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1. | रब्ब अपने मसह किए हुए ख़ादिम ख़ोरस से फ़रमाता है, “मैं ने तेरे दहने हाथ को पकड़ लिया है, इस लिए जहाँ भी तू जाए वहाँ क़ौमें तेरे ताबे हो जाएँगी, बादशाहों की ताक़त जाती रहेगी, दरवाज़े खुल जाएँगे और शहर के दरवाज़े बन्द नहीं रहेंगे। |
2. | मैं ख़ुद तेरे आगे आगे जा कर क़िलआबन्दियों को ज़मीनबोस कर दूँगा। मैं पीतल के दरवाज़े टुकड़े टुकड़े करके तमाम कुंडे तुड़वा दूँगा। |
3. | मैं तुझे अंधेरे में छुपे ख़ज़ाने और पोशीदा माल-ओ-दौलत अता करूँगा ताकि तू जान ले कि मैं रब्ब हूँ जो तेरा नाम ले कर तुझे बुलाता है, कि मैं इस्राईल का ख़ुदा हूँ। |
4. | गो तू मुझे नहीं जानता था, लेकिन अपने ख़ादिम याक़ूब की ख़ातिर मैं ने तेरा नाम ले कर तुझे बुलाया, अपने बर्गुज़ीदा इस्राईल के वास्ते तुझे एज़ाज़ी नाम से नवाज़ा है। |
5. | मैं ही रब्ब हूँ, और मेरे सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है। गो तू मुझे नहीं जानता था तो भी मैं तुझे कमरबस्ता करता हूँ |
6. | ताकि मशरिक़ से मग़रिब तक इन्सान जान लें कि मेरे सिवा कोई और नहीं है। मैं ही रब्ब हूँ, और मेरे सिवा कोई और नहीं है। |
7. | मैं ही रौशनी को तश्कील देता और अंधेरे को वुजूद में लाता हूँ, मैं ही अच्छे और बुरे हालात पैदा करता, मैं रब्ब ही यह सब कुछ करता हूँ। |
8. | ऐ आस्मान, रास्ती की बूँदा-बाँदी से ज़मीन को तर-ओ-ताज़ा कर! ऐ बादलो, सदाक़त बरसाओ! ज़मीन खुल कर नजात का फल लाए और रास्ती का पौदा फूटने दे। मैं रब्ब ही उसे वुजूद में लाया हूँ।” |
9. | उस पर अफ़्सोस जो अपने ख़ालिक़ से झगड़ा करता है, गो वह मिट्टी के टूटे-फूटे बर्तनों का ठीकरा ही है। क्या गारा कुम्हार से पूछता है, “तू क्या बना रहा है?” क्या तेरी बनाई हुई कोई चीज़ तेरे बारे में शिकायत करती है, “उस की कोई ताक़त नहीं”? |
10. | उस पर अफ़्सोस जो बाप से सवाल करे, “तू क्यूँ बाप बन रहा है?” या औरत से, “तू क्यूँ बच्चा जन्म दे रही है?” |
11. | रब्ब जो इस्राईल का क़ुद्दूस और उसे तश्कील देने वाला है फ़रमाता है, “तुम किस तरह मेरे बच्चों के बारे में मेरी पूछगिछ कर सकते हो? जो कुछ मेरे हाथों ने बनाया उस के बारे में तुम कैसे मुझे हुक्म दे सकते हो? |
12. | मैं ही ने ज़मीन को बना कर इन्सान को उस पर ख़लक़ किया। मेरे अपने हाथों ने आस्मान को ख़ैमे की तरह उस के ऊपर तान लिया और मैं ही ने उस के सितारों के पूरे लश्कर को तर्तीब दिया। |
13. | मैं ही ने ख़ोरस को इन्साफ़ से जगा दिया, और मैं ही उस के तमाम रास्ते सीधे बना देता हूँ। वह मेरे शहर को नए सिरे से तामीर करेगा और मेरे जिलावतनों को आज़ाद करेगा। और यह सब कुछ मुफ़्त में होगा, न वह पैसे लेगा, न तुह्फ़े।” यह रब्ब-उल-अफ़्वाज का फ़रमान है। |
14. | रब्ब फ़रमाता है, “मिस्र की दौलत, एथोपिया का तिजारती माल और सिबा के दराज़क़द अफ़राद तेरे मा-तहत हो कर तेरी मिल्कियत बन जाएँगे। वह तेरे पीछे चलेंगे, ज़न्जीरों में जकड़े तेरे ताबे हो जाएँगे। तेरे सामने झुक कर वह इलतिमास करके कहेंगे, ‘यक़ीनन अल्लाह तेरे साथ है। उस के सिवा कोई और ख़ुदा है नहीं’।” |
15. | ऐ इस्राईल के ख़ुदा और नजातदिहन्दा, यक़ीनन तू अपने आप को छुपाए रखने वाला ख़ुदा है। |
16. | बुत बनाने वाले सब शर्मिन्दा हो जाएँगे। उन के मुँह काले हो जाएँगे, और वह मिल कर शर्मसार हालत में चले जाएँगे। |
17. | लेकिन इस्राईल को छुटकारा मिलेगा, रब्ब उसे अबदी नजात देगा। तब तुम्हारी रुस्वाई कभी नहीं होगी, तुम हमेशा तक शर्मिन्दा होने से मह्फ़ूज़ रहोगे। |
18. | क्यूँकि रब्ब फ़रमाता है, “मैं ही रब्ब हूँ, और मेरे सिवा कोई और नहीं है! जो यह फ़रमाता है वह ख़ुदा है, जिस ने आस्मान को ख़लक़ किया और ज़मीन को तश्कील दे कर मह्फ़ूज़ बुन्याद पर रखा। और ज़मीन सुन्सान बियाबान न रही बल्कि उस ने उसे बसने के क़ाबिल बना दिया ताकि जानदार उस में रह सकें। |
19. | मैं ने पोशीदगी में या दुनिया के किसी तारीक कोने से बात नहीं की। मैं ने याक़ूब की औलाद से यह भी नहीं कहा, ‘बेशक मुझे तलाश करो, लेकिन तुम मुझे नहीं पाओगे।’ नहीं, मैं रब्ब ही हूँ, जो इन्साफ़ बयान करता, सच्चाई का एलान करता है। |
20. | तुम जो दीगर अक़्वाम से बच निकले हो आओ, जमा हो जाओ। मिल कर मेरे हुज़ूर हाज़िर हो जाओ! जो लकड़ी के बुत उठा कर अपने साथ लिए फिरते हैं वह कुछ नहीं जानते! जो देवता छुटकारा नहीं दे सकते उन से वह क्यूँ इल्तिजा करते हैं? |
21. | आओ, अपना मुआमला सुनाओ, अपने दलाइल पेश करो! बेशक पहले एक दूसरे से मश्वरा करो। किस ने बड़ी देर पहले यह कुछ सुनाया था? क्या मैं, रब्ब ने तवील अर्सा पहले इस का एलान नहीं किया था? क्यूँकि मेरे सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है। मैं रास्त ख़ुदा और नजातदिहन्दा हूँ। मेरे सिवा कोई और नहीं है। |
22. | ऐ ज़मीन की इन्तिहाओ, सब मेरी तरफ़ रुजू करके नजात पाओ! क्यूँकि मैं ही ख़ुदा हूँ, मेरे सिवा कोई और नहीं है। |
23. | मैं ने अपने नाम की क़सम खा कर फ़रमाया है, और मेरा फ़रमान रास्त है, वह कभी मन्सूख़ नहीं होगा। फ़रमान यह है कि मेरे सामने हर घुटना झुकेगा और हर ज़बान मेरी क़सम खा कर |
24. | कहेगी, ‘रब्ब ही रास्ती और क़ुव्वत का मम्बा है’!” जो पहले तैश में आ कर रब्ब की मुख़ालफ़त करते थे वह भी सब शर्मिन्दा हो कर उस के हुज़ूर आएँगे। |
25. | लेकिन इस्राईल की तमाम औलाद रब्ब में रास्तबाज़ ठहर कर उस पर फ़ख़र करेगी। |
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