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1. | रब्ब फ़रमाता है, “ख़ुशी के नारे लगा, तू जो बेऔलाद है, जो बच्चे को जन्म ही नहीं दे सकती। बुलन्द आवाज़ से शादियाना बजा, तू जिसे पैदाइश का दर्द न हुआ। क्यूँकि अब तर्क की हुई औरत के बच्चे शादीशुदा औरत के बच्चों से ज़ियादा हैं। |
2. | अपने ख़ैमे को बड़ा बना, उस के पर्दे हर तरफ़ बिछा! बचत मत करना! ख़ैमे के रस्से लम्बे लम्बे करके मेख़ें मज़्बूती से ज़मीन में ठोंक दे। |
3. | क्यूँकि तू तेज़ी से दाईं और बाईं तरफ़ फैल जाएगी, और तेरी औलाद दीगर क़ौमों पर क़ब्ज़ा करके तबाहशुदा शहरों को अज़ सर-ए-नौ आबाद करेगी। |
4. | मत डरना, तेरी रुस्वाई नहीं होगी। शर्मसार न हो, तेरी बेहुरमती नहीं होगी। अब तू अपनी जवानी की शर्मिन्दगी भूल जाएगी, तेरे ज़हन से बेवा होने की ज़िल्लत उतर जाएगी। |
5. | क्यूँकि तेरा ख़ालिक़ तेरा शौहर है, रब्ब-उल-अफ़्वाज उस का नाम है, और तेरा छुड़ाने वाला इस्राईल का क़ुद्दूस है, जो पूरी दुनिया का ख़ुदा कहलाता है।” |
6. | तेरा ख़ुदा फ़रमाता है, “तू मतरूका और दिल से मजरूह बीवी की मानिन्द है, उस औरत की मानिन्द जिस के शौहर ने उसे रद्द किया, गो उस की शादी उस वक़्त हुई जब कुंवारी ही थी। लेकिन अब मैं, रब्ब ने तुझे बुलाया है। |
7. | एक ही लम्हे के लिए मैं ने तुझे तर्क किया, लेकिन अब बड़े रहम से तुझे जमा करूँगा। |
8. | मैं ने अपने ग़ज़ब का पूरा ज़ोर तुझ पर नाज़िल करके पल भर के लिए अपना चिहरा तुझ से छुपा लिया, लेकिन अब अबदी शफ़्क़त से तुझ पर रहम करूँगा।” रब्ब तेरा छुड़ाने वाला यह फ़रमाता है। |
9. | “बड़े सैलाब के बाद मैं ने नूह से क़सम खाई थी कि आइन्दा सैलाब कभी पूरी ज़मीन पर नहीं आएगा। इसी तरह अब मैं क़सम खा कर वादा करता हूँ कि आइन्दा न मैं कभी तुझ से नाराज़ हूँगा, न तुझे मलामत करूँगा। |
10. | गो पहाड़ हट जाएँ और पहाड़ियाँ जुम्बिश खाएँ, लेकिन मेरी शफ़्क़त तुझ पर से कभी नहीं हटेगी, मेरा सलामती का अह्द कभी नहीं हिलेगा।” यह रब्ब का फ़रमान है जो तुझ पर तरस खाता है। |
11. | “बेचारी बेटी यरूशलम! शदीद तूफ़ान तुझ पर से गुज़र गए हैं, और कोई नहीं है जो तुझे तसल्ली दे। देख, मैं तेरी दीवारों के पत्थर मज़्बूत चूने से जोड़ दूँगा और तेरी बुन्यादों को संग-ए-लाजवर्द से रख दूँगा। |
12. | मैं तेरी दीवारों को याक़ूत, तेरे दरवाज़ों को आब-ए-बहर और तेरी तमाम फ़सील को क़ीमती जवाहिर से तामीर करूँगा। |
13. | तेरे तमाम फ़र्ज़न्द रब्ब से तालीम पाएँगे, और तेरी औलाद की सलामती अज़ीम होगी। |
14. | तुझे इन्साफ़ की मज़्बूत बुन्याद पर रखा जाएगा, चुनाँचे दूसरों के ज़ुल्म से दूर रह, क्यूँकि डरने की ज़रूरत नहीं होगी। दह्शतज़दा न हो, क्यूँकि दह्शत खाने का सबब तेरे क़रीब नहीं आएगा। |
15. | अगर कोई तुझ पर हम्ला करे भी तो यह मेरी तरफ़ से नहीं होगा, इस लिए हर हम्लाआवर शिकस्त खाएगा। |
16. | देख, मैं ही उस लोहार का ख़ालिक़ हूँ जो हवा दे कर कोइलों को दहका देता है ताकि काम के लिए मौज़ूँ हथियार बना ले। और मैं ही ने तबाह करने वाले को ख़लक़ किया ताकि वह बर्बादी का काम अन्जाम दे। |
17. | चुनाँचे जो भी हथियार तुझ पर हम्ला करने के लिए तय्यार हो जाए वह नाकाम होगा, और जो भी ज़बान तुझ पर इल्ज़ाम लगाए उसे तू मुज्रिम साबित करेगा। यही रब्ब के ख़ादिमों का मौरूसी हिस्सा है, मैं ही उन की रास्तबाज़ी बरक़रार रखूँगा।” रब्ब ख़ुद यह फ़रमाता है। |
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