Isaiah (27/66)  

1. उस दिन रब्ब उस भागने और पेच-ओ-ताब खाने वाले साँप को सज़ा देगा जो लिवियातान कहलाता है। अपनी सख़्त, अज़ीम और ताक़तवर तल्वार से वह समुन्दर के अझ़्दहे को मार डालेगा।
2. उस दिन कहा जाएगा, “अंगूर का कितना ख़ूबसूरत बाग़ है! उस की तारीफ़ में गीत गाओ!
3. मैं, रब्ब ख़ुद ही उसे सँभालता, उसे मुसल्सल पानी देता रहता हूँ। दिन रात मैं उस की पहरादारी करता हूँ ताकि कोई उसे नुक़्सान न पहुँचाए।
4. अब मेरा ग़ुस्सा ठंडा हो गया है। लेकिन अगर बाग़ में ऊँटकटारे और ख़ारदार झाड़ियाँ मिल जाएँ तो मैं उन से निपट लूँगा, मैं उन से जंग करके सब को जला दूँगा।
5. लेकिन अगर वह मान जाएँ तो मेरे पास आ कर पनाह लें। वह मेरे साथ सुलह करें, हाँ मेरे साथ सुलह करें।”
6. एक वक़्त आएगा कि याक़ूब जड़ पकड़ेगा। इस्राईल को फूल लग जाएँगे, उस की कोंपलें निकलेंगी और दुनिया उस के फल से भर जाएगी।
7. क्या रब्ब ने अपनी क़ौम को यूँ मारा जिस तरह उस ने इस्राईल को मारने वालों को मारा है? हरगिज़ नहीं! या क्या इस्राईल को यूँ क़त्ल किया गया जिस तरह उस के क़ातिलों को क़त्ल किया गया है?
8. नहीं, बल्कि तू ने उसे डरा कर और भगा कर उस से जवाब तलब किया, तू ने उस के ख़िलाफ़ मशरिक़ से तेज़ आँधी भेज कर उसे अपने हुज़ूर से निकाल दिया।
9. इस तरह याक़ूब के क़ुसूर का कफ़्फ़ारा दिया जाएगा। और जब इस्राईल का गुनाह दूर हो जाएगा तो नतीजे में वह तमाम ग़लत क़ुर्बानगाहों को चूने के पत्थरों की तरह चिकना-चूर करेगा। न यसीरत देवी के खम्बे, न बख़ूर जलाने की ग़लत क़ुर्बानगाहें खड़ी रहेंगी।
10. क्यूँकि क़िलआबन्द शहर तन्हा रह गया है। लोगों ने उसे वीरान छोड़ कर रेगिस्तान की तरह तर्क कर दिया है। अब से उस में बछड़े ही चरेंगे। वही उस की गलियों में आराम करके उस की टहनियों को चबा लेंगे।
11. तब उस की शाख़ें सूख जाएँगी और औरतें उन्हें तोड़ तोड़ कर जलाएँगी। क्यूँकि यह क़ौम समझ से ख़ाली है, लिहाज़ा उस का ख़ालिक़ उस पर तरस नहीं खाएगा, जिस ने उसे तश्कील दिया वह उस पर मेहरबानी नहीं करेगा।
12. उस दिन तुम इस्राईली ग़ल्ला जैसे होगे, और रब्ब तुम्हारी बालियों को दरया-ए-फ़ुरात से ले कर मिस्र की शिमाली सरहद्द पर वाक़े वादी-ए-मिस्र तक काटेगा। फिर वह तुम्हें गाह कर दाना-ब-दाना तमाम ग़ल्ला इकट्ठा करेगा।
13. उस दिन नरसिंगा बुलन्द आवाज़ से बजेगा। तब असूर में तबाह होने वाले और मिस्र में भगाए हुए लोग वापस आ कर यरूशलम के मुक़द्दस पहाड़ पर रब्ब को सिज्दा करेंगे।

  Isaiah (27/66)