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1. | ऐ कुंवारी बाबल बेटी, उतर जा! ख़ाक में बैठ जा! ऐ बाबलियों की बेटी, ज़मीन पर बैठ जा जहाँ तख़्त नहीं है! अब से लोग तुझ से नहीं कहेंगे, ‘ऐ मेरी नाज़-पर्वर्दा, ऐ मेरी लाडली!’ |
2. | अब चक्की ले कर आटा पीस! अपना निक़ाब हटा, अपने लिबास का दामन उठा, अपनी टाँगों को उरियाँ करके नदियाँ पार कर। |
3. | तेरी बरहनगी सब पर ज़ाहिर होगी, सब तेरी शर्मसार हालत देखेंगे। क्यूँकि मैं बदला ले कर किसी को नहीं छोड़ूँगा।” |
4. | जिस ने इवज़ाना दे कर हमें छुड़ाया है वही यह फ़रमाता है, वह जिस का नाम रब्ब-उल-अफ़्वाज है और जो इस्राईल का क़ुद्दूस है। |
5. | “ऐ बाबलियों की बेटी, चुपके से बैठ जा! तारीकी में छुप जा! आइन्दा तू ‘ममालिक की मलिका’ नहीं कहलाएगी। |
6. | जब मुझे अपनी क़ौम पर ग़ुस्सा आया तो मैं ने उसे यूँ रुसवा किया कि उस की मुक़द्दस हालत जाती रही, गो वह मेरा मौरूसी हिस्सा थी। उस वक़्त मैं ने उन्हें तेरे हवाले कर दिया, लेकिन तू ने उन पर रहम न किया बल्कि बूढ़ों की गर्दन पर भी अपना भारी जूआ रख दिया। |
7. | तू बोली, ‘मैं अबद तक मलिका ही रहूँगी!’ तू ने सन्जीदगी से ध्यान न दिया, न इस के अन्जाम पर ग़ौर किया। |
8. | अब सुन, ऐ अय्याश, तू जो अपने आप को मह्फ़ूज़ समझ कर कहती है, ‘मैं ही हूँ, मेरे सिवा कोई और नहीं है। मैं न कभी बेवा, न कभी बेऔलाद हूँगी।’ |
9. | मैं फ़रमाता हूँ कि एक ही दिन और एक ही लम्हे में तू बेऔलाद भी बनेगी और बेवा भी। तेरे सारे ज़बरदस्त जादूमंत्र के बावुजूद यह आफ़त पूरे ज़ोर से तुझ पर आएगी। |
10. | तू ने अपनी बदकारी पर एतिमाद करके सोचा, ‘कोई नहीं मुझे देखता।’ लेकिन तेरी ‘हिक्मत’ और ‘इल्म’ तुझे ग़लत राह पर लाया है। उन की बिना पर तू ने दिल में कहा, ‘मैं ही हूँ, मेरे सिवा कोई और नहीं है।’ |
11. | अब तुझ पर ऐसी आफ़त आएगी जिसे तेरे जादूमंत्र दूर करने नहीं पाएँगे, तू ऐसी मुसीबत में फंस जाएगी जिस से निपट नहीं सकेगी। अचानक ही तुझ पर तबाही नाज़िल होगी, और तू उस के लिए तय्यार ही नहीं होगी। |
12. | अब खड़ी हो जा, अपने जादू-टोने का पूरा ख़ज़ाना खोल कर सब कुछ इस्तेमाल में ला जो तू ने जवानी से बड़ी मेहनत-मशक़्क़त के साथ अपना लिया है। शायद फ़ाइदा हो, शायद तू लोगों को डरा कर भगा सके। |
13. | लेकिन दूसरों के बेशुमार मश्वरे बेकार हैं, उन्हों ने तुझे सिर्फ़ थका दिया है। अब तेरे नजूमी खड़े हो जाएँ, जो सितारों को देख देख कर हर महीने पेशगोइयाँ करते हैं वह सामने आ कर तुझे उस से बचाएँ जो तुझ पर आने वाला है। |
14. | यक़ीनन वह आग में जलने वाला भूसा ही हैं जो अपनी जान को शोलों से बचा नहीं सकते। और यह कोइलों की आग नहीं होगी जिस के सामने इन्सान बैठ कर आग ताप सके। |
15. | यही उन सब का हाल है जिन पर तू ने मेहनत की है और जो तेरी जवानी से तेरे साथ तिजारत करते रहे हैं। हर एक लड़खड़ाते हुए अपनी अपनी राह इख़तियार करेगा, और एक भी नहीं होगा जो तुझे बचाए। |
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