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1. | रब्ब फ़रमाता है, “आस्मान मेरा तख़्त है और ज़मीन मेरे पाँओ की चौकी, तो फिर वह घर कहाँ है जो तुम मेरे लिए बनाओगे? वह जगह कहाँ है जहाँ मैं आराम करूँगा?” |
2. | रब्ब फ़रमाता है, “मेरे हाथ ने यह सब कुछ बनाया, तब ही यह सब कुछ वुजूद में आया। और मैं उसी का ख़याल रखता हूँ जो मुसीबतज़दा और शिकस्तादिल है, जो मेरे कलाम के सामने काँपता है। |
3. | लेकिन बैल को ज़बह करने वाला क़ातिल के बराबर और लेले को क़ुर्बान करने वाला कुत्ते की गर्दन तोड़ने वाले के बराबर है। ग़ल्ला की नज़र पेश करने वाला सूअर का ख़ून चढ़ाने वाले से बेहतर नहीं, और बख़ूर जलाने वाला बुतपरस्त की मानिन्द है। इन लोगों ने अपनी ग़लत राहों को इख़तियार किया है, और इन की जान अपनी घिनौनी चीज़ों से लुत्फ़अन्दोज़ होती है। |
4. | जवाब में मैं भी उन से बदसुलूकी की राह इख़तियार करूँगा, मैं उन पर वह कुछ नाज़िल करूँगा जिस से वह दह्शत खाते हैं। क्यूँकि जब मैं ने उन्हें आवाज़ दी तो किसी ने जवाब न दिया, जब मैं बोला तो उन्हों ने न सुना बल्कि वही कुछ करते रहे जो मुझे बुरा लगा, वही करने पर तुले रहे जो मुझे नापसन्द है।” |
5. | ऐ रब्ब के कलाम के सामने लरज़ने वालो, उस का फ़रमान सुनो! “तुम्हारे अपने भाई तुम से नफ़रत करते और मेरे नाम के बाइस तुम्हें रद्द करते हैं। वह मज़ाक़ उड़ा कर कहते हैं, ‘रब्ब अपने जलाल का इज़्हार करे ताकि हम तुम्हारी ख़ुशी का मुशाहदा कर सकें।’ लेकिन वह शर्मिन्दा हो जाएँगे। |
6. | सुनो! शहर में शोर-ओ-ग़ौग़ा हो रहा है। सुनो! रब्ब के घर से हलचल की आवाज़ सुनाई दे रही है। सुनो! रब्ब अपने दुश्मनों को उन की मुनासिब सज़ा दे रहा है। |
7. | दर्द-ए-ज़ह में मुब्तला होने से पहले ही यरूशलम ने बच्चा जन्म दिया, ज़च्चगी की ईज़ा से पहले ही उस के बेटा पैदा हुआ। |
8. | किस ने कभी ऐसी बात सुनी है? किस ने कभी इस क़िस्म का मुआमला देखा है? क्या कोई मुल्क एक ही दिन के अन्दर अन्दर पैदा हो सकता है? क्या कोई क़ौम एक ही लम्हे में जन्म ले सकती है? लेकिन सिय्यून के साथ ऐसा ही हुआ है। दर्द-ए-ज़ह अभी शुरू ही होना था कि उस के बच्चे पैदा हुए।” |
9. | रब्ब फ़रमाता है, “क्या मैं बच्चे को यहाँ तक लाऊँ कि वह माँ के पेट से निकलने वाला हो और फिर उसे जन्म लेने न दूँ? हरगिज़ नहीं!” तेरा ख़ुदा फ़रमाता है, “क्या मैं जो बच्चे को पैदा होने देता हूँ बच्चे को रोक दूँ? कभी नहीं!” |
10. | “ऐ यरूशलम को पियार करने वालो, सब उस के साथ ख़ुशी मनाओ! ऐ शहर पर मातम करने वालो, सब उस के साथ शादियाना बजाओ! |
11. | क्यूँकि अब तुम उस की तसल्ली दिलाने वाली छाती से जी भर कर दूध पियोगे, तुम उस के शानदार दूध की कस्रत से लुत्फ़अन्दोज़ होगे।” |
12. | क्यूँकि रब्ब फ़रमाता है, “मैं यरूशलम में सलामती का दरया बहने दूँगा और उस पर अक़्वाम की शान-ओ-शौकत का सैलाब आने दूँगा। तब वह तुम्हें अपना दूध पिला कर उठाए फिरेगी, तुम्हें गोद में बिठा कर पियार करेगी। |
13. | मैं तुमहें माँ की सी तसल्ली दूँगा, और तुम यरूशलम को देख कर तसल्ली पाओगे। |
14. | इन बातों का मुशाहदा करके तुम्हारा दिल ख़ुश होगा और तुम ताज़ा हरियाली की तरह फलो फूलोगे।” उस वक़्त ज़ाहिर हो जाएगा कि रब्ब का हाथ उस के ख़ादिमों के साथ है जबकि उस के दुश्मन उस के ग़ज़ब का निशाना बनेंगे। |
15. | रब्ब आग की सूरत में आ रहा है, आँधी जैसे रथों के साथ नाज़िल हो रहा है ताकि दहकते कोइलों से अपना ग़ुस्सा ठंडा करे और शोलाअफ़्शाँ आग से मलामत करे। |
16. | क्यूँकि रब्ब आग और अपनी तल्वार के ज़रीए तमाम इन्सानों की अदालत करके अपने हाथ से मुतअद्दिद लोगों को हलाक करेगा। |
17. | रब्ब फ़रमाता है, “जो अपने आप को बुतों के बाग़ों के लिए मख़्सूस और पाक-साफ़ करते हैं और दर्मियान के राहनुमा की पैरवी करके सूअर, चूहे और दीगर घिनौनी चीज़ें खाते हैं वह मिल कर हलाक हो जाएँगे। |
18. | चुनाँचे मैं जो उन के आमाल और ख़यालात से वाक़िफ़ हूँ तमाम अक़्वाम और अलग अलग ज़बानें बोलने वालों को जमा करने के लिए नाज़िल हो रहा हूँ। तब वह आ कर मेरे जलाल का मुशाहदा करेंगे। |
19. | मैं उन के दर्मियान इलाही निशान क़ाइम करके बचे हुओं में से कुछ दीगर अक़्वाम के पास भेज दूँगा। वह तरसीस, लिबिया, तीर चलाने की माहिर क़ौम लुदिया, तूबल, यूनान और उन दूरदराज़ जज़ीरों के पास जाएँगे जिन्हों ने न मेरे बारे में सुना, न मेरे जलाल का मुशाहदा किया है। इन अक़्वाम में वह मेरे जलाल का एलान करेंगे। |
20. | फिर वह तमाम अक़्वाम में रहने वाले तुम्हारे भाइयों को घोड़ों, रथों, गाड़ियों, ख़च्चरों और ऊँटों पर सवार करके यरूशलम ले आएँगे। यहाँ मेरे मुक़द्दस पहाड़ पर वह उन्हें ग़ल्ला की नज़र के तौर पर पेश करेंगे। क्यूँकि रब्ब फ़रमाता है कि जिस तरह इस्राईली अपनी ग़ल्ला की नज़रें पाक बर्तनों में रख कर रब्ब के घर में ले आते हैं उसी तरह वह तुम्हारे इस्राईली भाइयों को यहाँ पेश करेंगे। |
21. | उन में से मैं बाज़ को इमाम और लावी का उह्दा दूँगा।” यह रब्ब का फ़रमान है। |
22. | रब्ब फ़रमाता है, “जितने यक़ीन के साथ मेरा बनाया हुआ नया आस्मान और नई ज़मीन मेरे सामने क़ाइम रहेगा उतने यक़ीन के साथ तुम्हारी नसल और तुम्हारा नाम अबद तक क़ाइम रहेगा। |
23. | उस वक़्त तमाम इन्सान मेरे पास आ कर मुझे सिज्दा करेंगे। हर नए चाँद और हर सबत को वह बाक़ाइदगी से आते रहेंगे।” यह रब्ब का फ़रमान है। |
24. | “तब वह शहर से निकल कर उन की लाशों पर नज़र डालेंगे जो मुझ से सरकश हुए थे। क्यूँकि न उन्हें खाने वाले कीड़े कभी मरेंगे, न उन्हें जलाने वाली आग कभी बुझेगी। तमाम इन्सान उन से घिन खाएँगे।” |
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