब के घर के सहन में खड़े हो कर तमाम लोगों से मुख़ातिब हुआ, |
15. | “रब्ब-उल-अफ़्वाज जो इस्राईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि सुनो! मैं इस शहर और यहूदाह के दीगर शहरों पर वह तमाम मुसीबत लाने को हूँ जिस का एलान मैं ने किया है। क्यूँकि तुम अड़ गए हो और मेरी बातें सुनने के लिए तय्यार ही नहीं।” |
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