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1. | दर्ज-ए-ज़ैल बाबल के बारे में वह एलान है जो यसायाह बिन आमूस ने रोया में देखा। |
2. | नंगे पहाड़ पर झंडा गाड़ दो। उन्हें बुलन्द आवाज़ दो, हाथ हिला कर उन्हें शुरफ़ा के दरवाज़ों में दाख़िल होने का हुक्म दो। |
3. | मैं ने अपने मुक़द्दसीन को काम पर लगा दिया है, मैं ने अपने सूर्माओं को जो मेरी अज़्मत की ख़ुशी मनाते हैं बुला लिया है ताकि मेरे ग़ज़ब का आला-ए-कार बनें। |
4. | सुनो! पहाड़ों पर बड़े हुजूम का शोर मच रहा है। सुनो! मुतअद्दिद ममालिक और जमा होने वाली क़ौमों का ग़ुल-ग़पाड़ा सुनाई दे रहा है। रब्ब-उल-अफ़्वाज जंग के लिए फ़ौज जमा कर रहा है। |
5. | उस के फ़ौजी दूरदराज़ इलाक़ों बल्कि आस्मान की इन्तिहा से आ रहे हैं। क्यूँकि रब्ब अपने ग़ज़ब के आलात के साथ आ रहा है ताकि तमाम मुल्क को बर्बाद कर दे। |
6. | वावैला करो, क्यूँकि रब्ब का दिन क़रीब ही है, वह दिन जब क़ादिर-ए-मुतलक़ की तरफ़ से तबाही मचेगी। |
7. | तब तमाम हाथ बेहिस्स-ओ-हर्कत हो जाएँगे, और हर एक का दिल हिम्मत हार देगा। |
8. | दह्शत उन पर छा जाएगी, और वह जानकनी और दर्द-ए-ज़ह की सी गिरिफ़्त में आ कर जन्म देने वाली औरत की तरह तड़पेंगे। एक दूसरे को डर के मारे घूर घूर कर उन के चिहरे आग की तरह तमतमा रहे होंगे। |
9. | देखो, रब्ब का बेरहम दिन आ रहा है जब उस का क़हर और शदीद ग़ज़ब नाज़िल होगा। उस वक़्त मुल्क़ तबाह हो जाएगा और गुनाहगार को उस में से मिटा दिया जाएगा। |
10. | आस्मान के सितारे और उन के झुर्मट नहीं चमकेंगे, सूरज तुलू होते वक़्त तारीक ही रहेगा, और चाँद की रौशनी ख़त्म होगी। |
11. | मैं दुनिया को उस की बदकारी का अज्र और बेदीनों को उन के गुनाहों की सज़ा दूँगा, मैं शोख़ों का घमंड ख़त्म कर दूँगा और ज़ालिमों का ग़रूर ख़ाक में मिला दूँगा। |
12. | लोग ख़ालिस सोने से कहीं ज़ियादा नायाब होंगे, इन्सान ओफ़ीर के क़ीमती सोने की निस्बत कहीं ज़ियादा कमयाब होगा। |
13. | क्यूँकि आस्मान रब्ब-उल-अफ़्वाज के क़हर के सामने काँप उठेगा, उस के शदीद ग़ज़ब के नाज़िल होने पर ज़मीन लरज़ कर अपनी जगह से खिसक जाएगी। |
14. | बाबल के तमाम बाशिन्दे शिकारी के सामने दौड़ने वाले ग़ज़ाल और चरवाहे से महरूम भेड़-बक्रियों की तरह इधर उधर भाग कर अपने मुल्क और अपनी क़ौम में वापस आने की कोशिश करेंगे। |
15. | जो भी दुश्मन के क़ाबू में आएगा उसे छेदा जाएगा, जिसे भी पकड़ा जाएगा उसे तल्वार से मारा जाएगा। |
16. | उन के देखते देखते दुश्मन उन के बच्चों को ज़मीन पर पटख़ देगा और उन के घरों को लूट कर उन की औरतों की इस्मतदरी करेगा। |
17. | मैं मादियों को उन पर चढ़ा लाऊँगा, ऐसे लोगों को जिन्हें रिश्वत से नहीं आज़्माया जा सकता, जो सोने-चाँदी की पर्वा ही नहीं करते। |
18. | उन के तीर नौजवानों को मार देंगे। न वह शीरख़्वारों पर तरस खाएँगे, न बच्चों पर रहम करेंगे। |
19. | अल्लाह बाबल को जो तमाम ममालिक का ताज और बाबलियों का ख़ास फ़ख़र है रू-ए-ज़मीन पर से मिटा डालेगा। उस दिन वह सदूम और अमूरा की तरह तबाह हो जाएगा। |
20. | आइन्दा उसे कभी दुबारा बसाया नहीं जाएगा, नसल-दर-नसल वह वीरान ही रहेगा। न बदू अपना तम्बू वहाँ लगाएगा, और न गल्लाबान अपने रेवड़ उस में ठहराएगा। |
21. | सिर्फ़ रेगिस्तान के जानवर खंडरात में जा बसेंगे। शहर के घर उन की आवाज़ों से गूँज उठेंगे, उक़ाबी उल्लू वहाँ ठहरेंगे, और बक्रानुमा जिन उस में रक़्स करेंगे। |
22. | जंगली कुत्ते उस के महलों में रोएँगे, और गीदड़ ऐश-ओ-इश्रत के क़सरों में अपनी दर्द भरी आवाज़ें निकालेंगे। बाबल का ख़ातमा क़रीब ही है, अब देर नहीं लगेगी। |
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