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1. | थोड़ी देर के बाद बाबल के बादशाह मरूदक-बलदान बिन बलदान ने हिज़क़ियाह की बीमारी और शिफ़ा की ख़बर सुन कर वफ़द के हाथ ख़त और तुह्फ़े भेजे। |
2. | हिज़क़ियाह ने ख़ुशी से वफ़द का इस्तिक़्बाल करके उसे वह तमाम ख़ज़ाने दिखाए जो ज़ख़ीराख़ाने में मह्फ़ूज़ रखे गए थे यानी तमाम सोना-चाँदी, बल्सान का तेल और बाक़ी क़ीमती तेल। उस ने पूरा अस्लिहाख़ाना और बाक़ी सब कुछ भी दिखाया जो उस के ख़ज़ानों में था। पूरे महल और पूरे मुल्क में कोई ख़ास चीज़ न रही जो उस ने उन्हें न दिखाई। |
3. | तब यसायाह नबी हिज़क़ियाह बादशाह के पास आया और पूछा, “इन आदमियों ने क्या कहा? कहाँ से आए हैं?” हिज़क़ियाह ने जवाब दिया, “दूरदराज़ मुल्क बाबल से मेरे पास आए हैं।” |
4. | यसायाह बोला, “उन्हों ने महल में क्या कुछ देखा?” हिज़क़ियाह ने कहा, “उन्हों ने महल में सब कुछ देख लिया है। मेरे ख़ज़ानों में कोई चीज़ न रही जो मैं ने उन्हें नहीं दिखाई।” |
5. | तब यसायाह ने कहा, “रब्ब-उल-अफ़्वाज का फ़रमान सुनें! |
6. | एक दिन आने वाला है कि तेरे महल का तमाम माल छीन लिया जाएगा। जितने भी ख़ज़ाने तू और तेरे बापदादा ने आज तक जमा किए हैं उन सब को दुश्मन बाबल ले जाएगा। रब्ब फ़रमाता है कि एक भी चीज़ पीछे नहीं रहेगी। |
7. | तेरे बेटों में से भी बाज़ छीन लिए जाएँगे, ऐसे जो अब तक पैदा नहीं हुए। तब वह ख़्वाजासरा बन कर शाह-ए-बाबल के महल में ख़िदमत करेंगे।” |
8. | हिज़क़ियाह बोला, “रब्ब का जो पैग़ाम आप ने मुझे दिया है वह ठीक है।” क्यूँकि उस ने सोचा, “बड़ी बात यह है कि मेरे जीते जी अम्न-ओ-अमान होगा।” |
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