Isaiah (32/66)  

1. एक बादशाह आने वाला है जो इन्साफ़ से हुकूमत करेगा। उस के अफ़्सर भी सदाक़त से हुक्मरानी करेंगे।
2. हर एक आँधी और तूफ़ान से पनाह देगा, हर एक रेगिस्तान में नदियों की तरह तर-ओ-ताज़ा करेगा, हर एक तपती धूप में बड़ी चटान का सा साया देगा।
3. तब देखने वालों की आँखें अंधी नहीं रहेंगी, और सुनने वालों के कान ध्यान देंगे।
4. जल्दबाज़ों के दिल समझदार हो जाएँगे, और हक्लों की ज़बान रवानी से साफ़ बात करेगी।
5. उस वक़्त न अहमक़ शरीफ़ कहलाएगा, न बदमआश को मुम्ताज़ क़रार दिया जाएगा।
6. क्यूँकि अहमक़ हमाक़त बयान करता है, और उस का ज़हन शरीर मन्सूबे बाँधता है। वह बेदीन हर्कतें करके रब्ब के बारे में कुफ़्र बकता है। भूके को वह भूका छोड़ता और पियासे को पानी पीने से रोकता है।
7. बदमआश के तरीक़-ए-कार शरीर हैं। वह ज़रूरतमन्द को झूट से तबाह करने के मन्सूबे बाँधता रहता है, ख़्वाह ग़रीब हक़ पर क्यूँ न हो।
8. उस के मुक़ाबले में शरीफ़ आदमी शरीफ़ मन्सूबे बाँधता और शरीफ़ काम करने में साबितक़दम रहता है।
9. ऐ बेपरवा औरतो, उठ कर मेरी बात सुनो! ऐ बेटियो जो अपने आप को मह्फ़ूज़ समझती हो, मेरे अल्फ़ाज़ पर ध्यान दो!
10. एक साल और चन्द एक दिनों के बाद तुम जो अपने आप को मह्फ़ूज़ समझती हो काँप उठोगी। क्यूँकि अंगूर की फ़सल ज़ाए हो जाएगी, और फल की फ़सल पकने नहीं पाएगी।
11. ऐ बेपरवा औरतो, लरज़ उठो! ऐ बेटियो जो अपने आप को मह्फ़ूज़ समझती हो, थरथराओ! अपने अच्छे कपड़ों को उतार कर टाट के लिबास पहन लो।
12. अपने सीनों को पीट पीट कर अपने ख़ुशगवार खेतों और अंगूर के फलदार बाग़ों पर मातम करो।
13. मेरी क़ौम की ज़मीन पर आह-ओ-ज़ारी करो, क्यूँकि उस पर ख़ारदार झाड़ियाँ छा गई हैं। रंगरलियाँ मनाने वाले शहर के तमाम ख़ुशबाश घरों पर ग़म खाओ।
14. महल वीरान होगा, रौनक़दार शहर सुन्सान होगा। क़िलआ और बुर्ज हमेशा के लिए ग़ार बनेंगे जहाँ जंगली गधे अपने दिल बहलाएँगे और भेड़-बक्रियाँ चरेंगी।
15. जब तक अल्लाह अपना रूह हम पर नाज़िल न करे उस वक़्त तक हालात ऐसे ही रहेंगे। लेकिन फिर रेगिस्तान बाग़ में तब्दील हो जाएगा, और बाग़ के फलदार दरख़्त जंगल जैसे घने हो जाएँगे।
16. तब इन्साफ़ रेगिस्तान में बसेगा, और सदाक़त फलते फूलते बाग़ में सुकूनत करेगी।
17. इन्साफ़ का फल अम्न-ओ-अमान होगा, और सदाक़त का असर अबदी सुकून और हिफ़ाज़त होगी।
18. मेरी क़ौम पुरसुकून और मह्फ़ूज़ आबादियों में बसेगी, उस के घर आरामदिह और पुरअम्न होंगे।
19. गो जंगल तबाह और शहर ज़मीनबोस क्यूँ न हो,
20. लेकिन तुम मुबारक हो जो हर नदी के पास बीज बो सकोगे और आज़ादी से अपने गाय-बैलों और गधों को चरा सकोगे।

  Isaiah (32/66)