Hebrews (4/13)  

1. देखें, अब तक अल्लाह का यह वादा क़ाइम है, और अब तक हम सुकून के मुल्क में दाख़िल हो सकते हैं। इस लिए आएँ, हम ख़बरदार रहें। ऐसा न हो कि आप में से कोई पीछे रह कर उस में दाख़िल न होने पाए।
2. क्यूँकि हमें भी उन की तरह एक ख़ुशख़बरी सुनाई गई। लेकिन यह पैग़ाम उन के लिए बेफ़ाइदा था, क्यूँकि वह उसे सुन कर ईमान न लाए।
3. उन की निस्बत हम जो ईमान लाए हैं सुकून के इस मुल्क में दाख़िल हो सकते हैं। ग़रज़, यह ऐसा ही है जिस तरह अल्लाह ने फ़रमाया, “अपने ग़ज़ब में मैं ने क़सम खाई, ‘यह कभी उस मुल्क में दाख़िल नहीं होंगे जहाँ मैं उन्हें सुकून देता’।” अब ग़ौर करें कि उस ने यह कहा अगरचि उस का काम दुनिया की तख़्लीक़ पर इख़तिताम तक पहुँच गया था।
4. क्यूँकि कलाम-ए-मुक़द्दस में सातवें दिन के बारे में लिखा है, “सातवें दिन अल्लाह का सारा काम तक्मील तक पहुँच गया। इस से फ़ारिग़ हो कर उस ने आराम किया।”
5. अब इस का मुक़ाबला मज़्कूरा आयत से करें, “यह कभी उस मुल्क में दाख़िल नहीं होंगे जहाँ मैं उन्हें सुकून देता।”
6. जिन्हों ने पहले अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनी उन्हें नाफ़रमान होने की वजह से यह सुकून न मिला। तो भी यह बात क़ाइम रही कि कुछ तो सुकून के इस मुल्क में दाख़िल हो जाएँगे।
7. यह मद्द-ए-नज़र रख कर अल्लाह ने एक और दिन मुक़र्रर किया, मज़्कूरा “आज” का दिन। कई सालों के बाद ही उस ने दाऊद की मारिफ़त वह बात की जिस पर हम ग़ौर कर रहे हैं, “अगर तुम आज अल्लाह की आवाज़ सुनो तो अपने दिलों को सख़्त न करो।”
8. जब यशूअ उन्हें मुल्क-ए-कनआन में लाया तब उस ने इस्राईलियों को यह सुकून न दिया, वर्ना अल्लाह इस के बाद के किसी और दिन का ज़िक्र न करता।
9. चुनाँचे अल्लाह की क़ौम के लिए एक ख़ास सुकून बाक़ी रह गया है, ऐसा सुकून जो अल्लाह के सातवें दिन आराम करने से मुताबिक़त रखता है।
10. क्यूँकि जो भी वह सुकून पाता है जिस का वादा अल्लाह ने किया वह अल्लाह की तरह अपने कामों से फ़ारिग़ हो कर आराम करेगा।
11. इस लिए आएँ, हम इस सुकून में दाख़िल होने की पूरी कोशिश करें ताकि हम में से कोई भी बापदादा के नाफ़रमान नमूने पर चल कर गुनाह में न गिर जाए।
12. क्यूँकि अल्लाह का कलाम ज़िन्दा, मुअस्सिर और हर दोधारी तल्वार से ज़ियादा तेज़ है। वह इन्सान में से गुज़र कर उस की जान रूह से और उस के जोड़ों को गूदे से अलग कर लेता है। वही दिल के ख़यालात और सोच को जाँच कर उन पर फ़ैसला करने के क़ाबिल है।
13. कोई मख़्लूक़ भी अल्लाह की नज़र से नहीं छुप सकती। उस की आँखों के सामने जिस के जवाबदिह हम होते हैं सब कुछ अयाँ और बेनिक़ाब है।
14. ग़रज़ आएँ, हम उस ईमान से लिपटे रहें जिस का इक़्रार हम करते हैं। क्यूँकि हमारा ऐसा अज़ीम इमाम-ए-आज़म है जो आस्मानों में से गुज़र गया यानी ईसा अल्लाह का फ़र्ज़न्द।
15. और वह ऐसा इमाम-ए-आज़म नहीं है जो हमारी कमज़ोरियों को देख कर हमदर्दी न दिखाए बल्कि अगरचि वह बेगुनाह रहा तो भी हमारी तरह उसे हर क़िस्म की आज़्माइश का सामना करना पड़ा।
16. अब आएँ, हम पूरे एतिमाद के साथ अल्लाह के तख़्त के सामने हाज़िर हो जाएँ जहाँ फ़ज़्ल पाया जाता है। क्यूँकि वहीं हम वह रहम और फ़ज़्ल पाएँगे जो ज़रूरत के वक़्त हमारी मदद कर सकता है।

  Hebrews (4/13)