Hebrews (8/13)  

1. जो कुछ हम कह रहे हैं उस की मर्कज़ी बात यह है, हमारा एक ऐसा इमाम-ए-आज़म है जो आस्मान पर जलाली ख़ुदा के तख़्त के दहने हाथ बैठा है।
2. वहाँ वह मक़्दिस में ख़िदमत करता है, उस हक़ीक़ी मुलाक़ात के ख़ैमे में जिसे इन्सानी हाथों ने खड़ा नहीं किया बल्कि रब्ब ने।
3. हर इमाम-ए-आज़म को नज़राने और क़ुर्बानियाँ पेश करने के लिए मुक़र्रर किया जाता है। इस लिए लाज़िम है कि हमारे इमाम-ए-आज़म के पास भी कुछ हो जो वह पेश कर सके।
4. अगर यह दुनिया में होता तो इमाम-ए-आज़म न होता, क्यूँकि यहाँ इमाम तो हैं जो शरीअत के मतलूबा नज़राने पेश करते हैं।
5. जिस मक़्दिस में वह ख़िदमत करते हैं वह उस मक़्दिस की सिर्फ़ नक़ली सूरत और साया है जो आस्मान पर है। यही वजह है कि अल्लाह ने मूसा को मुलाक़ात का ख़ैमा बनाने से पहले आगाह करके यह कहा, “ग़ौर कर कि सब कुछ ऐन उस नमूने के मुताबिक़ बनाया जाए जो मैं तुझे यहाँ पहाड़ पर दिखाता हूँ।”
6. लेकिन जो ख़िदमत ईसा को मिल गई है वह दुनिया के इमामों की ख़िदमत से कहीं बेहतर है, उतनी बेहतर जितना वह अह्द जिस का दर्मियानी ईसा है पुराने अह्द से बेहतर है। क्यूँकि यह अह्द बेहतर वादों की बुन्याद पर बाँधा गया।
7. अगर पहला अह्द बेइल्ज़ाम होता तो फिर नए अह्द की ज़रूरत न होती।
8. लेकिन अल्लाह को अपनी क़ौम पर इल्ज़ाम लगाना पड़ा। उस ने कहा, “रब्ब का फ़रमान है, ऐसे दिन आ रहे हैं जब मैं इस्राईल के घराने और यहूदाह के घराने से एक नया अह्द बाँधूँगा।
9. यह उस अह्द की मानिन्द नहीं होगा जो मैं ने उन के बापदादा के साथ उस दिन बाँधा था जब मैं उन का हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र से निकाल लाया। क्यूँकि वह उस अह्द के वफ़ादार न रहे जो मैं ने उन से बाँधा था। नतीजे में मेरी उन के लिए फ़िक्र न रही।
10. ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि जो नया अह्द मैं उन दिनों के बाद उन से बाँधूँगा उस के तहत मैं अपनी शरीअत उन के ज़हनों में डाल कर उन के दिलों पर कन्दा करूँगा। तब मैं ही उन का ख़ुदा हूँगा, और वह मेरी क़ौम होंगे।
11. उस वक़्त से इस की ज़रूरत नहीं रहेगी कि कोई अपने पड़ोसी या भाई को तालीम दे कर कहे, ‘रब्ब को जान लो।’ क्यूँकि छोटे से ले कर बड़े तक सब मुझे जानेंगे,
12. क्यूँकि मैं उन का क़ुसूर मुआफ़ करूँगा और आइन्दा उन के गुनाहों को याद नहीं करूँगा।”
13. इन अल्फ़ाज़ में अल्लाह एक नए अह्द का ज़िक्र करता है और यूँ पुराने अह्द को मतरूक क़रार देता है। और जो मतरूक और पुराना है उस का अन्जाम क़रीब ही है।

  Hebrews (8/13)