Isaiah (19/66)  

1. मिस्र के बारे में अल्लाह का फ़रमान : रब्ब तेज़रौ बादल पर सवार हो कर मिस्र आ रहा है। उस के सामने मिस्र के बुत थरथरा रहे हैं और मिस्र की हिम्मत टूट गई है।
2. “मैं मिस्रियों को एक दूसरे के साथ लड़ने पर उकसा दूँगा। भाई भाई के साथ, पड़ोसी पड़ोसी के साथ, शहर शहर के साथ, और बादशाही बादशाही के साथ जंग करेगी।
3. मिस्र की रूह मुज़्तरिब हो जाएगी, और मैं उन के मन्सूबों को दर्हम-बर्हम कर दूँगा। गो वह बुतों, मुर्दों की रूहों, उन से राबिता करने वालों और क़िस्मत का हाल बताने वालों से मश्वरा करेंगे,
4. लेकिन मैं उन्हें एक ज़ालिम मालिक के हवाले कर दूँगा, और एक सख़्त बादशाह उन पर हुकूमत करेगा।” यह है क़ादिर-ए-मुतलक़ रब्ब-उल-अफ़्वाज का फ़रमान।
5. दरया-ए-नील का पानी ख़त्म हो जाएगा, वह बिलकुल सूख जाएगा।
6. मिस्र की नहरों से बदबू फैलेगी बल्कि मिस्र के नाले घटते घटते ख़ुश्क हो जाएँगे। नर्सल और सरकंडे मुरझा जाएँगे।
7. दरया-ए-नील के दहाने तक जितनी भी हरियाली और फ़सलें किनारे पर उगती हैं वह सब पझ़मुर्दा हो जाएँगी और हवा में बिखर कर ग़ाइब हो जाएँगी।
8. मछेरे आह-ओ-ज़ारी करेंगे, दरया में काँटा और जाल डालने वाले घटते जाएँगे।
9. सन के रेशों से धागा बनाने वालों को शर्म आएगी, और जूलाहों का रंग फ़क़ पड़ जाएगा।
10. कपड़ा बनाने वाले सख़्त मायूस होंगे, तमाम मज़्दूर दिल-बर्दाश्ता होंगे।
11. ज़ुअन के अफ़्सर नासमझ ही हैं, फ़िरऔन के दाना मुशीर उसे अहमक़ मश्वरे दे रहे हैं। तुम मिस्री बादशाह के सामने किस तरह दावा कर सकते हो, “मैं दानिशमन्दों के हल्क़े में शामिल और क़दीम बादशाहों का वारिस हूँ”?
12. ऐ फ़िरऔन, अब तेरे दानिशमन्द कहाँ हैं? वह मालूम करके तुझे बताएँ कि रब्ब-उल-अफ़्वाज मिस्र के साथ क्या कुछ करने का इरादा रखता है।
13. ज़ुअन के अफ़्सर अहमक़ बन बैठे हैं, मेम्फ़िस के बुज़ुर्गों ने धोका खाया है। उस के क़बाइली सरदारों के फ़रेब से मिस्र डगमगाने लगा है।
14. क्यूँकि रब्ब ने उन में अब्तरी की रूह डाल दी है। जिस तरह नशे में धुत शराबी अपनी क़ै में लड़खड़ाता रहता है उसी तरह मिस्र उन के मश्वरों से डाँवाँडोल हो गया है, ख़्वाह वह क्या कुछ क्यूँ न करे।
15. उस की कोई बात नहीं बनती, ख़्वाह सर हो या दुम, कोंपल हो या तना।
16. मिस्री उस दिन औरतों जैसे कमज़ोर होंगे। जब रब्ब-उल-अफ़्वाज उन्हें मारने के लिए अपना हाथ उठाएगा तो वह घबरा कर काँप उठेंगे।
17. मुल्क-ए-यहूदाह मिस्रियों के लिए शर्म का बाइस बनेगा। जब भी उस का ज़िक्र होगा तो वह दह्शत खाएँगे, क्यूँकि उन्हें वह मन्सूबा याद आएगा जो रब्ब ने उन के ख़िलाफ़ बाँधा है।
18. उस दिन मिस्र के पाँच शहर कनआन की ज़बान अपना कर रब्ब-उल-अफ़्वाज के नाम पर क़सम खाएँगे। उन में से एक ‘तबाही का शहर’ कहलाएगा ।
19. उस दिन मुल्क-ए-मिस्र के बीच में रब्ब के लिए क़ुर्बानगाह मख़्सूस की जाएगी, और उस की सरहद्द पर रब्ब की याद में सतून खड़ा किया जाएगा।
20. यह दोनों रब्ब-उल-अफ़्वाज की हुज़ूरी की निशानदिही करेंगे और गवाही देंगे कि वह मौजूद है। चुनाँचे जब उन पर ज़ुल्म किया जाएगा तो वह चिल्ला कर उस से फ़र्याद करेंगे, और रब्ब उन के पास नजातदिहन्दा भेज देगा जो उन की ख़ातिर लड़ कर उन्हें बचाएगा।
21. यूँ रब्ब अपने आप को मिस्रियों पर ज़ाहिर करेगा। उस दिन वह रब्ब को जान लेंगे, और ज़बह और ग़ल्ला की क़ुर्बानियाँ चढ़ा कर उस की परस्तिश करेंगे। वह रब्ब के लिए मन्नतें मान कर उन को पूरा करेंगे।
22. रब्ब मिस्र को मारेगा भी और उसे शिफ़ा भी देगा। मिस्री रब्ब की तरफ़ रुजू करेंगे तो वह उन की इल्तिजाओं के जवाब में उन्हें शिफ़ा देगा।
23. उस दिन एक पक्की सड़क मिस्र को असूर के साथ मुन्सलिक कर देगी। असूरी और मिस्री आज़ादी से एक दूसरे के मुल्क में आएँगे, और दोनों मिल कर अल्लाह की इबादत करेंगे।
24. उस दिन इस्राईल भी मिस्र और असूर के इत्तिहाद में शरीक हो कर तमाम दुनिया के लिए बर्कत का बाइस होगा।
25. क्यूँकि रब्ब-उल-अफ़्वाज उन्हें बर्कत दे कर फ़रमाएगा, “मेरी क़ौम मिस्र पर बर्कत हो, मेरे हाथों से बने मुल्क असूर पर मेरी बर्कत हो, मेरी मीरास इस्राईल पर बर्कत हो।”

  Isaiah (19/66)