Hebrews (6/13)  

1. इस लिए आएँ, हम मसीह के बारे में बुन्यादी तालीम को छोड़ कर बलूग़त की तरफ़ आगे बढ़ें। क्यूँकि ऐसी बातें दुहराने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए जिन से ईमान की बुन्याद रखी जाती है, मसलन मौत तक पहुँचाने वाले काम से तौबा,
2. बपतिस्मा क्या है, किसी पर हाथ रखने की तालीम, मुर्दों के जी उठने और अबदी सज़ा पाने की तालीम।
3. चुनाँचे अल्लाह की मर्ज़ी हुई तो हम यह छोड़ कर आगे बढ़ेंगे।
4. नामुम्किन है कि उन्हें बहाल करके दुबारा तौबा तक पहुँचाया जाए जिन्हों ने अपना ईमान तर्क कर दिया हो। उन्हें तो एक बार अल्लाह के नूर में लाया गया था, उन्हों ने आस्मान की नेमत चख ली थी, वह रूह-उल-क़ुद्स में शरीक हुए,
5. उन्हों ने अल्लाह के कलाम की भलाई और आने वाले ज़माने की कुव्वतों का तजरिबा किया था।
6. और फिर उन्हों ने अपना ईमान तर्क कर दिया! ऐसे लोगों को बहाल करके दुबारा तौबा तक पहुँचाना नामुम्किन है। क्यूँकि ऐसा करने से वह अल्लाह के फ़र्ज़न्द को दुबारा मस्लूब करके उसे लान-तान का निशाना बना देते हैं।
7. अल्लाह उस ज़मीन को बर्कत देता है जो अपने पर बार बार पड़ने वाली बारिश को जज़ब करके ऐसी फ़सल पैदा करती है जो खेतीबाड़ी करने वाले के लिए मुफ़ीद हो।
8. लेकिन अगर वह सिर्फ़ ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करे तो वह बेकार है और इस ख़त्रे में है कि उस पर लानत भेजी जाए। अन्जाम-ए-कार उस पर का सब कुछ जलाया जाएगा।
9. अज़ीज़ो, गो हम इस तरह की बातें कर रहे हैं तो भी हमारा एतिमाद यह है कि आप को वह बेहतरीन बर्कतें हासिल हैं जो नजात से मिलती हैं।
10. क्यूँकि अल्लाह बेइन्साफ़ नहीं है। वह आप का काम और वह मुहब्बत नहीं भूलेगा जो आप ने उस का नाम ले कर ज़ाहिर की जब आप ने मुक़द्दसीन की ख़िदमत की बल्कि आज तक कर रहे हैं।
11. लेकिन हमारी बड़ी ख़्वाहिश यह है कि आप में से हर एक इसी सरगर्मी का इज़्हार आख़िर तक करता रहे ताकि जिन बातों की उम्मीद आप रखते हैं वह वाक़ई पूरी हो जाएँ।
12. हम नहीं चाहते कि आप सुस्त हो जाएँ बल्कि यह कि आप उन के नमूने पर चलें जो ईमान और सब्र से वह कुछ मीरास में पा रहे हैं जिस का वादा अल्लाह ने किया है।
13. जब अल्लाह ने क़सम खा कर इब्राहीम से वादा किया तो उस ने अपनी ही क़सम खा कर यह वादा किया। क्यूँकि कोई और नहीं था जो उस से बड़ा था जिस की क़सम वह खा सकता।
14. उस वक़्त उस ने कहा, “मैं ज़रूर तुझे बहुत बर्कत दूँगा, और मैं यक़ीनन तुझे कस्रत की औलाद दूँगा।”
15. इस पर इब्राहीम ने सब्र से इन्तिज़ार करके वह कुछ पाया जिस का वादा किया गया था।
16. क़सम खाते वक़्त लोग उस की क़सम खाते हैं जो उन से बड़ा होता है। इस तरह से क़सम में बयानकरदा बात की तस्दीक़ बह्स-मुबाहसा की हर गुन्जाइश को ख़त्म कर देती है।
17. अल्लाह ने भी क़सम खा कर अपने वादे की तस्दीक़ की। क्यूँकि वह अपने वादे के वारिसों पर साफ़ ज़ाहिर करना चाहता था कि उस का इरादा कभी नहीं बदलेगा।
18. ग़रज़, यह दो बातें क़ाइम रही हैं, अल्लाह का वादा और उस की क़सम। वह इन्हें न तो बदल सकता न इन के बारे में झूट बोल सकता है। यूँ हम जिन्हों ने उस के पास पनाह ली है बड़ी तसल्ली पा कर उस उम्मीद को मज़्बूती से थामे रख सकते हैं जो हमें पेश की गई है।
19. क्यूँकि यह उम्मीद हमारी जान के लिए मज़्बूत लंगर है। और यह आस्मानी बैत-उल-मुक़द्दस के मुक़द्दसतरीन कमरे के पर्दे में से गुज़र कर उस में दाख़िल होती है।
20. वहीं ईसा हमारे आगे आगे जा कर हमारी ख़ातिर दाख़िल हुआ है। यूँ वह मलिक-ए-सिद्क़ की मानिन्द हमेशा के लिए इमाम-ए-आज़म बन गया है।

  Hebrews (6/13)