Hebrews (3/13)  

1. मुक़द्दस भाइयो, जो मेरे साथ अल्लाह के बुलाए हुए हैं! ईसा पर ग़ौर-ओ-ख़ौज़ करते रहें जो अल्लाह का पैग़म्बर और इमाम-ए-आज़म है और जिस का हम इक़्रार करते हैं।
2. ईसा अल्लाह का वफ़ादार रहा जब उस ने उसे यह काम करने के लिए मुक़र्रर किया, बिलकुल उसी तरह जिस तरह मूसा भी वफ़ादार रहा जब अल्लाह का पूरा घर उस के सपुर्द किया गया।
3. अब जो किसी घर को तामीर करता है उसे घर की निस्बत ज़ियादा इज़्ज़त हासिल होती है। इसी तरह ईसा मूसा की निस्बत ज़ियादा इज़्ज़त के लाइक़ है।
4. क्यूँकि हर घर को किसी न किसी ने बनाया होता है, जबकि अल्लाह ने सब कुछ बनाया है।
5. मूसा तो अल्लाह के पूरे घर में ख़िदमत करते वक़्त वफ़ादार रहा, लेकिन मुलाज़िम की हैसियत से ताकि कलाम-ए-मुक़द्दस की आने वाली बातों की गवाही देता रहे।
6. मसीह फ़र्क़ है। उसे फ़र्ज़न्द की हैसियत से अल्लाह के घर पर इख़तियार है और इसी में वह वफ़ादार है। हम उस का घर हैं बशर्तीकि हम अपनी दिलेरी और वह उम्मीद क़ाइम रखें जिस पर हम फ़ख़र करते हैं।
7. चुनाँचे जिस तरह रूह-उल-क़ुद्स फ़रमाता है, “अगर तुम आज अल्लाह की आवाज़ सुनो
8. तो अपने दिलों को सख़्त न करो जिस तरह बग़ावत के दिन हुआ, जब तुम्हारे बापदादा ने रेगिस्तान में मुझे आज़्माया।
9. वहाँ उन्हों ने मुझे आज़्माया और जाँचा, हालाँकि उन्हों ने चालीस साल के दौरान मेरे काम देख लिए थे।
10. इस लिए मुझे उस नसल पर ग़ुस्सा आया और मैं बोला, ‘उन के दिल हमेशा सहीह राह से हट जाते हैं और वह मेरी राहें नहीं जानते।’
11. अपने ग़ज़ब में मैं ने क़सम खाई, ‘यह कभी उस मुल्क में दाख़िल नहीं होंगे जहाँ मैं उन्हें सुकून देता’।”
12. भाइयो, ख़बरदार रहें ताकि आप में से किसी का दिल बुराई और कुफ़्र से भर कर ज़िन्दा ख़ुदा से बर्गश्ता न हो जाए।
13. इस के बजाय जब तक अल्लाह का यह फ़रमान क़ाइम है रोज़ाना एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई करें ताकि आप में से कोई भी गुनाह के फ़रेब में आ कर सख़्तदिल न हो।
14. बात यह है कि हम मसीह के शरीक-ए-कार बन गए हैं। लेकिन इस शर्त पर कि हम आख़िर तक वह एतिमाद मज़्बूती से क़ाइम रखें जो हम आग़ाज़ में रखते थे।
15. मज़्कूरा कलाम में लिखा है, “अगर तुम आज अल्लाह की आवाज़ सुनो, तो अपने दिलों को सख़्त न करो जिस तरह बग़ावत के दिन हुआ।”
16. यह कौन थे जो अल्लाह की आवाज़ सुन कर बाग़ी हो गए? वह सब जिन्हें मूसा मिस्र से निकाल कर बाहर लाया।
17. और यह कौन थे जिन से अल्लाह चालीस साल के दौरान नाराज़ रहा? यह वही थे जिन्हों ने गुनाह किया और जो रेगिस्तान में मर कर वहीं पड़े रहे।
18. अल्लाह ने किन की बाबत क़सम खाई कि “यह कभी भी उस मुल्क में दाख़िल नहीं होंगे जहाँ मैं उन्हें सुकून देता”? ज़ाहिर है उन की बाबत जिन्हों ने नाफ़रमानी की थी।
19. चुनाँचे हम देखते हैं कि वह ईमान न रखने की वजह से मुल्क में दाख़िल न हो सके।

  Hebrews (3/13)